अगस्त में रिटेल महंगाई बढ़कर 3.65% पर पहुंची: सब्जी महंगी, दाल सस्ती हुई; जुलाई में 5 साल के निचले स्तर 3.54% पर रही थी

अगस्त में रिटेल महंगाई बढ़कर 3.65% पर पहुंची: सब्जी महंगी, दाल सस्ती हुई; जुलाई में 5 साल के निचले स्तर 3.54% पर रही थी


नई
दिल्ली
5
घंटे
पहले

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सब्जियों
के
महंगे
होने
से
अगस्त
महीने
में
रिटेल
महंगाई
बढ़कर
3.65%
हो
गई
है।
जुलाई
महीने
में
यह
घटकर
3.54%
पर

गई
थी।
ये
महंगाई
का
59
महीने
का
निचला
स्तर
था।

वहीं,
खाद्य
महंगाई
दर
5.42%
से
बढ़कर
5.66%
हो
गई
है।
शहरी
महंगाई
भी
महीने-दर-महीने
आधार
पर
2.98%
से
बढ़कर
3.14%
हो
गई।
ग्रामीण
महंगाई
4.10%
से
4.16%
पर
पहुंच
गई।


अगस्त
2023
में
खाद्य
महंगाई
9.94%
थी,
अब
5.66%​​​​
पर
आई

महंगाई
के
बास्केट
में
लगभग
50%
योगदान
खाने-पीने
की
चीजों
का
होता
है।
इसकी
महंगाई
महीने-दर-महीने
आधार
पर
5.42%
से
बढ़कर
5.66%
हो
गई
है।
वहीं
एक
साल
पहले
अगस्त
2023
में
खाद्य
महंगाई
9.94%
रही
थी।
यानी,
सालाना
आधार
पर
भी
ये
घटी
है।


RBI
ने
इस
वित्त
वर्ष
के
लिए
महंगाई
अनुमान
4.5%
रखा
था

हाल
ही
में
हुई
मॉनेटरी
पॉलिसी
कमेटी
की
मीटिंग
के
दौरान
RBI
ने
इस
वित्त
वर्ष
के
लिए
अपने
महंगाई
अनुमान
को
4.5%
पर
रखा
था।
यह
पहले
भी
इतना
ही
था।

RBI
गवर्नर
ने
कहा
था-
महंगाई
कम
हो
रही
है,
लेकिन
प्रोग्रेस
धीमी
और
असमान
है।
भारत
की
महंगाई
और
ग्रोथ
ट्रैजेक्टरी
संतुलित
तरीके
से
आगे
बढ़
रही
है,
लेकिन
यह
सुनिश्चित
करने
के
लिए
सतर्क
रहना
महत्वपूर्ण
है
कि
महंगाई
टारगेट
के
अनुरूप
हो।


महंगाई
कैसे
प्रभावित
करती
है?

महंगाई
का
सीधा
संबंध
पर्चेजिंग
पावर
से
है।
उदाहरण
के
लिए
यदि
महंगाई
दर
6%
है,
तो
अर्जित
किए
गए
100
रुपए
का
मूल्य
सिर्फ
94
रुपए
होगा।
इसलिए
महंगाई
को
देखते
हुए
ही
निवेश
करना
चाहिए।
नहीं
तो
आपके
पैसे
की
वैल्यू
कम
हो
जाएगी।


महंगाई
कैसे
बढ़ती-घटती
है?

महंगाई
का
बढ़ना
और
घटना
प्रोडक्ट
की
डिमांड
और
सप्लाई
पर
निर्भर
करता
है।
अगर
लोगों
के
पास
पैसे
ज्यादा
होंगे
तो
वे
ज्यादा
चीजें
खरीदेंगे।
ज्यादा
चीजें
खरीदने
से
चीजों
की
डिमांड
बढ़ेगी
और
डिमांड
के
मुताबिक
सप्लाई
नहीं
होने
पर
इन
चीजों
की
कीमत
बढ़ेगी।

इस
तरह
बाजार
महंगाई
की
चपेट
में

जाता
है।
सीधे
शब्दों
में
कहें
तो
बाजार
में
पैसों
का
अत्यधिक
बहाव
या
चीजों
की
शॉर्टेज
महंगाई
का
कारण
बनता
है।
वहीं
अगर
डिमांड
कम
होगी
और
सप्लाई
ज्यादा
तो
महंगाई
कम
होगी।


CPI
से
तय
होती
है
महंगाई

एक
ग्राहक
के
तौर
पर
आप
और
हम
रिटेल
मार्केट
से
सामान
खरीदते
हैं।
इससे
जुड़ी
कीमतों
में
हुए
बदलाव
को
दिखाने
का
काम
कंज्यूमर
प्राइस
इंडेक्स
यानी
CPI
करता
है।
हम
सामान
और
सर्विसेज
के
लिए
जो
औसत
मूल्य
चुकाते
हैं,
CPI
उसी
को
मापता
है।

कच्चे
तेल,
कमोडिटी
की
कीमतों,
मेन्युफैक्चर्ड
कॉस्ट
के
अलावा
कई
अन्य
चीजें
भी
होती
हैं,
जिनकी
रिटेल
महंगाई
दर
तय
करने
में
अहम
भूमिका
होती
है।
करीब
300
सामान
ऐसे
हैं,
जिनकी
कीमतों
के
आधार
पर
रिटेल
महंगाई
का
रेट
तय
होता
है।


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