नई
दिल्ली3
घंटे
पहले
-
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दुनिया
में
अभी
दो
जगह
जंग
चल
रही
है।
रुस-यूक्रेन
के
बीच
और
इजराइल-फिलिस्तीन
के
बीच।
इन
जंगों
से
बने
जियो
पॉलिटिकल
टेंशन
के
कारण
सोने-चांदी
के
दाम
ऑल
टाइम
हाई
पर
पहुंच
गए
हैं।
वहीं
ईरान
की
ओर
से
इजराइल
पर
किए
मिसाइल
अटैक
से
टेंशन
और
ज्यादा
बढ़
गई
है।
ऐसे
में
सेफ
इन्वेस्टमेंट
माने
जाने
वाले
सोने-चांदी
के
दाम
आज
नए
ऑल
टाइम
हाई
पर
पहुंच
सकते
हैं।
इंडिया
बुलियन
एंड
ज्वेलर्स
एसोसिएशन
(IBJA)
की
वेबसाइट
के
मुताबिक,
शुक्रवार
को
10
ग्राम
सोना
1,351
रुपए
महंगा
होकर
पहली
बार
73,174
रुपए
का
हो
गया
था।
चांदी
भी
अभी
ऑल
टाइम
हाई
पर
है।
शुक्रवार
को
एक
किलो
चांदी
का
भाव
1,476
रुपए
बढ़कर
83,819
रुपए
हो
गया
था।
साल
2024
में
अब
तक
सोने
के
दाम
9,872
रुपए
बढ़
चुके
हैं।
1
जनवरी
को
सोना
63,302
रुपए
पर
था।
वहीं,
चांदी
भी
73,395
रुपए
प्रति
किलोग्राम
थी।
ऐसे
में
आज
की
इस
स्टोरी
में
हम
बता
रहे
हैं
कि
युद्ध
या
मंदी
जैसी
स्थिति
में
सोने-चांदी
की
कीमतें
क्यों
बढ़
जाती
हैं?
बीते
सालों
में
हुई
जंग
और
मंदी
में
सोने-चांदी
का
क्या
ट्रेंड
रहा
है?
सोने
चांदी
को
इतना
सेफ
इन्वेस्टमेंट
क्यों
माना
जाता
है?
युद्ध
या
मंदी
जैसी
स्थिति
में
सोने-चांदी
की
कीमतें
क्यों
बढ़
जाती
हैं?
कोई
भी
जंग
जियोपॉलिटिकल
इक्वेशन्स
खराब
कर
सकती
है।
ग्लोबल
सप्लाई
चेन
बाधित
कर
सकती
है,
महंगाई
बढ़ा
सकती
है
और
फाइनेंशियल
इंस्ट्रूमेंट
में
लोगों
के
भरोसे
को
कम
कर
सकती
है।
ऐसे
में
कई
लोग
और
यहां
तक
कि
सरकारें
भी
पोर्टफोलियो
में
गोल्ड
बढ़ाते
हैं।
डिमांड
बढ़ने
से
दामों
में
तेजी
आती
है।
बीते
सालों
में
हुई
जंग
और
मंदी
में
सोने-चांदी
का
क्या
ट्रेंड
रहा
है?
जंग
के
दौरान
सोने
की
कीमतों
में
हमेशा
उछाल
देखा
गया
है।
1990-91
के
दौरान
गल्फ
वॉर
के
दौरान
सोने
की
कीमतों
में
उछाल
आया
था,
लेकिन
यह
शॉर्ट
टर्म
था।
इसी
तरह
2003
में
इराक
युद्ध
के
दौरान
सोने
की
कीमतों
में
तेजी
आई
थी।
-
रूस-यूक्रेन
जंग
के
समय
भी
सोने
में
तेजी
आई।
24
फरवरी
2022
को
रूस-यूक्रेन
युद्ध
शुरू
हुआ
था।
7
मार्च
2022
को
सोने
की
कीमतों
में
लगभग
₹1000/10
ग्राम
की
बढ़ोतरी
हुई।
22
कैरेट
सोने
की
कीमत
₹49,400/10
ग्राम
और
24
कैरेट
सोने
की
कीमत
₹53,890/10
ग्राम
हो
गई। -
इजराइल-हमास
जंग
7
अक्टूबर
2023
को
शुरू
हुई
थी।
तब
सोने
की
कीमत
57,000
के
करीब
थी।
1
नवंबर
तक
कीमत
बढ़कर
61,000
के
करीब
पहुंच
गई।
वहीं
1
जनवरी
को
कीमत
63,000
और
अब
10
ग्राम
सोने
की
कीमत
73,000
के
पार
पहुंच
गई
है।
सोने
चांदी
को
इतना
सेफ
इन्वेस्टमेंट
क्यों
माना
जाता
है?
