

ज्योतिषपीठ
के
शंकराचार्य
स्वामी
अविमुक्तेश्वरानंद
गीता
प्रेस
में
भ्रमण
करते
हुए
–
फोटो
:
अमर
उजाला
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गोरखपुर
में
ज्योतिषपीठ
के
शंकराचार्य
स्वामी
अविमुक्तेश्वरानंद
ने
मंगलवार
को
गीता
प्रेस
के
चित्र
मंदिर
में
गो-रक्षा
और
धर्म
पर
संवाद
करते
हुए
कहा
कि
गोरखपुर
से
गो-रक्षा
की
आवाज
उठनी
चाहिए।
गोरखपुर
के
नाम
में
ही
गो
समाहित
है।
यहां
से
गो-रक्षा
का
कार्य
न
हो
तो
गोरखपुर
का
नाम
बदल
दिया
जाना
चाहिए,
क्योंकि
जो
नाम
काम
के
ही
नहीं
हैं,
उन्हें
बदला
भी
जा
रहा
है।
शंकराचार्य
ने
कहा
कि
गोरखनाथ
मंदिर
में
उन्होंने
बाबा
गोरखनाथ
से
प्रार्थना
की
कि
गो-रक्षा
हो।
द्वापर
युग
में
भगवान
श्रीकृष्ण
ने
गोवर्धन
पर्वत
को
उठाकर
गो
और
प्रकृति
की
रक्षा
की
थी।
हमने
भगवान
श्रीकृष्ण
की
नगरी
मथुरा
से
गो-रक्षा
के
लिए
पैदल
यात्रा
की
और
दिल्ली
में
पहुंचकर
1986
में
गो-रक्षा
आंदोलन
के
दौरान
गोली
लगने
से
अपने
प्राणों
की
आहुति
देने
वाले
गो-भक्तों
का
तर्पण
किया।
भगवान
से
भी
गो-रक्षा
की
प्रार्थना
की
और
हिंदुओं
को
इसके
लिए
खड़े
होने
की
अपील
कर
रहे
हैं।
शंकराचार्य
ने
कहा
कि
75
साल
पहले
देश
में
30
करोड़
मनुष्य
और
78
करोड़
गाय
थीं।
अब
150
करोड़
आबादी
हो
चुकी
है
लेकिन
गाय
केवल
17
करोड़
ही
हैं।
जिस
प्रकार
गो-हत्या
हो
रही
है,
अगर
उस
पर
रोक
नहीं
लगी
तो
पांच
साल
बाद
गायों
को
चित्रों
में
देखना
पड़ेगा।
ऐसी
स्थिति
तब
है
कि
जब
शंकर
वर्ण
को
भी
गाय
गिना
जा
रहा
है।
इस
अवसर
पर
अधिवक्ता
मनीष
पांडेय,
दिव्येंदु
नाथ,
मुकेश
पांडेय
आदि
मौजूद
रहे।