‘उन्होंने
(उद्धव
ठाकरे)
बालासाहेब
के
विचारों
को
छोड़
दिया
और
सावरकर
का
अपमान
करने
वाली
कांग्रेस
के
साथ
बैठ
गए।
शिवसेना
कांग्रेसमय
हो
रही
थी,
इसलिए
हमारे
पास
कोई
और
विकल्प
नहीं
था।
हमने
वही
किया,
जो
सही
था
और
BJP
के
साथ
सरकार
बनाई।’
.
महाराष्ट्र
के
मुख्यमंत्री
एकनाथ
शिंदे
मानते
हैं
कि
उद्धव
कांग्रेस
के
करीब
न
गए
होते,
तो
शिवसेना
नहीं
टूटती।
वे
कहते
हैं
कि
उद्धव
मिलने
का
वक्त
नहीं
देते
थे।
बात
तक
नहीं
करते
थे।
शिंदे
ये
भी
मानते
हैं
कि
शरद
पवार
उन्हें
CM
बनाने
के
लिए
राजी
हो
गए
थे।
महाराष्ट्र
की
सभी
48
सीटों
पर
वोटिंग
हो
चुकी
है।
एकनाथ
शिंदे
की
शिवसेना
15
सीटों
पर
चुनाव
लड़
रही
है।
इस
बीच
दैनिक
भास्कर
ने
उनसे
पार्टी
तोड़ने,
BJP
से
गठबंधन
और
उद्धव
ठाकरे
से
रिश्तों
पर
बात
की।
पढ़िए
और
देखिए
पूरा
इंटरव्यू…
20
मई
को
महाराष्ट्र
में
5वें
फेज
की
वोटिंग
थी।
CM
एकनाथ
शिंदे
ने
ठाणे
के
एक
पोलिंग
बूथ
में
वोट
डाला।
एकनाथ
शिंदे
ठाणे
की
ही
कोपरी-पाचपाखाडी
सीट
से
विधायक
हैं।
सवाल:
उद्धव
ठाकरे
से
आपका
किस
बात
पर
मनमुटाव
था?
जवाब:
हमारा
मतभेद
आइडियोलॉजी
का
था।
हम
बालासाहेब
की
विचारधारा
से
जुड़े
शिवसैनिक
हैं।
उद्धव
के
मुख्यमंत्री
रहते
शिवसेना
कमजोर
हो
रही
थी।
शिवसैनिकों
को
जेल
जाना
पड़
रहा
था।
प्रोजेक्ट
बंद
हो
रहे
थे।
व्यापारी
और
उद्योगपति
परेशान
थे।
ऐसी
स्थिति
में
हम
चिंतित
थे
कि
अगला
चुनाव
कैसे
लड़ेंगे।
उद्धव
की
नेतृत्व
क्षमता
में
कमी
थी,
इसलिए
हमने
उनका
साथ
छोड़ा।
BJP
और
शिवसेना
ने
साथ
मिलकर
चुनाव
लड़ा
था।
लोगों
ने
बालासाहेब
ठाकरे-नरेंद्र
मोदी
के
नाम
पर
वोट
दिए
थे,
लेकिन
सरकार
कांग्रेस
और
शरद
पवार
के
साथ
बनी।
उद्धव
को
पता
था
कि
BJP
के
साथ
रहने
पर
वे
मुख्यमंत्री
नहीं
बन
पाएंगे।
देवेंद्र
फडणवीस
ने
कई
बार
संपर्क
करने
की
कोशिश
की,
लेकिन
उद्धव
ने
जवाब
नहीं
दिया।
रिजल्ट
के
दिन
ही
उद्धव
ने
मुख्यमंत्री
बनने
का
फैसला
कर
लिया
था,
भले
ही
उन्हें
कांग्रेस
के
साथ
जाना
पड़े।
सवाल:
आदित्य
ठाकरे
और
संजय
राउत
कहते
हैं
कि
शिवसेना
तोड़ने
का
पूरा
प्लान
आपका
था।
आपने
ये
तब
किया,
जब
उद्धव
ठाकरे
हॉस्पिटल
में
थे?
