ईरानी सुप्रीम लीडर खामेनेई के उत्तराधिकारी थे राष्ट्रपति रईसी: 5000 राजनीतिक कैदियों को फांसी देकर बने ‘तेहरान के कसाई’; वकील से राष्ट्रपति पद तक पहुंचे

ईरानी सुप्रीम लीडर खामेनेई के उत्तराधिकारी थे राष्ट्रपति रईसी: 5000 राजनीतिक कैदियों को फांसी देकर बने ‘तेहरान के कसाई’; वकील से राष्ट्रपति पद तक पहुंचे


तेहरान
44
मिनट
पहले

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ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी का जन्म मशहद शहर में हुआ था। उन्होंने एक धार्मिक संस्थान से पढ़ाई की थी। रईसी को ईरान के सबसे कट्टर नेताओं में से एक माना जाता है। - Dainik Bhaskar


ईरान
के
राष्ट्रपति
इब्राहिम
रईसी
का
जन्म
मशहद
शहर
में
हुआ
था।
उन्होंने
एक
धार्मिक
संस्थान
से
पढ़ाई
की
थी।
रईसी
को
ईरान
के
सबसे
कट्टर
नेताओं
में
से
एक
माना
जाता
है।


ईरान
में
5
हजार
राजनीतिक
कैदियों
को
सजा-ए-मौत
दिया
जाना
इस्लामिक
रिपब्लिक
के
इतिहास
में
सबसे
बड़ा
जुर्म
है।

साल
1988
में
ईरान
के
तत्कालीन
डिप्टी
सुप्रीम
लीडर
आयतुल्लाह
हुसैन
अली
मुंतजरी
ने
यह
बात
कही
थी।
ईरान
की
‘डेथ
कमेटी’
ने
यह
फैसला
1988
में
ही
दिया
था
और
कमेटी
के
सदस्य
थे
तत्कालीन
डिप्टी
प्रॉसिक्यूटर
जनरल
इब्राहिम
रईसी।

28
साल
पुराने
इस
फैसले
से
जुड़ा
एक
ऑडियो
साल
2016
में
लीक
हुआ
था।
ऑडियो
रिकॉर्डिंग
में
मुंतजरी
ईरान
की
‘डेथ
कमेटी’
से
जुड़े
सदस्यों
पर
चिल्ला
रहे
थे।
वे
इस
फैसले
से
खुश
नहीं
थे।

कहा
जाता
है
कि
मुंतजरी
के
परिजन
ने
ही
इस
टेप
को
लीक
किया
था।
ऑडियो
लीक
होने
के
5
साल
के
अंदर
रईसी
पहले
ईरान
के
चीफ
जस्टिस
और
फिर
देश
के
राष्ट्रपति
बन
गए।


ईरान
के
8वें
राष्ट्रपति
इब्राहिम
रईसी
का
रविवार
शाम
हेलिकॉप्टर
क्रैश
में
निधन
हो
गया।
1979
की
इस्लामिक
क्रांति
के
समर्थक
और
वकील
के
तौर
पर
अपने
करियर
की
शुरुआत
करने
वाले
रईसी
इस्लामिक
राज
को
बढ़ावा
देते
हुए
राष्ट्रपति
के
पद
तक
कैसे
पहुंचे…

तस्वीर 1979 में ईरान में हुई इस्लामिक क्रांति के वक्त की है। उस वक्त रईसी महज 19 साल के थे। उन्होंने ईरान के तत्कालीन शासक रजा पहलवी की सत्ता का विरोध करते हुए देश में इस्लामिक शासन की मांग की थी।


तस्वीर
1979
में
ईरान
में
हुई
इस्लामिक
क्रांति
के
वक्त
की
है।
उस
वक्त
रईसी
महज
19
साल
के
थे।
उन्होंने
ईरान
के
तत्कालीन
शासक
रजा
पहलवी
की
सत्ता
का
विरोध
करते
हुए
देश
में
इस्लामिक
शासन
की
मांग
की
थी।


खामेनेई
के
सुप्रीम
लीडर
बनने
के
बाद
रईसी
का
रसूख
बढ़ा

ईरान
में
राजनीतिक
कैदियों
को
सजा
मिलने
के
एक
साल
बाद
ईरान
के
तत्कालीन
सुप्रीम
लीडर
आयतुल्लाह
खुमैनी
का
निधन
हो
गया,
लेकिन
चौंकाने
वाली
बात
ये
थी
कि
डिप्टी
सुप्रीम
लीडर
मुंतजरी
की
जगह
ईरान
के
सर्वोच्च
लीडर
की
कमान
आयतुल्लाह
अली
खामेनेई
को
सौंपी
गई।

