पतंजलि आयुर्वेद के 14 प्रोडक्ट्स बनाने का लाइसेंस रद्द: उत्तराखंड सरकार का आदेश, भ्रामक विज्ञापन केस की वजह से फैसला लिया

पतंजलि आयुर्वेद के 14 प्रोडक्ट्स बनाने का लाइसेंस रद्द: उत्तराखंड सरकार का आदेश, भ्रामक विज्ञापन केस की वजह से फैसला लिया


नई
दिल्ली
3
घंटे
पहले

  • कॉपी
    लिंक

उत्तराखंड
सरकार
ने
बाबा
रामदेव
की
पतंजलि
आयुर्वेद
और
दिव्य
फार्मेसी
के
लगभग
14
प्रोडक्ट्स
के
मैन्युफैक्चरिंग
लाइसेंस
को
सस्पेंड
कर
दिया
है।
यह
जानकारी
उत्तराखंड
सरकार
की
ओर
से
सुप्रीम
कोर्ट
में
सोमवार
शाम
हलफनामा
दायर
कर
दी
गई।

उत्तराखंड
सरकार
की
लाइसेंस
ऑथोरिटी
ने
सोमवार
को
प्रोडक्ट्स
पर
बैन
का
आदेश
भी
जारी
किया।
इसमें
कहा-
पतंजलि
आयुर्वेद
के
प्रोडक्ट्स
के
बारे
में
बार-बार
भ्रामक
विज्ञापन
प्रकाशित
करने
के
कारण
कंपनी
के
लाइसेंस
को
रोका
गया
है।

दिव्य
फार्मेसी
पतंजलि
प्रोडक्ट्स
की
मैन्युफैक्चरिंग
करती
है।
राज्य
की
लाइसेंस
अथॉरिटी
ने
बाबा
की
इस
फर्म
की
खांसी,
ब्लड
प्रेशर,
शुगर,
लिवर,
गोइटर
और
आई
ड्रॉप
के
लिए
इस्तेमाल
की
जाने
वाली
14
दवाओं
के
उत्पादन
को
रोकने
का
निर्देश
दिया
है।
आदेश
को
सभी
जिला
ड्रग
इंस्पेक्टर
को
भी
भेजा
गया
है।


सुप्रीम
कोर्ट
ने
भी
भ्रामक
विज्ञापनों
को
रोकने
का
निर्देश
दिया
था

सुप्रीम
कोर्ट
ने
हाल
ही
में
अपने
कुछ
उत्पादों
के
भ्रामक
विज्ञापनों
को
रोकने
के
निर्देशों
का
पालन
नहीं
करने
के
लिए
रामदेव
की
बार-बार
आलोचना
की
है।


सुप्रीम
कोर्ट
कल
पतंजलि
के
मामले
की
सुनवाई
करेगी

अब
सुप्रीम
कोर्ट
कल
(30
अप्रैल)
को
पतंजलि
के
मामले
की
सुनवाई
करेगी,
ताकि
यह
तय
किया
जा
सके
कि
रामदेव
के
खिलाफ
अवमानना
का
आरोप
लगाया
जाए
या
नहीं।

बाबा रामदेव और बालकृष्ण 23 अप्रैल को सुनवाई के दौरान चौथी बार कोर्ट के सामने पेश हुए थे। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने पतंजति के 2022 के एक विज्ञापन में एलोपैथी पर गलतफहमी फैलाने का आरोप लगाया था।


बाबा
रामदेव
और
बालकृष्ण
23
अप्रैल
को
सुनवाई
के
दौरान
चौथी
बार
कोर्ट
के
सामने
पेश
हुए
थे।
इंडियन
मेडिकल
एसोसिएशन
(IMA)
ने
पतंजति
के
2022
के
एक
विज्ञापन
में
एलोपैथी
पर
गलतफहमी
फैलाने
का
आरोप
लगाया
था।


IMA
के
प्रेसिडेंट
बोले-
बाबा
रामदेव
ने
मॉडर्न
मेडिसिन
को
बेकार
और
दिवालिया
साइंस
कहा
था

इंडियन
मेडिकल
एसोसिएशन
(IMA)
के
प्रेसिडेंट
अशोकन
ने
कहा
कि
बाबा
रामदेव
ने
उस
समय
सभी
हदें
पार
कर
दीं,
जब
उन्होंने
कोविड-19
ठीक
करने
का
दावा
किया।
रामदेव
ने
मॉडर्न
मेडिसिन
को
स्टुपिड
और
बैंकरप्ट
साइंस
यानी
बेकार
और
दिवालिया
विज्ञान
भी
कहा
था।
न्यूज
एजेंसी
को
दिए
एक
इंटरव्यू
में
अशोकन
ने
ये
बातें
कहीं।
भ्रामक
बयानों
को
लेकर
सुप्रीम
कोर्ट
की
तरफ
से
रामदेव
और
पतंजलि
आयुर्वेद
को
फटकार
लगाए
जाने
के
बाद
IMA
की
तरफ
से
पहली
बार
कोई
बयान
दिया
गया
है।