जवाब:
हम
जिस
दिन
उनसे
अलग
हुए,
उद्धव
ठाकरे
विधानभवन
में
बैठे
थे
और
चुनाव
का
मैनेजमेंट
कर
रहे
थे।
वे
सिंपैथी
लेने
के
लिए
ऐसा
कह
रहे
हैं।
हमने
उन्हें
कई
बार
बताया
कि
ये
सरकार
नहीं
चलेगी।
हमें
BJP
के
साथ
गठबंधन
कर
सरकार
बनानी
चाहिए।
हम
सब
बोलकर
गए
हैं,
कुछ
भी
चुपचाप
नहीं
किया
है।
हम
डरकर
भागने
वालों
में
से
नहीं
है।
वे
(उद्धव)
बार-बार
कहते
थे
कि
एक
शिवसैनिक
को
CM
बनाना
है,
मुझे
बालासाहेब
का
सपना
पूरा
करना
है।
अगर
मुझे
CM
नहीं
बना
सकते
थे,
तो
किसी
और
को
बना
देते।
सवाल:
संजय
राउत
जिस
तरह
आपकी
सरकार
के
खिलाफ
बोलते
हैं,
आपको
लगता
है
कि
उन्हें
फ्री
हैंड
दिया
गया
है?
जवाब:
संजय
राउत
खुद
नहीं
बोलते,
उनसे
बुलवाया
जाता
है।
मिल
में
जैसे
सुबह-सुबह
भोंगा
(लाउडस्पीकर)
बजता
था,
वैसे
ही
संजय
राउत
के
घर
पर
बजता
है।
सवाल:
आप
बालासाहेब
के
बहुत
करीब
थे।
उनकी
नजर
में
राज
ठाकरे
ज्यादा
मजबूत
नेता
थे
या
उद्धव
ठाकरे?
जवाब:
राज
ठाकरे।
1995
के
चुनाव
के
बाद
राज
ठाकरे
ने
बालासाहेब
के
साथ
कई
सभाएं
की
थीं।
उतनी
मेहनत
करने
वाले
राज
ठाकरे
ही
थे।
सवाल:
क्या
ये
सच
है
कि
उद्धव
ठाकरे
के
दबाव
में
राज
ठाकरे
को
साइडलाइन
किया
गया?
जवाब:
बिल्कुल
सही
है।
बालासाहेब
ठाकरे
पर
उस
समय
उद्धव
बहुत
दबाव
बनाते
थे।
बार-बार
राज
को
पार्टी
से
निकालने
की
बात
करते
थे।
उद्धव
को
राज
से
इनसिक्योरिटी
थी,
इसलिए
पहले
राज
और
फिर
उनके
भाई
जयदेव
ठाकरे,
स्मिता
ठाकरे
गईं।
इसके
बाद
नारायण
राणे,
छगन
भुजबल,
गणेश
नायक
भी
गए।
क्या
सभी
लोग
गलत
थे
और
अकेले
यही
सही
हैं।
सवाल:
उद्धव
और
बाला
साहेब
ठाकरे
के
काम
के
तरीके
में
क्या
अंतर
है?
जवाब:
बालासाहेब
ठाकरे
महान
थे।
उन
जैसा
फिर
नहीं
हो
सकता।
वे
कार्यकर्ता
के
पीछे
खड़े
रहते
थे।
उसे
ताकत
देते
थे,
उसे
बढ़ाते
थे।
ऐसे
पार्टी
बढ़ती
है,
कार्यकर्ता
कुछ
भी
करने
को
तैयार
होता
है,
पार्टी
के
लिए
मर-मिटने
को
तैयार
होता
है।
कार्यकर्ताओं
ने
पूरा
घर-बार
छोड़कर
पार्टी
को
बड़ा
किया।
इन्होंने
क्या
किया।
सवाल:
अगर
पिछली
सरकार
के
दौरान
गलत
काम
होते
थे,
तो
आप
उन्हें
टोकते
नहीं
थे?
जवाब:
मैं
मुख्यमंत्री
नहीं
था,
लेकिन
हम
हमेशा
इंडस्ट्री
को
बढ़ाने
के
पक्ष
में
रहे
हैं।
सवाल:
क्या
उद्धव
ठाकरे
आपकी
सुनते
नहीं
थे?
जवाब:
वे
मिलते
ही
नहीं
थे
किसी
से,
तो
क्या
सुनते।
सवाल:
आपसे
भी
नहीं
मिलते
थे?
जवाब:
उन्हें
जिससे
बात
करना
होता
था,
उसी
से
बात
करते
थे।
सवाल:
कहा
जाता
है
कि
उद्धव
ठाकरे
ने
आपको
कई
घंटे
इंतजार
करवाया
था?
