एसपी
अशोक
कुमार
शुक्ला
विवादों
में
रहे।
–
फोटो
:
अमर
उजाला।
विस्तार
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चैनल
फॉलो
करें
शासन
ने
रामपुर
के
पूर्व
एसपी
अशोक
कुमार
शुक्ला
के
खिलाफ
जांच
का
आदेश
दिया
है।
गृह
विभाग
ने
अलीगढ़
की
मंडलायुक्त
चैत्रा
वी.
और
आईजी
विजिलेंस
मंजिल
सैनी
की
संयुक्त
जांच
समिति
गठित
की
है,
जो
अपनी
रिपोर्ट
शासन
को
सौपेंगी।
अशोक
कुमार
पर
आरोप
है
कि
उन्होंने
पूर्व
मंत्री
आजम
खां
के
संबंधित
सिविल
लाइंस
थाने
में
दर्ज
मुकदमे
में
विवेचक
को
बदला,
जिसके
बाद
मुकदमे
से
गंभीर
धाराएं
हटा
दी
गईं।
तत्पश्चात,
अदालत
में
दोषपूर्ण
आरोप
पत्र
दाखिल
किया
गया,
जिसमें
आजम
का
नाम
नदारद
था।
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सूत्रों
के
मुताबिक
मुख्यमंत्री
योगी
आदित्यनाथ
के
निर्देश
पर
पूर्व
एसपी
के
खिलाफ
जांच
शुरू
की
गई
है।
अशोक
कुमार
वर्तमान
में
सीबीसीआईडी
में
डीआईजी
के
पद
पर
तैनात
हैं।
यह
मामला
जौहर
विश्वविद्यालय
के
परिसर
के
अंतर्गत
आने
वाली
शत्रु
संपत्ति
से
संबंधित
है,
जिसके
दस्तावेजों
में
हेराफेरी
करने
का
आरोप
है।
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दरअसल,
यह
संपत्ति
इमामुद्दीन
कुरैशी
के
नाम
दर्ज
थी,
जो
विभाजन
के
दौरान
पाकिस्तान
चले
गए
थे।
तत्पश्चात,
इसे
वर्ष
2006
में
भारत
सरकार
के
कस्टोडियन
विभाग
के
अंतर्गत
दर्ज
कर
लिया
गया।
जब
जौहर
विश्वविद्यालय
के
निर्माण
में
तमाम
सरकारी
जमीनों
पर
कब्जा
करने
जांच
हुई,
तो
यह
प्रकरण
सामने
आया।
जांच
में
पता
चला
कि
राजस्व
विभाग
के
रिकॉर्ड
में
दर्ज
इस
शत्रु
संपत्ति
को
खुर्द-बुर्द
करने
के
लिए
फर्जी
तरीके
से
आफाक
अहमद
का
नाम
अंकित
कर
दिया
गया,
रिकॉर्ड
के
पन्ने
भी
फटे
मिले।
जिसके
बाद
वर्ष
2020
में
थाना
सिविल
लाइंस
में
मुकदमा
दर्ज
कराया
गया।
वर्ष
2023
में
विवेचक
गजेंद्र
त्यागी
ने
लेखपाल
के
बयान
के
आधार
पर
पूर्व
मंत्री
आजम
खां
का
नाम
आरोपियों
में
शामिल
किया।
जिसके
बाद
एसपी
अशोक
कुमार
ने
उन्हें
हटाकर
निरीक्षक
श्रीकांत
द्विवेदी
को
विवेचक
बना
दिया।
आरोप
है
कि
नए
विवेचक
ने
मुकदमे
में
धारा
467,
471
को
हटाकर
अदालत
में
आरोप
पत्र
दाखिल
कर
दिया,
जिसमें
आजम
खां
का
नाम
शामिल
नहीं
था।
इसकी
शिकायत
होने
पर
शासन
ने
गोपनीय
जांच
कराई,
जिसमें
तत्कालीन
एसपी
समेत
कई
अधिकारियों
की
भूमिका
संदिग्ध
मिली।
जिसके
बाद
शासन
ने
अशोक
कुमार
के
खिलाफ
जांच
का
आदेश
दिया
है।