
गंदा
है
पर
धंधा
है
ये…
–
फोटो
:
अमर
उजाला
विस्तार
लोकसभा
चुनाव
में
इस
बार
डिजिटल
प्लेटफाॅर्म
सबसे
अहम
भूमिका
निभा
रहा
है।
इस
प्लेटफाॅर्म
ने
राजनीतिक
दलों
और
प्रत्याशियों
की
मतदाताओं
तक
पहुंच
आसान
की
है।
पर,
दूसरी
तरफ
इस
तकनीक
का
स्याह
पहलू
भी
सामने
आ
रहा
है।
नेताजी
दिनभर
चुनाव
में
पसीना
बहाते
हैं,
जेब
ढीली
करतेे
हैं,
पर
शाम
होते-होते
एक
एनीमेटेड
तस्वीर
या
वीडियो
ऐसा
वायरल
होता
है
कि
उनकी
सारी
मेहनत
पर
पानी
फिर
जाता
है।
यही
है
डीपफेक
टेक्नोलाॅजी,
जो
हू-ब-हू
नकली
चेहरा
और
आवाज
पर्दे
पर
उतार
देती
है।
एआई
इमेज
तैयार
करने
से
जुड़ी
डीपफेक
इनसाइडर
के
मुताबिक
राजनीतिक
दलों
से
जुड़े
80
हजार
से
ज्यादा
डीपफेक
पोस्ट
इस
समय
इंस्टा,
व्हाट्सएप,
एक्स
से
लेकर
फेसबुक
तक
पर
वायरल
हैं।
तकनीक
के
माहिर
युवाओं
के
लिए
चुनावी
सीजन
सहालग
से
कम
नहीं
है,
क्योंकि
ऐसी
पोस्ट
बनाने
और
वायरल
करने
की
फीस
तीन
लाख
से
लेकर
एक
करोड़
रुपये
तक
है।
डीपफेक
में
असली
और
नकली
की
पहचान
करना
बेहद
मुश्किल
होता
है।
इसमें
किसी
भी
तस्वीर,
ऑडियो
या
वीडियो
को
फेक
यानी
फर्जी
दिखाने
के
लिए
आर्टिफिशियल
इंटेलिजेंस
के
साथ
डीप
मशीन
लर्निंग
का
इस्तेमाल
होता
है।
इसीलिए
इसे
डीपफेक
कहा
जाता
है।
76
प्रतिशत
लोगों
को
नहीं
मालूम
कि
डीपफेक
वीडियो
होता
क्या
है।
ऐसे
में
जब
दुनिया
के
सबसे
बड़े
लोकतंत्र
में
चुनाव
होने
जा
रहे
हैं,
तो
आसानी
से
समझा
जा
सकता
है
कि
कैसे
इस
तकनीक
का
इस्तेमाल
कर
मतदाताओं
को
भ्रमित
किया
जा
रहा
है।
फायदे
से
ज्यादा
नुकसान
का
खतरा
प्रत्याशी
और
मतदाता
के
बीच
कनेक्शन
का
मुख्य
काम
एआई
चैटबॉट
और
वर्चुअल
असिस्टेंट
सोशल
मीडिया
प्लेटफाॅर्म
कर
रहा
है।
पर,
इसकी
आड़
में
गलत
खबरें
और
गलत
जानकारियां
भी
एआई
के
जरिये
वायरल
की
जा
रही
हैं।
यही
वजह
है
कि
प्रत्याशी
इस
तकनीक
से
होने
वाले
फायदे
की
अपेक्षा
नुकसान
को
लेकर
ज्यादा
खौफ
में
हैं।
शायद
इसीलिए
इस
बार
लोकसभा
चुनाव
की
प्रमुख
चुनौतियों
में
मुख्य
चुनाव
आयुक्त
ने
फेक
न्यूज
और
डीपफेक
को
भी
रखा
है।
मनोरंजन
में
होता
था
इस्तेमाल… सियासी
दलों
ने
वहीं
से
चुराया
आइडिया
दिलचस्प
बात
यह
है
कि
राजनीतिक
दल,
प्रत्याशी
और
उनके
फंड
मैनेजर
अपने
नेता
की
छवि
चमकाने
से
ज्यादा
विरोधी
की
छवि
धूमिल
करने
वाले
डीपफेक
वीडियो
बनाने
के
लिए
पैसा
दे
रहे
हैं।
आश्चर्य
होगा
कि
इसके
लिए
करोड़ों
के
ठेके
उठ
रहे
हैं।
-
नोएडा
के
एक
डीपफेक
एक्सपर्ट
के
मुताबिक
पहले
इसका
इस्तेमाल
मनोरंजन
के
लिए
ज्यादा
होता
था।
वहीं
से
राजनीतिक
दलों
ने
इस
आइडिया
को
चुराया। वह
बताते
हैं
कि
चुनाव
के
लिए
350
से
ज्यादा
कंटेंट
के
ऑर्डर
अकेले
उन्हें
मिले
हैं।
यही
हाल
दूसरी
एआई
एजेंसियों
और
एक्सपर्ट्स
का
है।
विज्ञापन