जवाब:
ये
अब
पुरानी
बात
हो
गई।
हालांकि,
मंत्रियों
और
विधायकों
से
मुख्यमंत्री
को
तुरंत
मिलना
चाहिए।
वे
दो-ढाई
साल
में
सिर्फ
दो
बार
मंत्रालय
गए।
ऐसे
सरकार
नहीं
चलती।
सवाल:
आदित्य
ठाकरे
कहते
हैं
कि
आपने
उनसे
रोते
हुए
कहा
था
कि
हम
BJP
में
नहीं
जाएंगे,
तो
हमारे
लोग
अरेस्ट
हो
जाएंगे?
जवाब:
वो
बच्चा
है,
उसके
बारे
में
मैं
बात
नहीं
करूंगा।
वो
मेरे
श्रीकांत
की
उम्र
का
है।
उसकी
जितनी
उम्र
नहीं,
उतना
मैंने
पार्टी
के
लिए
काम
किया
है।
मैंने
उसे
महाराष्ट्र
में
सब
जगह
घुमाया
है।
उसके
पास
बात
करने
की
संस्कृति
नहीं।
मेरा
बेटा
ऐसे
बात
नहीं
करता
है।
हमें
बालासाहेब
ठाकरे
और
आनंद
दिघे
जी
ने
संस्कृति
सिखाई
है।
ये
बात
करने
का
तरीका
नहीं
है,
वे
अपनी
पार्टी
को
गड्ढे
में
डाल
रहे
हैं।
सवाल:
आदित्य
कहते
हैं
कि
शिवसेना
को
आपने
धोखा
दिया
और
आपकी
सरकार
अवैध
है?
जवाब:
मैं
पहले
दिन
मुख्यमंत्री
बना,
मेरी
सरकार
तभी
से
उनके
लिए
अवैध
है।
रोज
बोलते
थे
अभी
गिरेगी,
अभी
गिरेगी,
पर
दो
साल
हो
गए।
उसके
बाद
बोलते
थे
मुख्यमंत्री
बदलेगा,
मुख्यमंत्री
बदलेगा
और
मैं
तो
काम
कर
रहा
हूं।
मैं
उनकी
तरफ
ध्यान
नहीं
देता।
धोखा
तो
उन्होंने
दिया।
2019
में
उन्होंने
पूरे
महाराष्ट्र
की
जनता
को
धोखा
दिया।
मित्र
पक्ष
के
साथ
धोखा
किया।
उन्होंने
बालासाहेब
ठाकरे
और
उनके
विचारों
के
साथ
धोखा
किया।
मैंने
तो
अलग
होकर
शिवसेना
और
धनुष-बाण
को
बचाया
है।
शरद
पवार
ने
उन्हें
मुख्यमंत्री
बनाया।
हालांकि,
इनका
सजेशन
मेरे
नाम
को
लेकर
था।
उन्होंने
कहा
था
कि
वे
मुझे
या
किसी
को
अपना
कैंडिडेट
बना
सकते
हैं।
दिल्ली
में
PM
मोदी
से
मिलने
के
बाद
इन्होंने
(उद्धव)
पवार
साहब
को
भी
धोखा
देने
का
मन
बना
लिया
था।
उन्होंने
पहले
धोखा
देने
के
बाद
मोदी
जी
के
साथ
आने
का
ऑफर
स्वीकार
किया
था।
पवार
साहब
ने
उन्हें
बनाया,
उन्हें
भी
ये
धोखा
देने
की
सोच
रहे
थे।
ऐसे
में
बड़ा
धोखेबाज
कौन
है,
मैं
या
वो।
सवाल:
क्या
BJP
उद्धव
को
CM
पद
का
ऑफर
कर
रही
थी?
जवाब:
क्यों
करेगी।
ये
पहले
ढाई
साल
के
लिए
CM
पद
मांग
रहे
थे,
लेकिन
BJP
ने
उन्हें
कोई
कमिटमेंट
नहीं
किया
था।
सवाल:
BJP
को
तो
CM
पद
चाहिए
नहीं
था।
उन्होंने
आपको
दे
दिया।
यही
उद्धव
को
दे
देते,
तो
आज
शायद
पूरी
शिवसेना
साथ
होती?
