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दिल्ली5
मिनट
पहले
-
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भारत
की
थोक
महंगाई
मार्च
में
बढ़कर
0.53%
हो
गई
है।
महंगाई
का
ये
बीते
3
महीने
का
उच्चतम
स्तर
है।
फरवरी
में
थोक
महंगाई
0.20%
और
जनवरी
में
0.27%
रही
थी।
थोक
महंगाई
में
ये
तेजी
खाने-पीने
के
सामानों
के
दाम
बढ़ने
से
आई
है।
कॉमर्स
मिनिस्ट्री
ने
सोमवार
(15
अप्रैल)
को
डेटा
रिलीज
कर
इस
बात
की
जानकारी
दी।
एक
साल
पहले
यानी
मार्च
2023
की
बात
करें
तो
थोक
महंगाई
तब
1.34%
रही
थी।
वहीं
अप्रैल
2023
से
लेकर
अक्टूबर
2023
तक
महंगाई
निगेटिव
जोन
में
रही
थी।
अप्रैल
में
महंगाई
-0.92%
तो
अक्टूबर
में
-0.52%
रही
थी।
मार्च
में
खाद्य
महंगाई
दर
बढ़ी
-
खाद्य
महंगाई
दर
फरवरी
के
मुकाबले
4.09%
से
बढ़कर
4.65%
हो
गई। -
रोजाना
जरूरत
के
सामानों
की
महंगाई
दर
4.49%
से
बढ़कर
4.51%
हो
गई
है। -
फ्यूल
और
पावर
की
थोक
महंगाई
दर
-1.59
से
घटकर
-0.77
रही। -
मैन्युफैक्चरिंग
प्रोडक्ट्स
की
थोक
महंगाई
दर
-1.27%
से
घटकर
-0.85%
रही।
रिटेल
महंगाई
में
आई
थी
गिरावट
इससे
पहले
मार्च
में
खुदरा
महंगाई
दर
10
महीने
में
सबसे
कम
रही।
खाने-पीने
की
चीजें
सस्ती
होने
से
खुदरा
महंगाई
दर
में
ये
गिरावट
देखी
गई
है।
नेशनल
स्टैटिस्टिकल
ऑफिस
(NSO)
की
ओर
से
शुक्रवार
(12
अप्रैल)
को
जारी
आंकड़ों
के
मुताबिक,
देश
की
खुदरा
महंगाई
दर
मार्च
में
घटकर
4.85%
रही,
इससे
पहले
जून
में
यह
दर
4.81%
रही
थी।
WPI
का
आम
आदमी
पर
असर
थोक
महंगाई
के
लंबे
समय
तक
बढ़े
रहने
से
ज्यादातर
प्रोडक्टिव
सेक्टर
पर
इसका
बुरा
असर
पड़ता
है।
अगर
थोक
मूल्य
बहुत
ज्यादा
समय
तक
ऊंचे
स्तर
पर
रहता
है,
तो
प्रोड्यूसर
इसका
बोझ
कंज्यूमर्स
पर
डाल
देते
हैं।
सरकार
केवल
टैक्स
के
जरिए
WPI
को
कंट्रोल
कर
सकती
है।
जैसे
कच्चे
तेल
में
तेज
बढ़ोतरी
की
स्थिति
में
सरकार
ने
ईंधन
पर
एक्साइज
ड्यूटी
कटौती
की
थी।
हालांकि,
सरकार
टैक्स
कटौती
एक
सीमा
में
ही
कम
कर
सकती
है।
WPI
में
ज्यादा
वेटेज
मेटल,
केमिकल,
प्लास्टिक,
रबर
जैसे
फैक्ट्री
से
जुड़े
सामानों
का
होता
है।
महंगाई
कैसे
मापी
जाती
है?
भारत
में
दो
तरह
की
महंगाई
होती
है।
एक
रिटेल,
यानी
खुदरा
और
दूसरी
थोक
महंगाई
होती
है।
रिटेल
महंगाई
दर
आम
ग्राहकों
की
तरफ
से
दी
जाने
वाली
कीमतों
पर
आधारित
होती
है।
इसको
कंज्यूमर
प्राइस
इंडेक्स
(CPI)
भी
कहते
हैं।
वहीं,
होलसेल
प्राइस
इंडेक्स
(WPI)
का
अर्थ
उन
कीमतों
से
होता
है,
जो
थोक
बाजार
में
एक
कारोबारी
दूसरे
कारोबारी
से
वसूलता
है।
महंगाई
मापने
के
लिए
अलग-अलग
आइटम्स
को
शामिल
किया
जाता
है।
जैसे
थोक
महंगाई
में
मैन्युफैक्चर्ड
प्रोडक्ट्स
की
हिस्सेदारी
63.75%,
प्राइमरी
आर्टिकल
जैसे
फूड
20.02%
और
फ्यूल
एंड
पावर
14.23%
होती
है।
वहीं,
रिटेल
महंगाई
में
फूड
और
प्रोडक्ट
की
भागीदारी
45.86%,
हाउसिंग
की
10.07%
और
फ्यूल
सहित
अन्य
आइटम्स
की
भी
भागीदारी
होती
है।