मुंबई9
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पहले
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मार्केट
वैल्यूएशन
के
लिहाज
से
देश
की
टॉप-10
कंपनियों
में
से
7
का
मार्केट
कैप
पिछले
हफ्ते
₹59,404.85
करोड़
बढ़ा
है।
इनमें
एयरटेल
का
मार्केट
कैप
सबसे
ज्यादा
₹19,029.37
करोड़
बढ़ा
है।
कंपनी
का
मार्केट
कैप
अब
₹6.93
लाख
करोड़
हो
गया
है।
वहीं,
ICICI
बैंक
का
मार्केट-कैप
₹15,363.23
करोड़
बढ़कर
₹7.75
लाख
करोड़
और
रिलायंस
इंडस्ट्रीज
का
मार्केट
कैप
₹10,250.02
करोड़
बढ़कर
₹19.86
लाख
करोड़
हो
गया
है।
इनके
अलावा,
TCS,
ITC,
इंफोसिस
और
SBI
का
भी
मार्केट
कैप
बढ़
है।
HDFC
मार्केट-कैप
एक
हफ्ते
में
₹23,170
करोड़
गिरा
जबकि,
HDFC
बैंक
पिछले
हफ्ते
मार्केट
का
सबसे
बड़ा
लूजर
रहा
है।
इस
दौरान
कंपनी
की
मार्केट
वैल्यू
में
₹23,170.58
करोड़
की
कमी
आई
है।
अब
कंपनी
का
मार्केट
कैप
₹11.54
लाख
करोड़
हो
गया
है।
इसके
अलावा
लाइफ
इंश्योरेंस
कॉर्पोरेशन
ऑफ
इंडिया
(LIC)
की
वैल्यू
₹13,440.62
करोड़
और
हिंदुस्तान
यूनिलीवर
लिमिटेड
(HUL)
की
₹8,153.08
करोड़
कम
हुई
है।
12
अप्रैल
को
793
अंक
गिरकर
बंद
हुआ
था
बजार
शेयर
बाजार
में
हफ्ते
के
आखिरी
कारोबारी
दिन
यानी
12
अप्रैल
को
गिरावट
देखने
को
मिली
थी।
सेंसेक्स
793
अंक
की
गिरावट
के
साथ
74,244
के
स्तर
पर
बंद
हुआ।
वहीं,
निफ्टी
में
भी
234
अंक
की
गिरावट
रही,
ये
22,519
के
स्तर
पर
बंद
हुआ।
सेंसेक्स
के
30
शेयरों
में
से
26
में
गिरावट
रही
और
सिर्फ
4
में
तेजी
देखने
को
मिली।
NSE
के
सभी
सेक्टर
में
गिरावट
वहीं,NSE
के
सभी
सेक्टोरल
इंडेक्स
में
गिरावट
देखने
को
मिली।
PSU
बैंक,
फार्मा,
मीडिया
और
FMCG
सेक्टर
में
1%
से
ज्यादा
की
गिरावट
रही।
बैंक,
ऑटो,
फाइनेंशियल
सर्विसेज,
IT,
मेटल,
प्रावेट
बैंक
और
रियल्टी
सेक्टर
में
भी
गिरावट
देखने
को
मिली।
मार्केट
कैपिटलाइजेशन
क्या
होता
है?
मार्केट
कैप
किसी
भी
कंपनी
के
टोटल
आउटस्टैंडिंग
शेयरों
यानी
वे
सभी
शेयर,
जो
फिलहाल
उसके
शेयरहोल्डर्स
के
पास
हैं,
की
वैल्यू
है।
इसका
कैलकुलेशन
कंपनी
के
जारी
शेयरों
की
टोटस
नंबर
को
स्टॉक
की
प्राइस
से
गुणा
करके
किया
जाता
है।
मार्केट
कैप
का
इस्तेमाल
कंपनियों
के
शेयरों
को
कैटेगराइज
करने
के
लिए
किया
जाता
है
ताकि
निवेशकों
को
उनके
रिस्क
प्रोफाइल
के
अनुसार
उन्हें
चुनने
में
मदद
मिले।
जैसे
लार्ज
कैप,
मिड
कैप
और
स्मॉल
कैप
कंपनियां।
मार्केट
कैप
=
(आउटस्टैंडिंग
शेयरों
की
संख्या)
x
(शेयरों
की
कीमत)
मार्केट
कैप
कैसे
काम
आता
है?
किसी
कंपनी
के
शेयर
में
मुनाफा
मिलेगा
या
नहीं
इसका
अनुमान
कई
फैक्टर्स
को
देख
कर
लगाया
जाता
है।
इनमें
से
एक
फैक्टर
मार्केट
कैप
भी
होता
है।
निवेशक
मार्केट
कैप
को
देखकर
पता
लगा
सकते
हैं
कि
कंपनी
कितनी
बड़ी
है।
कंपनी
का
मार्केट
कैप
जितना
ज्यादा
होता
है
उसे
उतनी
ही
अच्छी
कंपनी
माना
जाता
है।
डिमांड
और
सप्लाई
के
अनुसार
स्टॉक
की
कीमतें
बढ़ती
और
घटती
है।
इसलिए
मार्केट
कैप
उस
कंपनी
की
पब्लिक
पर्सीवड
वैल्यू
होती
है।
मार्केट
कैप
कैसे
घटता-बढ़ता
है?
मार्केट
कैप
के
फॉर्मूले
से
साफ
है
कि
कंपनी
की
जारी
शेयरों
की
कुल
संख्या
को
स्टॉक
की
कीमत
से
गुणा
करके
इसे
निकाला
जाता
है।
यानी
अगर
शेयर
का
भाव
बढ़ेगा
तो
मार्केट
कैप
भी
बढ़ेगा
और
शेयर
का
भाव
घटेगा
तो
मार्केट
कैप
भी
घटेगा।
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हैं…