जवाब:
एग्रीमेंट
हवा
में
नहीं
होता
है।
देवेंद्र
फडणवीस
ने
इन्हें
50
बार
फोन
किया।
मैंने
खुद
इनसे
कहा
कि
देवेंद्र
जी
के
साथ
बैठो।
ये
हमारे
25
साल
पुराने
मित्र
थे।
अगर
ये
सही
से
मांगते,
तो
उन्हें
CM
पद
आसानी
से
मिल
जाता।
इन्हें
अगर
ढाई
साल
के
लिए
पद
चाहिए
था,
तो
बातचीत
के
लिए
बैठना
चाहिए
था।
वे
मुझसे
कहते
थे
कि
मैं
BJP
से
उनके
CM
पद
के
लिए
बात
करूं।
मैं
पार्टी
का
मुखिया
नहीं
था।
इसके
बाद
बोले
कि
मुझे
उन
पर
भरोसा
नहीं
है।
वे
पहले
वाला
ढाई
साल
चाहते
थे।
उन्हें
बात
करनी
ही
नहीं
थी,
उन्हें
इसी
रास्ते
पर
जाना
था।
सब
पहले
से
तय
था।
सवाल:
PM
कहते
हैं
कि
कांग्रेस
के
साथ
मरने
से
अच्छा
है
कि
शरद
पवार
और
उद्धव
ठाकरे
फिर
अजित
पवार-एकनाथ
शिंदे
के
साथ
आ
जाएं।
अगर
उद्धव
आते
हैं,
तो
क्या
उनके
साथ
खड़े
होंगे?
जवाब:
मोदी
जी
ने
प्रादेशिक
पार्टियों
के
कांग्रेस
में
विलीन
होने
के
उनके
बयान
पर
ये
बात
कही
थी।
शरद
पवार
सोच-समझकर
बात
करते
हैं।
ऐसा
स्टेटमेंट
तब
आता
है,
जब
क्षेत्रीय
पार्टियां
कमजोर
हो
जाती
हैं।
इसके
बाद
वे
राष्ट्रीय
पार्टियों
में
विलीन
होने
की
बात
करती
हैं।
इसका
मतलब
ये
है
कि
उन्होंने
एक्सेप्ट
कर
लिया
है
कि
वे
कमजोर
हो
गए
हैं।
वे
सुबह-शाम,
उठते-बैठते
एकनाथ
शिंदे
को
100-100
गालियां
देते
हैं।
सवाल:
आपको
लगता
है
कि
वाकई
ये
पार्टियां
कांग्रेस
में
विलीन
हो
जाएंगी?
जवाब:
ये
कांग्रेस
के
सामने
लीन
हो
चुके
हैं,
अब
सिर्फ
विलीन
होना
बाकी
है।
ये
फारूक
अब्दुल्ला
के
बगल
में
बैठते
हैं,
जो
कहते
हैं
कि
पाकिस्तान
ने
चूड़ियां
नहीं
पहनी
हैं।
कांग्रेस
बोलती
है
कि
हेमंत
करकरे
कसाब
की
गोली
से
नहीं
मरे,
उनकी
शहादत
नहीं
हुई।
तुकाराम
ओंबले
ने
कसाब
की
पूरी
गोलियां
पेट
में
खाई
थीं
और
इन्होंने
उनकी
शहादत
पर
सवाल
खड़ा
किया
है।
1993
धमाकों
के
आरोपी
इनकी
रैली
में
घूम
रहे
हैं।
रैली
में
पाकिस्तान
के
झंडे
लहरा
रहे
हैं।
याकूब
मेमन
के
लोग
इनके
ऑफिस
में
नजर
आ
रहे
हैं।
सवाल:
आनंद
दिघे
आपके
गुरु
थे।
आपको
लगता
है
कि
ठाकरे
परिवार
की
ओर
से
जो
सम्मान
उन्हें
मिलना
चाहिए
था,
वह
उन्हें
मिला?
