उज्ज्वल निकम बोले- टिकट मिलते ही मुझे देशद्रोही कहा: कसाब ने करकरे को गोली मारने की बात मानी, कांग्रेसी नहीं मान रहे

उज्ज्वल निकम बोले- टिकट मिलते ही मुझे देशद्रोही कहा: कसाब ने करकरे को गोली मारने की बात मानी, कांग्रेसी नहीं मान रहे

‘मैं
राजनीति
में
नया
जरूर
हूं,
लेकिन
इसका
मतलब
ये
नहीं
कि
कुछ
भी
कहता
जाऊंगा।
मेरे
पास
तो
बहुत
दारू-गोला
है
भाई,
लेकिन
मैं
इसे
कभी
नहीं
खोलूंगा।
देश
की
सुरक्षा
और
इमेज
हमें
बरकरार
रखनी
है।’
ये
उज्ज्वल
निकम
हैं।
जाने-माने
क्रिमिनल
लॉयर
और
अब
मुंबई
नॉर

.

पॉलिटिक्स
में
20
दिन
पहले
ही
एंट्री
की
है।
आते
ही
गंभीर
आरोप
भी
लग
गए।
कांग्रेस
नेता
विजय
वडेट्टीवार
ने
देशद्रोही
तक
कह
दिया।
कहा
कि
26/11
अटैक
के
वक्त
महाराष्ट्र
ATS
के
चीफ
हेमंत
करकरे
को
अजमल
कसाब
की
नहीं,
एक
पुलिस
ऑफिसर
की
गोली
लगी
थी।
ये
बात
उज्ज्वल
निकम
ने
कोर्ट
से
छिपाई।

दैनिक
भास्कर
ने
इस
मसले
पर
उज्ज्वल
निकम
से
बात
की।
इसके
अलावा
पॉलिटिक्स
में
आने
पर
भी
सवाल
किए।

पढ़िए
और
देखिए
पूरा
इंटरव्यू…


सवाल:
पॉलिटिक्स
शुरू
करने
और
चुनाव
लड़ने
के
लिए
BJP
को
ही
क्यों
चुना,
जबकि
आपके
पास
शरद
पवार
से
भी
ऑफर
था?
जवाब:

बहुत
लोगों
को
इस
पर
आश्चर्य
हुआ।
मैं
लीगल
फील्ड
में
काम
करता
था,
हमेशा
मुल्जिमों
के
खिलाफ
लड़ा,
तो
अचानक
रास्ता
क्यों
मोड़
लिया
और
BJP
ही
क्यों।

वकालत
शुरू
करने
के
बाद
से
ही
मैंने
हमेशा
मुल्जिमों,
टेररिस्ट,
क्रिमिनल,
रेपिस्ट,
माइनॉरिटीज
और
बच्चों
पर
अत्याचार
करने
वालों
के
खिलाफ
मामले
चलाए।
आज
भी
पूरे
महाराष्ट्र
में
ईस्ट
टु
वेस्ट,
नॉर्थ
टु
साउथ
हर
डिस्ट्रिक्ट
में
केस
चल
रहे
हैं।

26/11
हमले
के
बाद
मैं
भारत
सरकार
के
ऑफिशियल
डेलीगेशन
में
पाकिस्तान
गया
था।
तब
कसाब
को
फांसी
हो
चुकी
थी।
डेलीगेशन
में
चार
मेंबर
थे।
हम
8
दिन
इस्लामाबाद
में
रुके।
अमेरिका
ने
हमें
कहा
था
कि
आप
सबूत
देखें।

फोटो 6 मई, 2010 की है। इसी दिन कोर्ट ने अजमल कसाब को फांसी की सजा सुनाई थी। कसाब को 21 नवंबर, 2012 को पुणे की यरवडा जेल में फांसी दी गई थी।


फोटो
6
मई,
2010
की
है।
इसी
दिन
कोर्ट
ने
अजमल
कसाब
को
फांसी
की
सजा
सुनाई
थी।
कसाब
को
21
नवंबर,
2012
को
पुणे
की
यरवडा
जेल
में
फांसी
दी
गई
थी।

