
पुलिस
–
फोटो
:
प्रतीकात्मक
विस्तार
एलडीए
अवैध
कब्जे
व
निर्माण
के
खिलाफ
अभियान
तो
चलाता
है,
लेकिन
कब्जा
किसी
रसूखदार
का
हो
तो
अफसर
कार्रवाई
में
टालमटोल
करने
लगते
हैं।
ऐसा
ही
एक
मामला
सामने
आया
है,
जिसमें
एक
डिप्टी
एसपी
के
प्रभाव
में
एलडीए
के
अफसर
कार्रवाई
से
गुरेज
करते
रहे।
दबाव
बढ़ा
तो
अवैध
निर्माण
को
सील
कर
दिया,
लेकिन
इसकी
सूचना
सार्वजनिक
नहीं
की।
गोमतीनगर
निवासी
निधि
मिश्रा
के
मुताबिक
राजीव
गांधी
वार्ड,
खरगापुर
में
उनके
रिश्तेदार
आशीष
का
प्लॉट
है।
इस
भूखंड
पर
निवेश
के
लिए
उन्होंने
आशीष
को
15
लाख
रुपये
दिए
थे।
आरोप
है
कि
इससे
पहले
कि
वह
प्लॉट
की
रजिस्ट्री
अपने
नाम
करवातीं,
कुछ
लोगों
ने
उस
पर
अवैध
कब्जा
शुरू
कर
दिया।
विरोध
करने
पहुंची
तो
आरोपियों
ने
उनसे
कहा
कि
ये
भूखंड
अब
उनका
है।
उन्हें
अपशब्द
कहे
और
अवैध
निर्माण
नहीं
रोका।
पीड़िता
के
मुताबिक
आरोपियों
ने
कहा
कि
उनके
चाचा
पुलिस
विभाग
में
बड़े
अधिकारी
हैं
और
एनकाउंटर
स्पेशलिस्ट
के
नाम
से
मशहूर
हैं।
यह
भूखंड
अगर
तुम्हारा
है
तो
भी
इसको
भूल
जाओ।
अब
हम
लोग
इस
पर
कब्जा
ले
चुके
हैं
और
इसे
नहीं
छोड़ेंगे।
यहां
से
चली
जाओ
नहीं
तो
उल्टा
तुम्हारे
खिलाफ
ही
मुकदमा
लिख
जाएगा।
पीड़िता
का
कहना
है
कि
उन्होंने
डिप्टी
एसपी
से
उनके
दफ्तर
में
जाकर
मुलाकात
की।
उन्हें
सारे
कागजात
दिखाए।
आरोप
है
कि
इसके
बावजूद
डिप्टी
एसपी
ने
कहा
कि
हां,
वह
भूखंड
मेरे
ही
कब्जे
में
है,
जिसको
मेरा
भांजा
शैलेश
कुमार
बनवा
रहा
है।
आप
उस
भूखंड
को
भूल
जाइये,
जहां
चाहें
वहां
मेरी
शिकायत
कर
दीजिए।
देखिएगा,
ज्यादा
मेरा
भूखंड,
मेरा
भूखंड
चिल्लाने
से
कहीं
मैं
आपके
खिलाफ
ही
मुकदमा
न
लिखवा
दूं।
डिप्टी
एसपी
की
बात
सुनने
के
बाद
निधि
वहां
से
लौट
गईं।
इसके
बाद
डीसीपी
पूर्वी
प्रबल
प्रताप
सिंह
को
प्रार्थनापत्र
देकर
एफआईआर
दर्ज
कराने
की
मांग
की।
निधि
का
कहना
है
कि
उन्होंने
पुलिस
आयुक्त
से
भी
मिलकर
मामले
की
शिकायत
की
है।
हालांकि,
अभी
तक
आरोपियों
के
खिलाफ
एफआईआर
नहीं
दर्ज
की
गई
है।
मंडलायुक्त
से
लगाई
मदद
की
गुहार
एलडीए
के
अफसरों
का
चक्कर
काटकर
थक
चुकी
निधि
ने
मंडलायुक्त
से
मुलाकात
कर
पूरा
मामला
बताया
और
मदद
की
गुहार
लगाई।
इस
पर
मंडलायुक्त
ने
एलडीए
वीसी
को
कार्रवाई
के
निर्देश
दिए।
इसके
बाद
बुधवार
को
अवैध
निर्माण
सील
कर
दिया
गया।
एलडीए
के
सक्षम
प्राधिकारी
की
ओर
से
जारी
आदेश
में
कहा
गया
है
कि
शैलेंद्र
शाही
व
अन्य
द्वारा
खरगापुर
में
अवैध
निर्माण
किया
जा
रहा
है,
जिसे
रोकने
के
लिए
सात
मार्च
को
नोटिस
जारी
किया
गया
था।
इसके
बाद
भी
चोरी-छिपे
निर्माण
हो
रहा
था।
ऐसे
में
सक्षम
प्राधिकारी
ने
अवैध
निर्माण
को
सील
कर
संबंधित
थाना
प्रभारी
को
निगरानी
के
निर्देश
दिए
हैं।