रिलायंस इंफ्रा को ₹8,000 करोड़ के भुगतान का आदेश खारिज: SC बोला- दिल्ली मेट्रो पेमेंट के लिए बाध्य नहीं, अनिल अंबानी की कंपनी का शेयर 20% गिरा

रिलायंस इंफ्रा को ₹8,000 करोड़ के भुगतान का आदेश खारिज: SC बोला- दिल्ली मेट्रो पेमेंट के लिए बाध्य नहीं, अनिल अंबानी की कंपनी का शेयर 20% गिरा


नई
दिल्ली
15
मिनट
पहले

  • कॉपी
    लिंक

अनिल अंबानी (फाइल फोटो) - Dainik Bhaskar


अनिल
अंबानी
(फाइल
फोटो)

दिल्ली
मेट्रो
रेल
कॉर्पोरेशन
यानी
DMRC
को
अब
अनिल
अंबानी
की
कंपनी
दिल्ली
एयरपोर्ट
मेट्रो
एक्सप्रेस
को
करीब
₹8,000
करोड़
का
भुगतान
नहीं
करना
होगा।
सुप्रीम
कोर्ट
ने
बुधवार
10
अप्रैल
को
इस
पेमेंट
के
आदेश
को
अवैध
बताते
हुए
खारिज
कर
दिया।

ये
मामला
DMRC
और
DAMEPL
के
बीच
2008
में
हुए
एक
समझौते
से
जुड़ा
है।
दिल्ली
एयरपोर्ट
मेट्रो
एक्सप्रेस
अनिल
अंबानी
की
कंपनी
रिलायंस
इंफ्रास्ट्रक्चर
की
सब्सिडियरी
है।
सुप्रीम
कोर्ट
के
इस
आदेश
के
बाद
रिलायंस
इंफ्रा
का
शेयर
20%
गिर
गया।

आज यानी 10 अप्रैल को दोपहर 2:49 बजे रिलायंस इंफ्रा का शेयर 20% गिरावट के बाद 227.60 रुपए पर कारोबार कर रहा है। कंपनी का मार्केट कैप 9.01 हजार करोड़ रुपए है।


आज
यानी
10
अप्रैल
को
दोपहर
2:49
बजे
रिलायंस
इंफ्रा
का
शेयर
20%
गिरावट
के
बाद
227.60
रुपए
पर
कारोबार
कर
रहा
है।
कंपनी
का
मार्केट
कैप
9.01
हजार
करोड़
रुपए
है।


DMRC
की
ओर
से
जमा
राशि
भी
DAMEPL
को
वापस
करना
होगा

चीफ
जस्टिस
डीवाई
चंद्रचूड़
की
अगुवाई
वाली
बेंच
ने
इस
मामले
की
सुनवाई
की।
बेंच
ने
कहा
कि
DMRC
की
ओर
से
अब
तक
जमा
की
गई
राशि
को
भी
DAMEPL
को
वापस
करना
होगा।
ये
राशि
लगभग
3,300
करोड़
रुपए
हैं।