कहा
जाता
है
कि
खामेनेई
के
ईरान
का
सर्वोच्च
धार्मिक
लीडर
बनने
का
अगर
सबसे
ज्यादा
फायदा
किसी
को
मिला
तो
वो
इब्राहिम
रईसी
थे।
उनकी
सरपरस्ती
में
इब्राहिम
रईसी
तेजी
से
सफलता
की
सीढ़ियां
चढ़ते
चले
गए।

साल
2021
में
राष्ट्रपति
चुने
जाने
के
बाद
जब
उनसे
1988
की
सामूहिक
फांसी
की
सजा
को
लेकर
सवाल
पूछा
गया
तो
उन्होंने
कहा,
“अगर
किसी
जज
या
वकील
ने
देश
की
सुरक्षा
की
है,
तो
उसकी
तारीफ
होनी
चाहिए।
मैंने
ईरान
में
हर
पद
पर
रहते
हुए
मानवाधिकार
की
रक्षा
की
है।”

इब्राहिम
रईसी
ईरान
के
पहले
ऐसे
राष्ट्रपति
थे,
जिनके
पद
संभालने
से
पहले
ही
अमेरिका
उन
पर
प्रतिबंध
लगा
चुका
था।
अमेरिका
ने
यह
फैसला
5
हजार
से
ज्यादा
राजनीतिक
कैदियों
को
सामूहिक
मौत
की
सजा
देने
के
मुद्दे
पर
ही
लिया
था।
इस
घटना
के
बाद
रईसी
को
‘तेहरान
का
कसाई’
भी
कहा
गया।

दरअसल,
इन
राजनीतिक
कैदियों
का
संबंध
मुजाहिदीन-ए-खल्क
(MeK)
से
था।
सशस्त्र
सैनिकों
का
ये
संगठन
वामपंथी
विचारों
वाला
था।
ये
ईरान
की
राजनीति
को
इस्लाम
के
आधार
पर
चलाने
के
खिलाफ
थे।

फुटेज रविवार की सुबह का है। ईरान के वरजेघन शहर के पास हेलिकॉप्टर क्रैश होने के बाद शवों को तबरिज शहर पहुंचाया गया। इस हेलिकॉप्टर में रईसी के अलावा ईरान के विदेश मंत्री समेत 9 लोग सवार थे।


फुटेज
रविवार
की
सुबह
का
है।
ईरान
के
वरजेघन
शहर
के
पास
हेलिकॉप्टर
क्रैश
होने
के
बाद
शवों
को
तबरिज
शहर
पहुंचाया
गया।
इस
हेलिकॉप्टर
में
रईसी
के
अलावा
ईरान
के
विदेश
मंत्री
समेत
9
लोग
सवार
थे।


सुप्रीम
लीडर
खामेनेई
के
उत्तराधिकारी
कहलाते
थे
रईसी

63
साल
के
रईसी
को
ईरान
के
सुप्रीम
लीडर
आयतुल्लाह
अली
खामेनेई
का
उत्तराधिकारी
माना
जाता
था।
रईसी
एक
कट्टरपंथी
और
धार्मिक
रूप
से
रूढ़िवादी
नेता
थे।
ईरान
का
राष्ट्रपति
बनने
से
पहले
वे
कई
न्यायिक
पदों
पर
काम
कर
चुके
थे।
उन्होंने
सबसे
पहले
2017
में
राष्ट्रपति
पद
का
चुनाव
लड़ा
था।

इस
चुनाव
में
उन्होंने
खुद
को
भ्रष्टाचार
के
खिलाफ
लड़ने
वाले
एक
योद्धा
के
तौर
पर
पेश
किया,
मगर
उदार
माने
जाने
वाले
हसन
रूहानी
से
वे
चुनाव
हार
गए।
रूहानी
को
लगातार
दूसरी
बार
जीत
मिली।
हसन
रूहानी
को
57%
वोट
मिले,
जबकि
रईसी
38%
वोट्स
के
साथ
दूसरे
नंबर
पर
रहे।
हालांकि
इस
हार
के
बाद
भी
रईसी
की
छवि
पर
कोई
खास
असर
नहीं
पड़ा।

