
माघी
पूर्णिमा
से
पहले
मंगलवार
को
यमुना
में
अरैल
घाट
पर
नाव
डगमगाने
से
सहमे
नौ
श्रद्धालु
किनारा
समझकर
उतरे
और
डूबने
लगे।
इनमें
से
सात
को
बचा
लिया
गया।
लेकिन,
देहरादून
निवासी
महिला
व
उनके
देवर
का
घंटों
बाद
भी
पता
नहीं
चला।
महिला
के
पति
समेत
दो
गंभीर
हाल
में
एसआरएन
अस्पताल
में
भर्ती
कराए
गए
हैं।
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हादसा
दोपहर
तीन
बजे
के
करीब
हुआ।
प्रत्यक्षदर्शियों
के
मुताबिक
संगम
स्नान
के
बाद
अरैल
घाट
के
किनारे
पहुंचे
थे।
इसी
दौरान
नाव
डगमगाई
और
उसमें
सवार
नौ
श्रद्धालु
बचने
के
लिए
नदी
में
कूद
गए।
उन्हें
लगा
कि
नदी
का
किनारा
है
और
गहराई
नहीं
होगी।
लेकिन,
यहां
यमुना
15
से
20
फीट
तक
गहरी
हैं।
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सभी
डूबने
लगे
तो
जल
पुलिस
के
जवानों
ने
छलांग
लगा
दी।
इस
दौरान
सात
लोग
बचा
लिए
गए।
लेकिन,
दो
नदी
में
डूब
गए।
जल
पुलिस
के
गोताखोरों
और
एनडीआरएफ
की
टीम
ने
उनकी
घंटों
तलाश
की,
लेकिन
कुछ
पता
नहीं
चला।
घायलों
को
सेक्टर-24
के
अस्पताल
ले
जाया
गया।
उनके
फोन
से
कॉल
करने
पर
उनके
रिश्तेदार
हरियाणा
के
रामगोपाल
मित्तल
अस्पताल
पहुंचे
और
घायलों
को
अपना
साला
बृजलाल
प्रसाद
(67)
व
महावीर
प्रसाद
(65)
बताया।
गंभीर
स्थिति
पर
इन
दोनों
को
एसआरएन
में
भर्ती
कराया
गया।
ऊषा
रानी
(55),
गीता
रानी
(50)
की
हालत
खतरे
से
बाहर
है।
बृजलाल
की
पत्नी
ललिता
देवी
(60)
व
उनके
फुफेरे
देवर
सुरेश
चंद्र
(65)
लापता
हैं।
उन्होंने
बताया
कि
छह
लोग
देहरादून
के
जीएमएस
रोड
मोहित
विहार
के
रहने
वाले
हैं।
जबकि,
तीन
लोग
बंगलूरू
के
रहने
वाले
हैं।
कोई
परेशानी
नहीं
होने
पर
इन्हें
घर
के
लिए
भेज
दिया
गया।
किराना
व्यापारी
बृजलाल
रामलीला
बाजार
में
रहते
हैं।
सभी
लोग
सुबह
ही
प्रयागराज
आए
थे।
सीओ
जल
पुलिस
रजनीश
यादव
ने
बताया
कि
लापता
दो
की
तलाश
में
सर्च
अभियान
चलाया
गया।
फिलहाल,
उनका
पता
नहीं
चल
पाया।
बुधवार
सुबह
फिर
से
तलाश
की
जाएगी।