2008
में
हुआ
था
DMRC
और
DAMEPL
के
बीच
समझौता

  • DMRC
    और
    DAMEPL
    ने
    2008
    में
    नई
    दिल्ली
    रेलवे
    स्टेशन
    से
    सेक्टर
    21
    द्वारका
    तक
    एयरपोर्ट
    मेट्रो
    एक्सप्रेस
    लाइन
    के
    डिजाइन,
    इंस्टॉलेशन,
    कमीशन,
    ऑपरेशन
    और
    मेंटेनेंस
    के
    लिए
    30
    साल
    का
    समझौता
    किया
    था।
    यह
    लाइन
    दिल्ली
    एयरपोर्ट
    से
    गुजरनी
    थी।
  • DMRC
    ने
    सभी
    सिविल
    स्ट्रक्चर्स
    को
    बनाया।
    सभी
    काम
    DAMEPL
    की
    देख-रेख
    में
    हुए।
    जुलाई
    2012
    में
    DAMEPL
    ने
    वायडक्ट
    में
    कुछ
    खामियां
    पाए
    जाने
    के
    बाद
    ऑपरेशन
    सस्पेंड
    कर
    दिए
    और
    DMRC
    को
    इस
    समस्या
    को
    ठीक
    करने
    के
    लिए
    नोटिस
    भेजा।
  • खामियों
    के
    ठीक
    नहीं
    होने
    के
    बाद,
    अक्टूबर
    2012
    में
    DAMEPL
    ने
    इस
    डील
    को
    टर्मिनेट
    करने
    के
    लिए
    DMRC
    को
    नोटिस
    भेज
    दिया।
    इसके
    बाद
    अथॉरिटिज
    ने
    नवंबर
    2012
    में
    निरीक्षण
    किया
    और
    जनवरी
    2013
    में
    लाइन
    को
    ऑपरेशन
    के
    लिए
    मंजूरी
    दे
    दी।
  • जनवरी
    में
    DAMEPL
    ने
    इस
    लाइन
    को
    फिर
    से
    शुरू
    किया,
    लेकिन
    5
    महीने
    के
    भीतर
    ही
    जून
    2013
    में
    प्रोजेक्ट
    छोड़
    दिया।
    इसके
    बाद
    DMRC
    कॉन्ट्रैक्ट
    के
    आर्बिट्रेशन
    सेक्शन
    के
    तहत
    ट्रिब्यूनल
    पहुंच
    गई।
  • 5
    साल
    बाद
    2017
    में
    आर्बिट्रेशन
    ट्रिब्यूनल
    ने
    DAMEPL
    के
    पक्ष
    में
    फैसला
    सुनाया
    और
    DMRC
    को
    करीब
    ₹2,800
    करोड़
    भुगतान
    करने
    का
    आदेश
    दिया।
    इसके
    बाद
    DMRC
    ने
    दिल्ली
    हाई
    कोर्ट
    का
    रुख
    किया,
    लेकिन
    वहां
    की
    सिंगल
    बेंच
    ने
    याचिका
    खारिज
    कर
    दी।
  • हालांकि,
    बाद
    में
    डिविजन
    बेंच
    ने
    आर्बिट्रल
    ट्रिब्यूनल
    के
    आदेश
    को
    ‘भारत
    की
    पब्लिक
    पॉलिसी
    के
    विपरीत’
    बताते
    हुए
    रद्द
    कर
    दिया।
    इसके
    बाद,
    अनिल
    अंबानी
    की
    अगुवाई
    वाली
    कंपनी
    की
    आर्म
    ने
    सुप्रीम
    कोर्ट
    का
    रुख
    किया।
  • 2021
    में,
    SC
    ने
    फैसला
    सुनाया
    कि
    आर्बिट्रल
    ट्रिब्यूनल
    के
    फैसलों
    को
    चुनौती
    नहीं
    दी
    जा
    सकती
    और
    फैसले
    को
    बरकरार
    रखा।
    इस
    फैसले
    के
    बाद
    DMRC
    ने
    क्यूरेटिव
    पिटीशन
    दायर
    की,
    जिसे
    सुप्रीम
    कोर्ट
    ने
    10
    अप्रैल,
    2024
    को
    अनुमति
    दे
    दी।
  • 2021
    के
    अंत
    तक
    आर्बिट्रल
    अवॉर्ड
    बढ़कर
    ₹7,045.41
    करोड़
    हो
    गया
    था।
    DMRC
    ने
    तब
    तक
    ₹1,000
    करोड़
    का
    पेमेंट
    कर
    दिया
    था
    और
    कोर्ट
    को
    बताया
    था
    कि
    वह
    आर्बिट्रल
    अवॉर्ड
    का
    पेमेंट
    करने
    की
    स्थिति
    में
    नहीं
    है।
    आज
    यह
    राशि
    बढ़कर
    ₹8,000
    करोड़
    हो
    गयी
    है।

खबरें
और
भी
हैं…