जवाब:
आनंद
दिघे
साहेब
का
व्यक्तित्व
बहुत
अलग
था।
वे
बालासाहेब
को
अपना
सर्वस्व
मानते
थे।
उनकी
पॉपुलैरिटी
इनके
दिल
में
चुभती
थी।
नीचे
के
नेता
उनसे
जलते
थे।
वे
मास
लीडर
थे।
इन्हें
ऐसा
नेता
नहीं
चाहिए
था।
इन्हें
हां
में
हां
मिलाने
वाला
नेता
चाहिए।
आनंद
दिघे
जब
नहीं
रहे,
तब
मेरी
इनसे
मुलाकात
हुई
तो
इन्होंने
पहला
सवाल
किया
कि
दिघे
साहब
की
प्रॉपर्टी
कहां-कहां
है।
वे
फकीर
आदमी
थे,
उनका
बैंक
में
अकाउंट
तक
नहीं
था।
फोटो
में
एकनाथ
शिंदे
शिवसेना
नेता
आनंद
दिघे
के
साथ
हैं।
आनंद
दिघे
ने
ही
एकनाथ
शिंदे
को
राजनीति
में
आगे
बढ़ाने
में
अहम
भूमिका
निभाई
थी।
सवाल:
विपक्ष
कह
रहा
है
कि
महाराष्ट्र
से
कई
प्रोजेक्ट्स,
यहां
तक
कि
वर्ल्ड
कप
का
फाइनल
मैच
भी
गुजरात
चला
गया?
जवाब:
हम
काम
करने
वाले
लोग
हैं
और
वे
घर
बैठने
वाले
हैं।
सिर्फ
फेसबुक
लाइव
से
सरकार
और
राज्य
नहीं
चलता
है।
हम
24X7
ग्राउंड
पर
काम
करते
हैं।
वेदांता
और
टाटा
यहां
से
गए,
तब
हमारी
सरकार
को
आए
सिर्फ
2
महीने
हुए
थे।
क्या
दो
महीने
में
कोई
बड़ी
कंपनी
यहां
से
वहां
चली
जाती
है।
उसे
निर्णय
लेने
में
6
महीने
से
एक
साल
का
समय
लगता
है।
वेदांता
यहां
से
जा
रही
थी,
तब
हमने
PM
से
बात
की
थी।
उनका
कहना
था
कि
महाविकास
अघाड़ी
सरकार
से
उन्हें
सपोर्ट
नहीं
मिल
रहा
था।
जिसे
सपोर्ट
नहीं
मिलेगा,
वो
कैसे
इन्वेस्ट
करेगा।
उनके
(उद्धव
ठाकरे)
जमाने
में
मुकेश
अंबानी
के
घर
के
नीचे
बम
रखे
गए।
उद्योगपतियों
के
घर
प्रोटेस्ट
हुए।
ऐसे
में
यहां
इंडस्ट्रीज
कैसे
रहेंगी।
सवाल:
आप
महाराष्ट्र
के
पोस्टर
बॉय
हैं।
सीटें
कम
होती
हैं,
तो
क्या
जिम्मेदारी
भी
लेंगे?
जवाब:
हमारा
आकलन
45
सीटों
का
है।
हम
पिछली
बार
से
ज्यादा
सीटें
जीतेंगे।
हमें
अपने
काम
की
वजह
से
पूरा
कॉन्फिडेंस
है।
लोग
उसे
वोट
करते
हैं,
जो
काम
करता
है,
न
कि
घर
बैठने
वालों
को
या
सिर्फ
गालियां
देने
वालों
को।
लोगों
को
निचले
स्तर
की
भाषा
इस्तेमाल
करने
वाले
अच्छे
नहीं
लगते।
ये
पर्सनल
आरोप
लगाते
हैं,
गाली-गलौज
करते
हैं।
उन्हें
(उद्धव)
हजम
नहीं
हो
रहा
है
कि
एकनाथ
शिंदे
मुख्यमंत्री
और
मोदी
जी
प्रधानमंत्री
बन
गए
हैं।
वे
दिन-रात
मोदी
और
एकनाथ
शिंदे
को
गाली
देते
हैं।
सवाल:
आपके
ज्यादातर
कैंडिडेट
शिवसेना
(UBT)
के
खिलाफ
हैं,
कोई
खास
स्ट्रैटजी
है
क्या?
जवाब:
ऐसा
नहीं
है।
हमारे
13
सांसदों
को
उनका
चुनाव
क्षेत्र
देना
ही
था।
हम
तो
किसी
के
साथ
भी
लड़ने
को
तैयार
हैं।
सवाल:
आरोप
है
कि
आपके
बेटे
की
सीट
कल्याण
से
शिवसेना
(UBT)
ने
कमजोर
उम्मीदवार
उतारा
है।
बदले
में
आपने
ठाणे
में
कमजोर
उम्मीदवार
को
टिकट
दिया
है?