पूरी
खबर
पढ़ें


पतंजलि
ने
कहा-
67
अखबारों
में
माफीनामा
छपवाया,
सुप्रीम
कोर्ट
बोला-
इसका
साइज
आपके
विज्ञापन
जितना
नहीं

पतंजलि
विज्ञापन
केस
में
23
अप्रैल
को
सुप्रीम
कोर्ट
में
हुई
सुनवाई
में
पतंजलि
की
ओर
से
एडवोकेट
मुकुल
रोहतगी
ने
कहा-
हमने
माफीनामा
फाइल
कर
दिया
है।
इसे
67
अखबारों
में
पब्लिश
किया
गया
है।

इस
पर
जस्टिस
हिमा
कोहली
ने
कहा-
आपके
विज्ञापन
जैसे
रहते
थे,
इस
ऐड
का
भी
साइज
वही
था?
कृपया
इन
विज्ञापनों
की
कटिंग
ले
लें
और
हमें
भेज
दें।
इन्हें
बड़ा
करने
की
जरूरत
नहीं
है।
हम
इसका
वास्तविक
साइज
देखना
चाहते
हैं।
ये
हमारा
निर्देश
है।

जस्टिस
कोहली
ने
कहा
कि
जब
आप
कोई
विज्ञापन
प्रकाशित
करते
हैं
तो
इसका
मतलब
यह
नहीं
कि
हम
उसे
माइक्रोस्कोप
से
देखेंगे।
सिर्फ
पन्ने
पर

हो,
पढ़ा
भी
जाना
चाहिए।

कोर्ट
ने
रामदेव
और
बालकृष्ण
को
निर्देश
दिया
कि
अगले
दो
दिन
में
वे
ऑन
रिकॉर्ड
माफीनामा
जारी
करें,
जिसमें
लिखा
हो
कि
उन्होंने
गलती
की।
मामले
की
अगली
सुनवाई
अब
30
अप्रैल
को
होगी।


पतंजलि
ने
कहा-
भविष्य
में
कभी
ऐसी
गलती
नहीं
दोहराएंगे

पतंजलि
आयुर्वेद
ने
सोमवार
(22
अप्रैल)
को
कुछ
न्यूज
पेपर्स
में
माफीनामा
प्रकाशित
किया
है।
इसमें
कहा
कि
पतंजलि
आयुर्वेद
सुप्रीम
कोर्ट
का
पूरा
सम्मान
करता
है।
सुप्रीम
कोर्ट
में
हमारे
वकीलों
ने
हलफनामा
पेश
किया,
उसके
बाद
हमने
विज्ञापन
प्रकाशित
किया
और
प्रेस
कॉन्फ्रेंस
की।
हम
इसके
लिए
माफी
मांगते
हैं।
भविष्य
में
कभी
ऐसी
गलती
नहीं
दोहराएंगे।


कोर्ट
ने
FMCG
कंपनियों
और
डॉक्टरों
पर
भी
सवाए
उठाए

सुप्रीम
कोर्ट
ने
कहा
ड्रग
एंड
मैजिक
रेमिडी
एक्ट
को
लागू
करने
पर
बारीकी
से
विचार
किये
जाने
की
जरूरत
है।
यह
मामला
सिर्फ
बाबा
रामदेव,
बालकृष्ण
और
पतंजलि
तक
ही
सीमित
नहीं
है।
बल्कि
सभी
FMCG
कंपनियों
तक
फैला
हुआ
है।
इनके
भ्रामक
विज्ञापन
से
जनता
भ्रमित
होती
है।
खासकर
शिशु,
स्कूली
बच्चे
प्रभावित
होते
हैं।
बुजुर्ग
इन
भ्रमित
विज्ञापनों
को
देखकर
दवाइयां
लेते
हैं।
जनता
को
धोखे
में
नहीं
रहने
दिया
जा
सकता।