हमें
बहुत
आश्चर्य
हुआ
कि
एविडेंस
कलेक्ट
करने
वाली
पाकिस्तान
की
इनवेस्टिगेटिव
एजेंसी
ने
साजिश
रचने
वाले
लश्कर-ए-तैयबा
के
हाफिज
सईद,
जकीउर
रहमान
लखवी
के
खिलाफ
कोई
आरोप-पत्र
दाखिल
नहीं
किया
था।
लश्कर-ए-तैयबा
को
अब
जमात-उद-दावा
कहते
हैं।

वहां
छोटे-मोटे
क्रिमिनल्स
के
खिलाफ
ट्रायल
चलाया
जा
रहा
था।
इसके
अलावा
इन-कैमरा
ट्रायल
चल
रहा
था।
दुनिया
में
किसी
को
पता
नहीं
था
कि
वहां
क्या
चल
रहा
है।
वहीं,
भारत
में
26/11
का
ट्रायल
ओपन
कोर्ट
में
चला
था।
मीडिया
को
इसकी
रिपोर्टिंग
की
परमिशन
थी।

उन्होंने
कहा
कि
सबूत
दो,
हमारे
पास
सबूत
नहीं
है।
हमने
कहा
भाई
सबूत
तो
आपको
ढूंढना
चाहिए,
क्योंकि
साजिश
आपके
यहां
रची
गई
थी।
सबूत
हम
कैसे
ढूंढेंगे।
उन्होंने
कहा
कि
आपने
हमारा
इन्वेस्टिगेशन
जॉइन
नहीं
किया
था।

मैंने
उनसे
कहा
कि
हमारे
यहां
एक
कहावत
है,
‘उल्टा
चोर
कोतवाल
को
डांटे’।
उन्होंने
(पाकिस्तान)
किसी
भी
तरह
सहयोग
करने
से
इनकार
कर
दिया।
हम
वापस

गए।

उसके
बाद
मैंने
पढ़ा
कि
डेविड
हेडली
ने
गवाही
दी
है,
जिसमें
उसने
पूरा
भंडाफोड़
किया
है।
डेविड
हेडली
की
गवाही
शिकागो
कोर्ट
में
हुई
थी।
उसे
सजा
भी
हुई।
मैंने
महाराष्ट्र
सरकार
के
पास
प्रस्ताव
रखा।
तब
देवेंद्र
फडणवीस
मुख्यमंत्री
थे।
उस
वक्त
मोदी
सरकार
ने
जो
मदद
की,
उसके
आधार
पर
मैंने
अमेरिका
जाकर
वीडियो
कॉन्फ्रेंस
के
जरिए
मुंबई
में
डेविड
हेडली
की
गवाही
कराई।

इसका
नतीजा
ये
हुआ
कि
डेविड
हेडली
ने
ऐसे
सनसनीखेज
खुलासे
कर
दिए,
जिनके
आधार
पर
साबित
हो
गया
कि
लश्कर-ए-तैयबा
के
तार
ISI
से
जुड़े
हैं।
इसके
लिए
डॉक्यूमेंट्री
एविडेंस
भी
पेश
किया।
डॉ.
जयशंकर
उस
वक्त
फॉरेन
सेक्रेटरी
थे।
हमने
उनसे
भी
बात
की
थी।
इसके
बाद
पूरा
डोजियर
पाकिस्तान
भेजा
था।
इसके
बावजूद
पाकिस्तान
ने
कुछ
नहीं
किया।

उसी
वक्त
मैंने
सोचा
कि
लीगल
फील्ड
में
तो
मैंने
45
साल
तक
प्रैक्टिस
की
है,
अब
देश
के
लिए
कुछ
करना
है।
राजनीति
में
मेरा
जन्म
सिर्फ
15-20
दिन
पहले
हुआ
है।
कानून
संसद
में
बनता
है
और
कानून
बनाने
के
लिए
मोदी
गवर्नमेंट
स्ट्रॉन्ग
गवर्नमेंट
है।


सवाल:
BJP
ने
आपके
लिए
पूनम
महाजन
का
टिकट
काट
दिया,
क्यों?
जवाब:

काटकर
शब्द
इस्तेमाल
नहीं
करना
चाहिए।
काटना,
यानी
उन
पर
कोई
इल्जाम
रखने
जैसा
है।
पूनम
जी
से
मेरी
अच्छी
पहचान
है।
उनके
पिताजी
प्रमोद
महाजन
की
हत्या
का
केस
मैंने
ही
लड़ा
था।
10
साल
तक
उन्होंने
इस
सीट
को
रिप्रजेंट
किया
है,
जिसे
अभी
मैं
करने
जा
रहा
हूं।
शायद
पार्टी
उन्हें
कोई
दूसरी
जिम्मेदारी
देना
चाहती
होगी।


सवाल:
सुनने
में

रहा
है
कि
वे
आपका
सपोर्ट
नहीं
कर
रही
हैं?
जवाब:

नहीं,
ऐसा
नहीं
है।
मैंने
उन्हें
फोन
भी
किया
था।
उन्होंने
मुझसे
कहा
था
कि
मैं
जल्द
जॉइन
करूंगी।
अब
ये
जल्द
कब
आता
है,
यह
उन
पर
निर्भर
है।


सवाल:
आप
हाई
प्रोफाइल
वकील
रहे
हैं।
अचानक
क्यों
लगा
कि
अब
पॉलिटिक्स
करनी
चाहिए?
जवाब:

पॉलिटिक्स
को
लोग
अलग
नजरिए
से
देखते
हैं।
पॉलिटिक्स
बुरी
नहीं
है।
पॉलिटिक्स
में
कुछ
लोग
ऐसे
आते
हैं,
जो
इसे
गंदा
करते
हैं।
उनके
काम
से
आम
आदमी
पॉलिटिक्स
को
देखता
है
कि
ये
बुरी
है,
इसमें
नहीं
आना
चाहिए।

महात्मा
गांधी
भी
तो
पॉलिटिक्स
में
थे।
अभी
मोदी
जी
के
सामने
देश
की
सुरक्षा
और
आम
आदमी
की
भलाई
दो
सबसे
बड़ी
प्राथमिकताएं
हैं,
तो
क्या
उन्हें
बुरा
कहेंगे।
विपक्ष
के
कुछ
लोग
ऐसा
कहते
हैं।
आज
डेमोक्रेसी
में
हर
व्यक्ति
को
स्वतंत्रता
है।
PM
मोदी
उन
पर
ध्यान
नहीं
देते
हैं।
मैंने
अभी
15-20
दिन
पहले
पॉलिटिक्स
शुरू
की
है।
इतने
में
ही
मुझ
पर
आरोप
लगा
दिया।


सवाल:
मुंबई
में
तो
बड़े-बड़े
नेता
हैं,
फिर
आपको
टिकट
कैसे
मिल
गई?
जवाब:

अभी
मैं
इतना
ही
बता
सकता
हूं
कि
ये
उनकी
मर्जी
थी।
उन्होंने
मुझे
चुना,
यह
मेरा
भाग्य
है।


सवाल:
एक
इंटरव्यू
में
आपने
कहा
कि
आप
वकील
नहीं
बनना
चाहते
थे,
लेकिन
बन
गए।
पॉलिटिशियन
मर्जी
से
बने
हैं
या
वकील
की
तरह
बस
बन
गए?
जवाब:

15-20
दिन
पहले
BJP
के
हाईकमान
ने
मुझसे
कहा
कि
आप
आइए।
पहले
मैं
इनकार
कर
रहा
था।
फिर
उन्होंने
कहा
कि
मन
बना
लो
क्योंकि
देश
को
आप
जैसे
लोगों
की
जरूरत
है।
मैंने
सोचा
कि
अभी
वकालत
तो
इतने
साल
कर
चुके
हैं।
इसलिए
चलो
इस
माध्यम
से
भी
लोगों
की
सेवा
करेंगे।
लोगों
को
यह
भी
बता
देंगे
कि
राजनीति
बुरी
नहीं
है।


सवाल:
IFS
अफसर
रहे
एस.
जयशंकर
विदेश
मंत्री
हैं।
बेंगलुरु
से
डॉ.
मंजूनाथ
और
मुंबई
से
आप
चुनाव
लड़
रहे
हैं।
क्या
अब
हेल्थ
मिनिस्टर
और
लॉ
मिनिस्टर
भी
अपनी-अपनी
फील्ड
के
एक्सपर्ट
होंगे?
जवाब:

राजनीति
में
सिर्फ
मंत्री
बनने
से
ही
प्रतिष्ठा
मिलती
है,
ये
झूठ
है।
आप
अच्छा
काम
करो,
देश
के
लिए
काम
करो,
संसद
में
आम
आदमी
के
सवाल
उठाओ,
संसद
में
देश
की
सुरक्षा
मजबूत
करो,
आप
अपने-आप
मंत्री
बन
जाओगे।
मैं
तो
वकील
हूं।
मुझे
जो
प्रतिष्ठा
वकील
की
हैसियत
से
मिली
है,
शायद
कम
लोगों
को
मिलती
है।


सवाल:
मुंबई
ब्लास्ट,
गुलशन
कुमार
मर्डर
केस,
मुंबई
अटैक,
अंडरवर्ल्ड
और
टेररिज्म
से
जुड़े
केस
लड़ते
वक्त
कभी
डर
नहीं
लगा?
जवाब:

मेरा
जन्म
हनुमान
जयंती
के
दिन
का
है।
मैं
विश्वास
करता
हूं
कि
मैं
कोई
पाप
नहीं
करता।
दूसरी
बात
मुझमें
खुद
इतनी
ताकत
है।
मैं
इसका
उदाहरण
भी
दूंगा।
मैं
जिसके
खिलाफ
ट्रायल
चलाता
हूं,
जिस
मुल्जिम
को,
दहशतगर्द
को
सजा
होती
है,
मेरे
बारे
में
उसके
दिल
में
कभी
बुरा
ख्याल
नहीं
आता
है।

अबू
सलेम
के
खिलाफ
मैंने
ट्रायल
चलाया
था।
उसे
उम्रकैद
की
सजा
हो
गई।
उसने
जेल
से
मुझे
एक
लेटर
लिखा
कि
निकम
आप
अच्छे
हो,
न्यायप्रिय
हो।
आपको
ताज्जुब
होगा
कि
उसने
मेरे
बारे
में
ऐसा
लेटर
कैसे
लिखा।

मैंने
उसे
बताया
कि
तुम
अच्छे
इंसान
थे।
बुरे
लोगों
के
साथ
फंसकर
बुरे
बन
गए।
तुम
बुरे
बने,
इसके
लिए
सजा
होना
जरूरी
है,
लेकिन
अगर
कुछ
अच्छाई
बची
है,
तो
जेल
में
अच्छे
से
रहना।
मैं
अपनी
कामयाबी
मानता
हूं
कि
उनके
दिल
में
कानून
के
प्रति
खौफ
तो
पैदा
होता
है,
लेकिन
उन्हें
मालूम
है
कि
ये
निकम
जी
ने
हमें
अच्छा
भी
कहा
था।


सवाल:
फिर
भी
परिवार
ने
नहीं
कहा
कि
ऐसे
केस
क्यों
लड़ते
हैं?
जवाब:

परिवार
को
तो
डर
लगता
ही
था।
मां
को,
पत्नी
को
डर
लगता
था।
बेटा
अनिकेत
वकील
है,
उसे
धमकियां
आती
थीं।
किसी
ने
मुझे
डायरेक्ट
धमकी
नहीं
दी,
मेरे
बेटे
को
दी
थी।
ऐसे
कई
मामले
मेरे
पास
हैं,
लेकिन
हमें
डरना
नहीं
है।
अगर
आप
अच्छा
काम
करते
हो,
तो
कोई
आपको
डरा
नहीं
सकता।


सवाल:
कांग्रेस
नेता
विजय
वडेट्टीवार
आरोप
लगा
रहे
हैं
कि
हेमंत
करकरे
को
अजमल
कसाब
की
नहीं,
एक
पुलिस
अफसर
की
गोली
लगी
थी।
आपने
ये
बात
कोर्ट
से
छिपाई।
पोस्टमॉर्टम
रिपोर्ट
में
क्या
आया
था?
जवाब:

कसाब
ने
मजिस्ट्रेट
के
सामने
इकबालिया
बयान
दिया
था
कि
मैं
और
अबू
इस्माइल
CST
स्टेशन
और
कामा
हॉस्पिटल
गए
थे।
कामा
हॉस्पिटल
लॉक
था।
वहां
से
बाहर
निकले,
तो
सामने
तय्यूब
जी
मार्ग
से
एक
पुलिस
जीप