जवाब:
क्या
नरेश
म्हस्के
कमजोर
उम्मीदवार
हैं।
वे
हमारे
जिला
प्रमुख
हैं,
आनंद
दिघे
और
बालासाहेब
के
सच्चे
कार्यकर्ता
हैं।
हमने
एक
कार्यकर्ता
को
टिकट
दिया
है।
वो
इतने
वोटों
से
जीतेगा
कि
सामने
वाले
का
नामोनिशान
खत्म
हो
जाएगा।
कैंडिडेट
कोई
भी
हो,
उससे
फर्क
नहीं
पड़ता।
खुद
के
स्वार्थ
के
लिए
ऐसा
कॉम्प्रोमाइज
हम
नहीं
करते।
सवाल:
महायुति
में
सीटों
का
बंटवारा
कौन
करता
था?
जवाब:
पहले
तो
हम
ग्राउंड
वर्क
करते
थे
और
फिर
फाइनली
अमित
भाई
शाह
सीटों
का
बंटवारा
करते
थे।
सवाल:
आपने
BJP
के
साथ
मिलकर
सरकार
बनाई,
सब
सही
चल
रहा
था,
फिर
अजित
पवार
का
साथ
लेने
की
जरूरत
क्यों
पड़ी?
जवाब:
कभी-कभी
पॉलिटिकल
एडजस्टमेंट
करना
पड़ता
है।
सामने
से
लोग
रोजाना
गाली
दे
रहे
थे,
आरोप
लगा
रहे
थे,
तब
अजित
दादा
पवार
हमारे
साथ
आए।
उन्होंने
मोदी
जी
के
नेतृत्व
पर
विश्वास
जताया।
वे
भी
काम
करने
वाले
कार्यकर्ता
हैं।
उन्होंने
मोदी
जी
का
काम
देखा
है,
इसलिए
वे
हमारे
साथ
आ
गए।
सवाल:
आपको
नहीं
लगता
कि
अगर
अजित
पवार
साथ
में
नहीं
आते,
तो
उनकी
हिस्से
में
गईं
चार
सीटें
आपको
मिलतीं?
जवाब:
इसमें
क्या
दिक्कत
है,
हम
साथ
काम
कर
रहे
हैं।
देखना
चाहिए
कि
हमारा
टारगेट
क्या
है,
हमारा
फोकस
और
लक्ष्य
क्या
है।
हमारा
लक्ष्य
मोदी
जी
को
तीसरी
बार
प्रधानमंत्री
बनाना
और
महाराष्ट्र
में
ज्यादा
सीटें
देकर
उन्हें
मजबूत
करना
है।
फिर
किसे
कितना
मिला,
ये
बहुत
कम
मायने
रखता
है।
फोटो
17
मई
की
है।
यहां
लोकसभा
के
5वें
फेज
की
वोटिंग
से
पहले
NDA
ने
रैली
की
थी।
इसमें
CM
एकनाथ
शिंदे,
डिप्टी
CM
अजित
पवार
और
देवेंद्र
फडणवीस
के
साथ
मनसे
चीफ
राज
ठाकरे
दिख
रहे
हैं।
सवाल:
मनसे
भी
अब
महायुति
का
पार्ट
है,
विधानसभा
चुनाव
में
उसे
भी
सीटें
देनी
पड़ेंगी?
जवाब:
अभी
उसे
जाने
दीजिए,
ये
आगे
की
बात
है।
सवाल:
महायुति
में
सहयोगी
छगन
भुजबल
क्या
आपसे
नाराज
चल
रहे
हैं?
जवाब:
मैं
अभी
उनसे
बात
करके
आया
हूं।
वे
हमारे
उम्मीदवार
के
लिए
काम
कर
रहे
हैं।
सवाल:
लेकिन
वे
नासिक
के
रोड-शो
में
नजर
नहीं
आए?
जवाब:
ऐसा
नहीं
है।
वे
सभी
मीटिंग
और
सभा
में
शामिल
हो
रहे
हैं।
सवाल:
PM
मोदी
कहते
हैं
कि
राम
मंदिर
उनके
लिए
मुद्दा
नहीं
है,
क्या
आपके
लिए
मुद्दा
है?
