
लगातार
बढ़ी
है
सिगरेट
की
स्मलिंग।
–
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विस्तार
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तस्करों
ने
सोने
से
ज्यादा
सिगरेट
के
अवैध
कारोबार
पर
फोकस
कर
दिया
है।
यही
वजह
है
कि
चार
महीने
में
सिगरेट
की
तस्करी
तेजी
से
बढ़ी
है।
हैरत
की
बात
ये
है
कि
विदेशी
सिगरेट
की
तस्करी
के
अलावा
मशहूर
भारतीय
ब्रांड्स
की
नकली
सिगरेट
भी
चीन
और
इंडोनेशिया
में
बन
रही
हैं।
इनकी
धड़ल्ले
से
तस्करी
हो
रही
है।
एक
साल
में
प्रदेश
से
88
लाख
से
ज्यादा
स्टिक
कस्टम
ने
सीज
की
हैं।
12
करोड़
की
सिगरेट
जब्ती
से
पूरे
बार्डर
और
एयरपोर्ट्स
अलर्ट
पर
हैं।
कस्टम
ने
धरपकड़
के
लिए
खुफिया
जाल
का
दायरा
विस्तृत
कर
दिया
है।
सिगरेट
की
तस्करी
से
होने
वाला
मुनाफा
सोना
और
ड्रग्स
की
तस्करी
से
ज्यादा
है।
दरअसल,
सेस
और
ड्यूटी
मिलकर
आयात
करने
पर
सिगरेट
पर
कीमत
पांच
गुना
हो
जाती
है।
केंद्रीय
अप्रत्यक्ष
कर
एवं
सीमा
शुल्क
बोर्ड
(सीबीआईसी)
के
मुताबिक
तस्करी
से
आने
वाली
सिगरेट
वैध
रूप
से
बिकने
वाली
सिगरेट
से
पांच
गुना
सस्ती
होती
है।
अवैध
सिगरेट
बनाने
में
लागत
कम
आती
है।
कोई
टैक्स
देना
नहीं
पड़ता
और
बिक्री
के
लिए
एडवांस
आर्डर
रहते
हैं।
ड्रग्स
पकड़े
जाने
पर
सजा
खौफनाक
होती
है,
लेकिन
सिगरेट
की
तस्करी
में
मादक
पदार्थ
वाली
धाराएं
नहीं
लगतीं।
यही
वजह
है
कि
चीन,
मलेशिया
और
इंडोनेशिया
में
बड़े
पैमाने
पर
भारतीय
ब्रांड
की
अवैध
फैक्टरियां
चलाई
जा
रही
हैं।
खास
बात
ये
है
कि
इन
देशों
से
सीधे
सिगरेट
की
सप्लाई
भारत
में
नहीं
होती।
अंतरराष्ट्रीय
तस्करों
ने
म्यामांर
और
दुबई
को
अपना
ठिकाना
बनाया
है।
इन
देशों
से
फ्लाइट,
समुद्र
मार्ग
और
सड़क
तीनों
से
ही
सिगरेट
भारत
पहुंचाई
जा
रही
है।
13
हजार
करोड़
से
ज्यादा
राजस्व
की
चोरी
स्मगलिंग
एक्टिविटीज
डिस्ट्रॉयिंग
दि
इकोनॉमी
(कासकेड)
पर
औद्योगिक
संगठन
फिक्की
की
रिपोर्ट
में
तंबाकू
उत्पादों
की
तस्करी
से
13,331
करोड़
रुपये
के
राजस्व
की
चोरी
होने
का
अनुमान
लगाया
गया
है।
इसमें
सबसे
बड़ा
हिस्सा
सिगरेट
का
है।
इसके
मुताबिक
तंबाकू
उत्पादों
के
अवैध
कारोबार
का
आकार
दो
साल
पहले
करीब
23
हजार
करोड़
रुपये
का
था।
इतना
ही
नहीं
तस्करी
वाली
सिगरेट
और
ज्यादा
खतरनाक
हो
सकती
है
क्योंकि
इसे
घटिया
किस्म
के
उत्पादों
से
तैयार
किया
गया
होता
है।
अवैध
रूप
से
बिकने
वाली
सिगरेट
पर
स्वास्थ्य
संबंधी
कोई
चेतावनी
नहीं
होती
है।
बाजार
में
अवैध
रूप
से
आने
वाले
100
से
अधिक
अंतरराष्ट्रीय
सिगरेट
ब्रांड
प्रचलित
हैं।