रही
थी।
हमने
पुलिस
जीप
पर
फायरिंग
की।
पुलिस
ने
भी
जवाबी
फायरिंग
की
थी।

कुछ
देर
में
उनकी
फायरिंग
बंद
हो
गई।
फिर
हम
अंदर
गए।
जीप
में
सामने
की
तरफ
दो
पुलिसवालों
की
डेड
बॉडी
थी।
उन्हें
हमने
पीछे
डाल
दिया।

पीछे
वाले
सब
पुलिसवालों
की
डेथ
हो
गई
थी।
आगे
वाले
विजय
सालस्कर
और
अशोक
कामठे
थे।
हेमंत
करकरे
साहब
पीछे
थे।
ये
पूरा
घटनाक्रम
कसाब
ने
इकबालिया
बयान
में
बताया
है।

उसके
बाद
हमने
चश्मदीद
गवाह
को
एग्जामिन
किया।
उन्होंने
भी
यही
घटनाक्रम
बताया।
उस
जीप
में
एक
कॉन्स्टेबल
जिंदा
बचा
था।
उसने
मरने
का
नाटक
किया
था।
उसने
भी
पूरा
वाकया
बताया
है।
करकरे
साहब
के
शरीर
में
5
गोलियां
थीं।
वे
डीफोम
हो
गई
थीं।

कामठे
साहब
के
शरीर
से
निकली
गोलियां
अबू
इस्माइल
की
एके-46
राइफल
से
मैच
हो
गईं।
करकरे
को
लगी
गोलियां
डीफोम
होने
की
वजह
से
मैच
नहीं
हुईं।
कोर्ट
ने
ये
भी
कहा
कि
चश्मदीद
गवाह
भरोसेमंद
है,
तो
डीफोम
के
बारे
में
तवज्जो
नहीं
दी
जाती
है।

कसाब
ने
जो
बात
कबूली,
चश्मदीद
गवाह
ने
जो
बात
कही,
पाकिस्तान
ने
जो
बात
एक्सेप्ट
कर
ली,
उस
पर
हमारे
विपक्ष
के
नेता
इस
तरह
की
बयानबाजी
करते
हैं।
मेरी
उम्मीदवारी
घोषित
होते
ही
कह
दिया
कि
उज्ज्वल
निकम
देशद्रोही
है।
इस
बयान
पर
उनकी
और
कांग्रेस
की
पूरे
देश
में
आलोचना
हुई।

ये
बात
सही
है
कि
उस
आरोप
से
मैं
व्यथित
हुआ।
मैंने
उस
रात
खाना
नहीं
खाया।
ये
क्या
पागलपन
भरा
आरोप
है।
कोई
एविडेंस
नहीं,
जो
पूरा
देश
जानता
है,
पाकिस्तान
मानता
है
और
तुम
राजनीति
के
लिए
ऐसे
आरोप
लगाते
हो।
फिर
कांग्रेस
ने
कहा
कि
ये
हमारा
स्टेटमेंट
नहीं
है,
उनका
निजी
बयान
है।


सवाल:
आपकी
बात
से
तो
क्लियर
हो
रहा
है
कि
हेमंत
करकरे
को
जो
गोली
लगी
थी,
वो
पोस्टमॉर्टम
रिपोर्ट
में
मैच
नहीं
हुई
थी?
जवाब:

हां,
उन्हें
डीफोम
हुई
गोली
लगी
थी।
डीफोम
का
मतलब
है
कि
गोली
पहले
कहीं
लोहे
की
चीज
से
टकराई
और
फिर
रिबाउंड
हुई।
इससे
उसका
शेप
बदल
जाता
है।
इसे
एक्सपर्ट
ने
क्लैरिफाई
भी
किया
है।
विपक्ष
वाले
होमवर्क
नहीं
करते।
कोई
आरोप
लगाने
से
पहले
स्टडी
करना
चाहिए।


सवाल:
विजय
वडेट्टीवार
ने
तो
आपको
देशद्रोही
तक
कह
दिया?
जवाब:

इसका
जवाब
20
मई
को
मिलने
वाला
है।
आप
देखिए
क्या
लहर
चलती
है।
इस
आरोप
की
पूरे
देश
में
आलोचना
हुई
है।
प्रधानमंत्री
ने
भी
इसकी
आलोचना
की
है।
हमारा
देश
डेमोक्रेटिक
है।
मोदी
साहब
पर
भी
कभी-कभी
आरोप
लगाते
हैं।


सवाल:
चुनाव
के
वक्त
अजमल
कसाब
का
मुद्दा
क्यों
सामने

गया?
जवाब:

क्योंकि
पाकिस्तान
से
उन्हें
(कांग्रेस)
कुछ
तो
मटेरियल
मिला
होगा।
उस
मटेरियल
के
आधार
पर
वे
स्टोरी
बना
रहे
हैं।


सवाल:
क्या
मौजूदा
सरकार
कभी
दाऊद
को
वापस
ला
सकती
है?
जवाब:

पाकिस्तान
और
अपने
रिलेशन
कैसे
हैं,
सभी
को
मालूम
है।
वो
कराची
में
छिपा
है,
ये
भी
मालूम
है।
उसे
ISI
की
प्रोटेक्शन
मिली
है,
ये
भी
सभी
को
मालूम
है।
दाऊद
इब्राहिम
का
1993
के
ब्लास्ट
में
बड़ा
रोल
था।
अभी
देखते
हैं
कि
आगे
क्या
होता
है।
एक

एक
दिन
पाकिस्तान
को
लगेगा
कि
इस
पार्सल
को
भेजना
चाहिए,
तो
वे
जरूर
भेज
सकते
हैं।


सवाल:
अगर
सांसद
बन
गए
तो
संसद
में
कौन
सा
कानून
बनाने
या
संशोधन
का
प्रस्ताव
रखेंगे?
जवाब:

अभी
हमने
देखा
है
कि
बहुत
से
लोग
बैंक
को
चूना
लगाकर
विदेश
भाग
जाते
हैं।
हमारे
मित्र
देशों
से
एक्सट्रेडिशन
होने
के
बावजूद
हमें
मुश्किल
आती
है।
समय
बर्बाद
होता
है,
एक्सट्रेडिशन
संधि
होने
के
बावजूद
इतना
वक्त
लगता
है।
फॉरेन
कोर्ट
हमारी
जांच
में
मिले
एविडेंस
का
उनके
कानून
के
हिसाब
से
रिव्यू
करते
हैं।

मुझे
लगता
है
कि
ये
प्रोसीजर
सिंप्लिफाई
होना
चाहिए।
मैं
इसमें
संशोधन
करना
चाहता
हूं।
इस
तरह
के
मामलों
में
जल्द
से
जल्द
कार्रवाई
खत्म
हो,
इसके
लिए
क्या
कानून
कर
सकते
हैं।
मैं
जरूर
संसद
में
ऐसे
सवाल
उठाकर
चर्चा
करना
चाहूंगा।


सवाल:
शरद
पवार
ने
आपको
जलगांव
सीट
से
चुनाव
लड़ने
का
ऑफर
दिया
था,
तब
आपने
क्यों
इनकार
किया
था?
जवाब:

5
साल
पहले
मैं
राजनीति
में
आना
नहीं
चाहता
था।
पवार
साहब
का
तो
मैं
शुक्रगुजार
हूं
कि
उन्होंने
मुझे
कहा
कि
आप
जलगांव
लोकसभा
क्षेत्र
से
चुनाव
में
खड़े
हो
जाओ।
तब
BJP
ने
भी
कहा
था,
लेकिन
मैंने
इनकार
कर
दिया।
इस
वक्त
BJP
ने
मुझे
मना
लिया।
उन्होंने
कहा
कि
आप
कितने
साल
तक
वकालत
करते
रहोगे।
आपको
भी
नई
फील्ड
में
आना
चाहिए।

मुझे
लगा
कि
चलो
ठीक
है।
हम
यहां
स्पार्क
दिखाएंगे,
लेकिन
मुझे
मालूम
नहीं
था
कि
राजनीति
में
आने
के
बाद
ऐसे
घिनौने
आरोप
बिना
किसी
सबूत
और
लॉजिकल
एविडेंस
के
लगाए
जाएंगे।
ठीक
है,
अब
तक
मैं
बड़े-बड़े
क्रिमिनल
से
लड़ता