आयतुल्लाह
खामेनेई
ने
2019
में
उन्हें
एक
और
बड़ी
जिम्मेदारी
देते
हुए
ईरान
का
चीफ
जस्टिस
बना
दिया।
वह
दो
सालों
तक
इस
पद
पर
रहे।
इसके
बाद
रईसी
ने
एक
बार
फिर
से
साल
2021
के
राष्ट्रपति
चुनावों
में
अपनी
किस्मत
आजमाई।

इस
चुनाव
में
उन्होंने
शानदार
जीत
हासिल
की।
उन्हें
62%
वोट
हासिल
हुए।
रूहानी
की
तरफ
से
उम्मीदवार
नियुक्त
किए
गए
अब्दोलनासेर
हिम्माती
को
सिर्फ
8.4%
वोट
मिले।
कहा
जाता
है
कि
इस
चुनाव
में
खामेनेई
का
करीबी
होने
का
रईसी
को
फायदा
मिला
था।

चुनाव
के
ठीक
बाद
अंतरराष्ट्रीय
मीडिया
से
जुड़ी
कई
रिपोर्ट्स
में
ईरान
के
चुनावों
में
धांधली
के
दावे
किए
गए
थे।
चुनाव
से
पहले
ईरान
की
गार्जियन
काउंसिल
ने
कई
विपक्षी
और
उदारवादी
नेताओं
के
चुनाव
लड़ने
पर
भी
बैन
लगा
दिया
था।

तस्वीर उन राजनीतिक कैदियों की है, जिन्हें सामूहिक सजा-ए-मौत दी गई थी। इसी घटना के बाद राष्ट्रपति रईसी को 'तेहरान का कसाई' कहा जाने लगा था।


तस्वीर
उन
राजनीतिक
कैदियों
की
है,
जिन्हें
सामूहिक
सजा-ए-मौत
दी
गई
थी।
इसी
घटना
के
बाद
राष्ट्रपति
रईसी
को
‘तेहरान
का
कसाई’
कहा
जाने
लगा
था।


पहलवी
के
खिलाफ
प्रदर्शनों
से
राजनीति
में
एंट्री

रईसी
ने
15
साल
की
उम्र
में
कोम
(Qom)
नाम
के
एक
धार्मिक
संस्थान
से
पढ़ाई
की।
इसी
दौरान
उन्होंने
ईरान
के
तत्कालीन
शासक
मोहम्मद
रजा
शाह
पहलवी
के
खिलाफ
प्रदर्शनों
में
हिस्सा
लेना
शुरू
कर
दिया
था।
पहलवी
को
अमेरिका
और
अन्य
पश्चिमी
देशों
का
समर्थन
मिला
हुआ
था।
1979
में
इस्लामिक
क्रांति
के
बाद
वे
तेहरान
के
करीब
कराज
शहर
में
सरकारी
वकील
के
तौर
पर
नियुक्त
किए
गए।

साल
1983
में
इब्राहिम
रईसी
ने
जमीलेह
नाम
की
महिला
से
शादी
की।
वह
ईरान
के
दूसरे
सबसे
बड़े
शहर
मशद
के
मौलवी
इमाम
अहमत
की
बेटी
थीं।
रईसी
की
दो
बेटियां
हैं।
इब्राहिम
रईसी
हमेशा
काली
पगड़ी
पहनते
थे।

कहा
जाता
है
कि
इससे
वो
अपने
आपको
बनू
हाशिम
कबीला
से
जोड़कर
दिखाना
चाहते
थे।
बनू
हाशिम,
कुरैश
कबीले
की
एक
उपशाखा
है।
इस
कबीले
का
नाम
पैगम्बर
मोहम्मद
के
परदादा
हाशिम
पर
रखा
गया
है।
अरबी
भाषा
में
‘बनू’
का
मतलब
‘बेटा’
होता
है।
बनू
हाशिम
का
मतलब
‘हाशिम
का
बेटा’
होता
है।
इस
कबीले
के
सदस्य
अक्सर
‘हाशमी’,
‘हुसैनी’
और
‘हसनी’
जैसे
नाम
रखते
हैं।

2004
में
रईसी
को
ईरान
की
अदालत
का
डिप्टी
चीफ
बनाया
गया।
साल
2006
में
रईसी
एसेंबली
ऑफ
एक्सपर्ट्स
का
हिस्सा
बने।
ये
वो
असेंबली
है,
जिसका
काम
ईरान
के
सर्वोच्च
नेता
की
नियुक्ति
और
देखरेख
करना
है।
इस
दौरान
वे
खामेनेई
के
बेहद
करीब
आए।