मुंहमांगी
रकम
देने
को
तैयार
‘ग्रे
कंटेट’
बनाने
वाले
एक
एक्सपर्ट
ने
बताया
कि
अच्छी
छवि
बनाने
के
बजाय
खराब
छवि
बनाने
के
ऑर्डर
ज्यादा
होते
हैं।
ये
कंटेंट
डीपफेक
आवाज
और
वीडियो
की
क्लोनिंग
से
तैयार
होतेे
हैं।
विरोधी
नेता
की
आवाज
में
विवादित
बयान
वायरल
करने
की
मांग
सबसे
ज्यादा
है।
50
हजार
से
लेकर
10
लाख
रुपये
तक
इसके
लिए
फीस
है।
पोर्न
या
अन्य
विवादित
वीडियो
में
नेता
की
फोटो
जोड़ने
की
भी
मांग
होती
है।
फोटो
बेहद
सफाई
से
जोड़नी
होती
है।
इसकी
फीस
करोड़ों
में
है।
क्या
आप
जानते
हैं
-
05 लाख
से
ज्यादा
डीपफेक
वीडियो
व
आवाज
सोशल
मीडिया
पर
वायरल
हुए
हैं,
ग्लोबल
स्तर
पर
एक
साल
में। -
यह
2019
की
तुलना
में
550
प्रतिशत
ज्यादा
है। -
चार
साल
पहले
डीपफेक
वीडियो
बनाने
में
15
दिन
लगते
थे।
आज
पांच
से
सात
मिनट
में
ही
तैयार
हो
जाते
हंै
फेक
ऑडियो
व
वीडियो। -
पहले
35,000
से
62,000
फोटो
डाटा
की
मदद
से
बनता
था
डीपफेक।
आज
केवल
एक
से
तीन
फोटो
में
ही
बन
जाता
है। -
116 करोड़
मोबाइल
यूजर
हैं
देश
में।
यूपी
में
17
करोड़। -
77%
आबादी
की
इंटरनेट
तक
पहुंच।
कार्रवाई
के
लिए
अभी
ये
प्रावधान
पिछले
साल
गूगल,
अमेजन,
आईबीएम,
मेटा,
एडोब,
ओपन
एआई,
माइक्रोसॉफ्ट,
एक्स,
टिकटॉक
सहित
20
कंपनियों
ने
चुनाव
में
एआई
का
गलत
इस्तेमाल
रोकने
की
रणनीति
बनाई
थी।
फेक
वीडियो
बनाकर
झूठी
खबर
फैलाने
पर
भारतीय
दंड
संहिता
(1860)
या
नए
कानून-भारतीय
न्याय
संहिता
(2023),
इनफाॅर्मेशन
टेक्नोलॉजी
एक्ट
(2000)
और
इनफाॅर्मेशन
टेक्नोलॉजी
एक्ट
(2021)
के
तहत
कार्रवाई
हो
सकती
है।
वरिष्ठ
अधिवक्ता
यजुवेंद्र
सिंह
के
मुताबिक
किसी
व्यक्ति
के
चित्र
का
गलत
इस्तेमाल
करने
पर
आईटी
एक्ट
(2000)
की
धारा
66
ई
के
तहत
दो
लाख
रुपये
जुर्माना
और
तीन
साल
तक
की
जेल
हो
सकती
है।
इनके
लिए
मुसीबत
बन
चुका
है
डीपफेक
-
मध्य
प्रदेश
विधानसभा
चुनाव
में
भाजपा
विधायक
रमेश
मेंदोला
डीपफेक
के
शिकार
हो
चुके
हैं।
इंटरनेट
मीडिया
पर
उनका
फर्जी
फोटो
वायरल
कर
दिया
गया।
मेंदोला
को
फर्जी
फोटो
में
नंबर
व
नेमप्लेट
की
दुकान
पर
दिखा
दिया
गया
था। -
टिहरी
गढ़वाल
से
भाजपा
प्रत्याशी
माला
राज्यलक्ष्मी
शाह
की
छवि
धूमिल
करने
वाली
डीपफेक
पोस्ट
सोशल
मीडिया
पर
वायरल
कर
दी
गई। -
शिवराज
सिंह
चौहान
से
लेकर
सोनिया
गांधी
और
कमलनाथ
तक
के
डीपफेक
वीडियो
वायरल
हो
चुके
हैं। -
राहुल
गांधी
का
एक
फेक
वीडियो
वायरल
हुआ,
जिसमें
कांग्रेस
नेता
यह
कहते
हुए
दिखाई
दे
रहे
थे,
मैं
कुछ
नहीं
करता।
अखिलेश
यादव
से
जुड़ा
डीपफेक
ऑडियो
भी
वायरल
हुआ
था। -
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
के
चेहरे
के
साथ
एक
डीपफेक
शेयर
किया
गया
था,
जिसमें
वे
एक
महिला
पहलवान
के
पोस्टर
के
सामने
रोते
हुए
दिखाई
दे
रहे
थे।