रहा
था,
तो
ऐसे
आरोपों
से
थोड़े
ही
डरने
वाला
हूं।


उज्ज्वल
निकम
के
सामने
कांग्रेस
की
वर्षा
गायकवाड़

कांग्रेस
ने
वर्षा
गायकवाड़
को
मुंबई
नॉर्थ
सेंट्रल
सीट
से
उम्मीदवार
बनाया
है।
वर्षा
मुंबई
कांग्रेस
की
अध्यक्ष
हैं।
वे
धारावी
सीट
से
चार
बार
विधायक
चुनी
गई
हैं।
वर्षा
के
पिता
एकनाथ
गायकवाड़
भी
तीन
बार
सांसद
रहे।

वर्षा
कहती
हैं,
‘मैं
चार
बार
से
चुनकर

रही
हूं।
इस
जिले
का
इतिहास
ऐसा
है
कि
महिला
यहां
से
हमेशा
जीतते
आई
है।
मुंबई
की
नेता
होने
की
वजह
से
लोकल
मुद्दे
मुझे
मालूम
हैं।’


एक्सपर्ट
बोले-
राज
ठाकरे
की
वजह
से
BJP
के
वोट
घटेंगे

सीनियर
जर्नलिस्ट
सैयद
सलमान
कहते
हैं,
‘नॉर्थ
सेंट्रल
मुंबई
सीट
पर
BJP
का
संगठन
पहले
से
तैयार
था।
हालांकि
उज्ज्वल
निकम
थोड़ी
देर
से
आए।
उनके
लिए
फायदे
की
बात
ये
है
कि
BJP
का
पूरा
संगठन
काम
में
लगा
है।’

‘दूसरी
ओर
वर्षा
गायकवाड़
को
महिलाओं
के
वोट
मिल
सकते
हैं।
उनके
साथ
दलित,
मुस्लिम
और
शिवसेना
(UBT)
के
कोर
वोटर
भी
हैं।
एक
फैक्टर
पूनम
महाजन
का
है।
प्रमोद
महाजन
की
वजह
से
शिवसेना
के
कार्यकर्ता
पूनम
महाजन
से
इमोशनल
अटैचमेंट
रखते
थे।
पूनम
के

होने
से
वे
वर्षा
गायकवाड़
के
साथ
हो
गए
हैं।’

हालांकि,
BJP
प्रवक्ता
अजय
सिंह
उत्तर
भारतीयों
की
नाराजगी
की
बात
नकार
देते
हैं।
वे
कहते
हैं,
’यूपी
में
योगी
जी
के
नेतृत्व
में
हो
रहे
विकास
और
मोदी
जी
के
वाराणसी
से
सांसद
होने
का
असर
यहां
है।
BJP
ने
मुंबई
में
रहने
वाले
कृपाशंकर
सिंह
को
जौनपुर
से,
वाशी
में
रहने
वाले
वीपी
सरोज
को
मछलीशहर
से,
अंधेरी
में
रहने
वाले
संगमलाल
गुप्ता
को
प्रतापगढ़
से
टिकट
दिया
है।
इसलिए
मुंबई
का
उत्तर
भारतीय
समाज
BJP
के
साथ
है।’


हिंदुत्व
के
नाम
पर
शिवसेना
का
वोटर
एक
हुआ
तो
BJP
को
फायदा

सीनियर
जर्नलिस्ट
आदित्य
दुबे
कहते
हैं,
‘उद्धव
ठाकरे
का
घर
मातोश्री
इसी
लोकसभा
क्षेत्र
में
आता
है।
इस
वजह
से
उनके
लिए
ये
सीट
नाक
की
लड़ाई
है।
दूसरी
तरफ
BJP
राष्ट्रवाद
के
मुद्दे
पर
चुनाव
लड़
रही
है।
हालांकि,
कांग्रेस
को
मुंबई
में
जीत
की
सबसे
ज्यादा
उम्मीद
इसी
सीट
से
है।’


स्टोरी
में
सहयोग:
अजित
रेडेकर,
प्रिंसिपल
फोटोग्राफर
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