2019
में
ईरान
के
चीफ
जस्टिस
और
2
साल
बाद
राष्ट्रपति
बने

इस
बीच
2004
में
रईसी
को
ईरान
का
पहला
डिप्टी
चीफ
जस्टिस
बनाया
गया।
वे
साल
2014
तक
इस
पद
पर
रहे।
2014
में
रईसी
ईरान
के
अटॉर्नी-जनरल
बन
गए।
रईसी
उस
बोर्ड
ऑफ
ट्रस्टीज
का
भी
हिस्सा
थे,
जिसका
काम
सुप्रीम
लीडर
के
आदेशों
को
लागू
करवाना
था।
साल
2019
में
रईसी
को
ईरान
का
चीफ
जस्टिस
बनाया
गया।

2021
में
राष्ट्रपति
चुनाव
जीतने
के
बाद
रईसी
ने
ईरान
के
लोगों
से
वादा
किया
कि
वे
देश
की
अर्थव्यवस्था
को
पटरी
पर
लाएंगे।
इसके
अलावा
पड़ोसी
देशों
से
रिश्ते
सुधारने
पर
भी
काम
करेंगे।

हालांकि
इसके
अगले
ही
साल
सितंबर
2022
में
ईरान
में
कट्टर
इस्लामिक
शासन
के
खिलाफ
प्रदर्शन
होने
लगे।
दरअसल,
इसकी
शुरुआत
ईरान
में
22
साल
की
महिला
महसा
अमीनी
की
मौत
के
साथ
हुई।
ईरान
की
मोरैलिटी
पुलिस
ने
हिजाब
ठीक
से
नहीं
पहनने
पर
13
सितंबर
2022
को
महसा
अमीनी
को
गिरफ्तार
कर
लिया
था।

इसके
ठीक
3
दिन
बाद
16
सितंबर
को
पुलिस
कस्टडी
में
उसकी
मौत
हो
गई।
इस
दौरान
पुलिस
पर
महसा
से
मारपीट
करने
का
आरोप
लगा,
जिससे
महसा
कोमा
में
चली
गई
और
फिर
उसकी
मौत
हो
गई।


इस्लामिक
शासन
का
विरोध
कर
रहे
प्रदर्शनकारियों
पर
फायरिंग
का
आदेश
दिया

देशभर
में
हो
रहे
विरोध
के
जवाब
में
रईसी
ने
प्रदर्शनकारियों
पर
सख्ती
करने
का
आदेश
दिया।
उन्होंने
ताकत
के
दम
पर
प्रोटेस्ट
रोकने
को
कहा।
UN
मिशन
की
रिपोर्ट
के
मुताबिक,
इस
दौरान
ईरान
की
सिक्योरिटी
फोर्सेज
के
हाथों
551
प्रदर्शनकारियों
की
हत्या
हुई।
जबकि
झड़प
में
75
सुरक्षाकर्मियों
ने
भी
दम
तोड़ा।
इसके
अलावा
20
हजार
से
ज्यादा
लोगों
को
गिरफ्तार
किया
गया
था।

साल
2023
में
सऊदी
अरब
के
साथ
मिडिल
ईस्ट
में
वर्चस्व
की
लड़ाई
के
बीच
चीन
की
मध्यस्थता
से
दोनों
देशों
के
डिप्लोमैटिक
रिश्ते
बहाल
हो
गए।
हालांकि
कुछ
महीनों
बाद
अक्टूबर
में
इजराइल-हमास
के
बीच
शुरू
हुई
जंग
के
साथ
तनाव
फिर
से
बढ़
गया।

इजराइल
ने
लगातार
ईरान
पर
हमास
को
मदद
भेजने
का
आरोप
लगाया।
इसके
बाद
1
अप्रैल
को
PM
नेतन्याहू
के
आदेश
पर
सीरिया
में
ईरानी
दूतावास
की
एक
बिल्डिंग
पर
एयरस्ट्राइक
की
गई।
इसमें
ईरान
के
2
टॉप
कमांडरों
समेत
13
लोगों
की
मौत
हो
गई।

इस
हमले
का
बदला
लेने
के
लिए
रईसी
ने
इजराइल
पर
300
ड्रोन्स
और
मिसाइलों
से
हमला
करवाया।
हालांकि
दोनों
देशों
की
तरफ
से
जवाबी
हमले
के
बाद
यह
लड़ाई
रुक
गई।


खबरें
और
भी
हैं…