पेपर
करेंसी,
सिक्कों
या
अन्य
संपत्तियों
के
विपरीत,
सोने
ने
सदियों
से
अपना
मूल्य
बनाए
रखा
है।
यह
इंश्योरेंस
की
तरह
काम
करता
है।
यह
आर्थिक
संकट
में
भी
अपनी
वैल्यू
को
बनाए
रखता
है,
जिससे
निवेशकों
की
संपत्ति
सुरक्षित
रहती
है।
महंगाई
से
बचाव:
सोना
ऐतिहासिक
रूप
से
महंगाई
के
खिलाफ
बचाता
रहा
है
क्योंकि
जीवनयापन
की
लागत
बढ़ने
पर
इसकी
कीमत
बढ़
जाती
है।
पिछले
50
वर्षों
में,
निवेशकों
ने
उच्च
मुद्रास्फीति
वाले
वर्षों
के
दौरान
सोने
की
कीमतों
में
बढ़ोतरी
और
शेयर
बाजार
में
गिरावट
देखी
है।
डीफ्लेशन
प्रोटेक्शन:
डीफ्लेशन
उस
स्थिति
को
कहा
जाता
है
जब
कीमतें
कम
हो
जाती
हैं,
बिजनेस
एक्टिविटी
धीमी
हो
जाती
है
और
अर्थव्यवस्था
अत्यधिक
कर्ज
के
बोझ
तले
दब
जाती
है।
1930
के
दशक
की
महामंदी
के
बाद
से
वैश्विक
स्तर
पर
इस
तरह
की
स्थिति
को
नहीं
देखा
गया
है।
हालांकि
दुनिया
के
कुछ
हिस्सों
में
2008
के
वित्तीय
संकट
के
बाद
थोड़ा
डीफ्लेशन
देखा
गया
था।
मंदी
के
दौरान,
सोने
की
कीमतें
बढ़
गई
थी।
इसका
कारण
यह
था
कि
लोगों
ने
नकदी
जमा
करना
चुना
और
उस
समय
नकदी
रखने
का
सबसे
सुरक्षित
स्थान
सोना
और
सोने
के
सिक्के
थे।
भूराजनीतिक
अनिश्चितता:
सोना
न
केवल
वित्तीय
अनिश्चितता
के
समय
में
बल्कि
भू-राजनीतिक
अनिश्चितता
के
समय
में
भी
अपना
मूल्य
बरकरार
रखता
है।
इसे
अक्सर
“क्राइसिस
कमोडिटी”
कहा
जाता
है
क्योंकि
जब
विश्व
में
तनाव
बढ़ता
है
तो
सोना
अक्सर
अन्य
निवेशों
से
बेहतर
प्रदर्शन
करता
है।
2023
में
8
हजार
रुपए
से
ज्यादा
महंगा
हुआ
था
सोना
साल
2023
की
शुरुआत
में
सोना
54,867
रुपए
प्रति
ग्राम
पर
था
जो
31
दिसंबर
को
63,246
रुपए
प्रति
ग्राम
पर
पहुंच
गया
था।
यानी
साल
2023
में
इसकी
कीमत
में
8,379
रुपए
(16%)
की
तेजी
आई।
वहीं
चांदी
भी
68,092
रुपए
से
बढ़कर
73,395
रुपए
प्रति
किलोग्राम
पर
पहुंच
गई।
खबरें
और
भी
हैं…