जवाब:
बालासाहेब
कहते
थे
कि
राम
मंदिर
श्रद्धा
की
बात
है।
ये
हिंदू
अस्मिता
का
मुद्दा
है,
ये
राजनीतिक
मुद्दा
नहीं
हो
सकता
है।
करोड़ों
राम
भक्त
500
साल
से
इसका
इंतजार
कर
रहे
थे।
बालासाहेब
कहते
थे
कि
मुझे
एक
दिन
के
लिए
प्रधानमंत्री
बना
दो,
मैं
राम
मंदिर
बना
दूंगा,
आर्टिकल-370
हटा
दूंगा।
मोदी
जी
ने
इस
सपने
को
पूरा
कर
दिया,
लेकिन
उन्होंने
(उद्धव
ठाकरे)
आनंद
व्यक्त
नहीं
किया।
वे
सोचते
हैं
कि
अगर
खुशी
जाहिर
करेंगे,
तो
कांग्रेस
नाराज
हो
जाएगी।
ये
कैसी
मजबूरी
है।
सवाल:
आपने
मनोज
जरांगे
पाटिल
को
मराठा
आरक्षण
देने
का
वादा
किया
था,
फिर
भी
वे
नाराज
क्यों
हैं?
जवाब:
पिछली
सरकारों
ने
मराठा
समाज
को
आरक्षण
नहीं
दिया।
हमने
2014
में
मराठा
आरक्षण
दिया
था,
जिसे
हाईकोर्ट
ने
भी
मान्यता
दी
थी।
महाविकास
अघाड़ी
सरकार
के
दौरान
सुप्रीम
कोर्ट
ने
इसे
खारिज
कर
दिया।
हमारी
सरकार
का
पहला
मुद्दा
मराठा
आरक्षण
था।
हमने
मराठा
समाज
की
सामाजिक
और
शैक्षिक
पिछड़ेपन
को
साबित
करने
के
लिए
सर्वे
किया।
हमने
मराठवाड़ा
में
कुनबी
प्रमाण
पत्र
देना
शुरू
किया,
जस्टिस
शिंदे
कमेटी
बनाई।
मनोज
जरांगे
पाटिल
की
एक
मांग
पर
6
लाख
आपत्तियां
आई
हैं,
जिसकी
जांच
चल
रही
है।
हमारा
लक्ष्य
OBC
समाज
को
नुकसान
पहुंचाए
बिना,
मराठा
समाज
को
आरक्षण
देना
है।
27
जनवरी,
2024
को
मुख्यमंत्री
एकनाथ
शिंदे
नवी
मुंबई
के
शिवाजी
चौक
में
मनोज
जरांगे
पाटिल
से
मिलने
पहुंचे
थे।
इस
दौरान
उन्होंने
आरक्षण
के
नोटिफिकेशन
का
कागज
पाटिल
को
सौंपा
था।
सवाल:
आप
मनोज
जरांगे
पाटिल
को
मना
लेंगे?
जवाब:
मनोज
जरांगे
पाटिल
पॉलिटिकल
आदमी
नहीं
हैं।
उनकी
लड़ाई
सिर्फ
इतनी
है
कि
उनके
समाज
को
आरक्षण
मिलना
चाहिए।
हमारी
बातचीत
हो
जाएगी।
सवाल:
मनोज
जरांगे
के
आंदोलन
का
तरीका
ठीक
लगता
है?
जवाब:
नहीं,
मैंने
उन्हें
बहुत
बार
कहा
है
कि
किसी
भी
समस्या
का
हल
तुरंत
नहीं
निकलता।
हर
समस्या
का
हल
होता
है।
इसका
भी
है।
सवाल:
उद्धव
कहते
हैं
कि
5
जून
के
बाद
मोदी
राजनीति
से
संन्यास
लेंगे?
जवाब:
उद्धव
का
बैलेंस
बिगड़
गया
है।
वे
दिन-रात
मोदी
जी
के
नाम
का
जप
करते
रहते
हैं
और
उनके
लिए
निचले
स्तर
की
भाषा
का
प्रयोग
करते
हैं।
मोदी
जी
इतने
बड़े
नेता
और
देश
के
प्रधानमंत्री
हैं।
मोदी
जी
प्रधानमंत्री
बनेंगे।
जनता
उनके
साथ
है,
क्योंकि
वे
काम
करते
हैं।
10
साल
में
मोदी
जी
ने
एक
भी
छुट्टी
नहीं
ली
है,
जबकि
उद्धव
6
महीने
में
लंदन
घूमकर
आए
हैं।
2014-19
में
भी
मोदी
जी
को
गालियां
दी
गईं,
लेकिन
विपक्ष
के
सांसद
कम
ही
आए।
अब
भी
वही
होगा।
सवाल:
विपक्ष
कहता
है
कि
BJP
400
सीट
जीतने
पर
संविधान
बदल
देगी।
आपका
क्या
स्टैंड
है?
