‘चुनावी घोषणा पत्रों से मुसलमान गायब’: मौलाना शहाबुद्दीन बोले- ये वक्त फैसले का है… नहीं तो पछताना पड़ेगा

‘चुनावी घोषणा पत्रों से मुसलमान गायब’:                                    मौलाना शहाबुद्दीन बोले- ये वक्त फैसले का है… नहीं तो पछताना पड़ेगा
Maulana Shahabuddin Razvi says Muslims missing from the election manifestos

मौलाना
मुफ्ती
शहाबुद्दीन
रजवी


फोटो
:
अमर
उजाला

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ऑल
इंडिया
मुस्लिम
जमात
के
राष्ट्रीय
अध्यक्ष
मौलाना
मुफ्ती
शहाबुद्दीन
रजवी
ने
कहा
कि
तमाम
राजनीतिक
दलों
ने
अपना-अपना
घोषणा
पत्र
जारी
कर
दिया
है,
मगर
किसी
भी
दल
ने
अपने
घोषणा
पत्र
में
मुसलमानों
के
बुनियादी
मुद्दों
पर
बात
करना
तो
दूर
की
बात
है,
पूरे
तौर
पर
घोषणा
पत्रों
से
मुसलमान
गायब
नजर

रहा
है।
जबकि
दूसरे
समुदाय
के
उत्थान
और
विकास
की
बातें
की
गई
हैं।
इससे
धर्मनिरपेक्षता
का
दावा
करने
वाले
दलों
की
हकीकत
सामने

जाती
है।
सपा
के
घोषणा
पत्र
पर
हैरानी
जताते
हुए
मौलाना
ने
कहा
कि
जो
पार्टी
मुसलमानों
के
साथ
हमदर्दी
का
इजहार
करती
है,
उसके
घोषणा
पत्र
से
भी
मुसलमान
गायब
हैं।

मौलाना
ने
कहा
कि
राजनीतिक
पार्टियों
को
घोषणा
पत्र
जारी
करने
का
अधिकार
है।
हम
इसमें
कुछ
भी
हस्तक्षेप
नहीं
करना
चाहते।
मगर
उनसे
मुसलमानो
के
मुद्दों
पर
बातचीत
करने
और
हमदर्दी
का
इजहार
करने
की
उम्मीद
रखते
थे,
लेकिन
चुनावी
घोषणा
पत्रों
से
मुसलमानों
को
मायूसी
हुई
है।
जनता
ये
समझती
है
कि
घोषणा
पत्र
राजनीतिक
पार्टियों
का
खास
विजन
होता
है।
इसके
आधार
पर
ही
मतदाता
मतदान
के
लिए
पार्टियों
का
चयन
करते
हैं। 


लोकसभा
चुनाव
2024: कितने
अमीर
हैं
शिवपाल
यादव
के
बेटे
आदित्य?
नामांकन
में
दिया
संपत्ति
का
ब्योरा


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मौलाना
ने
कहा
कि
दुर्भाग्यपूर्ण
बात
ये
है
कि
इस
लोकसभा
चुनाव
में
राजनीतिक
पार्टियों
ने
मुसलमानों
को
हाशिए
पर
कर
दिया
है।
मुसलमानों
को
शिकायत
उन
पार्टियों
से
नहीं
है
जिन
पार्टियों
को
वो
वोट
नहीं
देता
है।
मुसलमानों
को
शिकायत
और
तकलीफ
उन
पार्टियों
से
है
जिनको
बराबर
विधानसभा
और
लोकसभा
में
वोट
देता
आया
है।
मुसलमानों
को
अब
गंभीरता
पूर्वक
ऐसी
पार्टियों
के
बारे
में
सोचना
होगा।
यही
समय
फैसला
लेने
का
है
और
ऐसी
पार्टियों
के
चेहरों
से
पर्दा
उठाने
और
आईना
दिखाने
का
है।