जवाब:
ये
गलत
है।
विपक्ष
भ्रम
फैला
रहा
है।
उनके
पास
मुद्दे
नहीं
हैं।
मोदी
जी
ने
साफ
कहा
है
कि
संविधान
सर्वश्रेष्ठ
है।
कांग्रेस
ने
ही
संविधान
में
कई
बार
संशोधन
किए
और
बाबा
साहब
को
अपमानित
किया।
बाबा
साहब
का
संविधान
हमेशा
कायम
रहेगा।
विपक्ष
ये
सब
वोट
बटोरने
के
लिए
कह
रहा
है।
सवाल:
महाराष्ट्र
में
हवा
का
रुख
क्या
लग
रहा
है?
जवाब:
हम
डेवलपमेंट
के
मुद्दे
पर
चुनाव
लड़
रहे
हैं।
दो
साल
में
महायुति
सरकार
ने
महाविकास
अघाड़ी
के
समय
में
बंद
किए
गए
इंफ्रा
प्रोजेक्ट
फिर
से
शुरू
कर
दिए।
आप
जहां
भी
देखेंगे,
वहां
पॉजिटिविटी
है।
लोग
खुश
हैं।
हमने
किसानों,
महिलाओं,
युवाओं
और
सीनियर
सिटीजन
के
हित
में
निर्णय
लिए
हैं।
सवाल:
विधानसभा
चुनाव
करीब
है।
महाराष्ट्र
के
डेवलपमेंट
को
लेकर
आपका
रोडमैप
क्या
है?
जवाब:
जो
राज्य
इन्फ्रास्ट्रक्चर
पर
काम
करता
है,
उसकी
प्रोग्रेस
तेजी
से
होती
है।
हमने
महाराष्ट्र
को
इंडस्ट्री
फ्रेंडली
स्टेट
बनाया
है।
यहां
काफी
संभावनाएं
हैं,
इन्फ्रास्ट्रक्चर
है,
कनेक्टिविटी
है,
स्किल्ड
मैनपावर
है।
हमारा
फोकस
डेवलपमेंट
पर
है।
हमने
इंडस्ट्री
पॉलिसी
को
बदलकर
सिंगल
विंडो
क्लियरेंस
सिस्टम
किया
है।
हम
सब्सिडी
दे
रहे
हैं,
रेड
कार्पेट
दे
रहे
हैं।
यहां
दो
साल
में
5
लाख
करोड़
का
निवेश
हुआ
है।
………………………………………..
स्टोरी
में
सहयोग:
अजित
रेडेकर,
प्रिंसिपल
फोटोग्राफर
………………………………………..
महाराष्ट्र
के
नेताओं
के
ये
इंटरव्यू
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-
देवेंद्र
फडणवीस:
भारत
हिंदू
राष्ट्र,
उद्धव
के
सामने
अल्लाह-हू-अकबर
के
नारे
लग
रहे,
बालासाहेब
हिंदू
हृदय
सम्राट
से
जनाब
हो
गए -
शरद
पवार:
क्लीनचिट
मिले,
इसलिए
अजित
BJP
के
साथ,
बेटी
का
मोह
होता
तो
उसे
मंत्री
बनाता,
प्रफुल्ल
पटेल
को
नहीं -
नितिन
गडकरी:
प्रचार
की
राजनीति
से
नफरत,
अपना
डमरू
खुद
नहीं
बजाता,
जो
मोदी
से
डरते
हैं,
मेरे
कंधे
पर
बंदूक
रखकर
चलाते
हैं -
पीयूष
गोयल:
कांग्रेस
को
कोई
सीरियसली
नहीं
लेता,
कांग्रेस
को
अपनी
गारंटी
पर
भरोसा
नहीं,
उद्धव
को
देखकर
दर्द
होता
है -
उज्ज्वल
निकम:
टिकट
मिलते
ही
मुझे
देशद्रोही
कहा,
कसाब
ने
करकरे
को
गोली
मारने
की
बात
मानी,
कांग्रेसी
नहीं
मान
रहे -
नारायण
राणे:
उद्धव
किसी
काम
के
नहीं,
बालासाहेब
जानते
थे,
वे
सिर्फ
5
सांसदों
के
नेता,
हर
हफ्ते
पवार-सोनिया
के
घर
जाते
हैं