FMCG
कंपनियों
के
विज्ञापन
पर
तीन
केंद्रीय
मंत्रालयों
से
किया
सवाल

  • सुप्रीम
    कोर्ट
    ने
    मंगलवार
    को
    फास्ट-मूविंग
    कंज्यूमर
    गुड्स
    (FMCG)
    कंपनियों
    के
    भ्रामक
    विज्ञापनों
    पर
    कड़ा
    रुख
    अपनाया।
    कोर्ट
    ने
    तीन
    केंद्रीय
    मंत्रालयों
    से
    पूछा
    कि
    वे
    इस
    दिशा
    में
    उठाए
    गए
    कदमों
    के
    बारे
    में
    बताएं।
    हाल
    ही
    में
    नेस्ले
    के
    बेबी
    फूड
    में
    अतिरिक्त
    चीनी
    मिलने
    की
    रिपोर्टों
    के
    बीच
    सुप्रीम
    कोर्ट
    का
    यह
    रुख
    अहम
    है।
  • बेंच
    ने
    कहा-
    भ्रामक
    विज्ञापन
    का
    मुद्दा
    पतंजलि
    तक
    सीमित
    नहीं
    है।
    यह
    उन
    सभी
    एफएमसीजी
    (फास्ट-मूविंग
    कंज्यूमर
    गुड्स)
    कंपनियों
    तक
    है,
    जो
    भ्रामक
    विज्ञापनों
    से
    जनता
    को
    धोखा
    दे
    रही
    हैं
    और
    इससे
    शिशुओं,
    बच्चों
    और
    बुजुर्गों
    की
    सेहत
    पर
    असर
    हो
    रहा
    है।


IMA
अपना
घर
ठीक
करे,
आपके
डॉक्टर
भी
अनावश्यक
महंगी
दवाएं
लिख
रहे

  • सुप्रीम
    कोर्ट
    ने
    पतंजलि
    मामले
    में
    याचिका
    लगाने
    वाले
    इंडियन
    मेडिकल
    एसोसिएशन
    (IMA)
    को
    भी
    अपना
    घर
    ठीक
    करने
    की
    नसीहत
    दी
    है।
    कोर्ट
    ने
    IMA
    की
    ओर
    से
    पेश
    वरिष्ठ
    वकील
    पटवालिया
    से
    कहा
    कि
    एसोसिएशन
    पतंजलि
    पर
    अंगुली
    उठा
    रही
    है,
    लेकिन
    ध्यान
    रखें
    कि
    बाकी
    चार
    अंगुलियां
    आप
    (IMA)
    पर
    भी
    उठ
    रही
    हैं।
    यह
    सब
    FMCG
    में
    ही
    नहीं
    हो
    रहा
    है।
    आपके
    सदस्य
    भी
    ऐसे
    प्रोडक्ट
    का
    समर्थन
    करते
    हैं।
  • कोर्ट
    ने
    कहा
    कि
    आपके
    सदस्य
    (डॉक्टर)
    बहुत
    महंगी
    दवाएं
    और
    उपचार
    लिखते
    हैं।
    यह
    अनैतिक
    कृत्य
    है।
    IMA
    के
    सदस्यों
    के
    अनैतिक
    आचरण
    की
    कई
    बार
    शिकायतें
    आपके
    पास
    आई
    होंगी,
    IMA
    ने
    उन
    पर
    क्या
    कार्रवाई
    की
    है?
    हम
    आपकी
    तरफ
    भी
    निशाना
    कर
    सकते
    हैं।
    जस्टिस
    अमानुल्लाह
    ने
    कहा,
    ‘मैं
    चैनल
    का
    नाम
    नहीं
    लूंगा।
    खबर
    फ्लैश
    हो
    रही
    थी
    कि
    आज
    कोर्ट
    में
    यह
    हुआ
    और
    बगल
    विज्ञापन

    रहा
    था।
    यह
    कैसी
    विडंबना
    है!’
    कोर्ट
    ने
    इस
    मामले
    में
    राष्ट्रीय
    चिकित्सा
    आयोग
    (एनएमसी)
    भी
    प्रतिवादी
    बनाने
    का
    आदेश
    दिया।


पिछली
5
सुनवाई
में
क्या
हुआ…


16
अप्रैल:



पतंजलि
ने
सुप्रीम
कोर्ट
में
फिर
माफी
मांगी,
बाबा
रामदेव
बोले-
काम
के
उत्साह
में
ऐसा
हो
गया


10
अप्रैल:



रामदेव-बालकृष्ण
का
माफीनामा
खारिज,
कोर्ट
ने
कहा-
जानबूझकर
आदेश
की
अवमानना
की


02
अप्रैल:

रामदेव
ने
सुप्रीम
कोर्ट
में
माफी
मांगी,
अदालत
ने
कहा-
सरकार
ने
आंखें
क्यों
मूंदे
रखीं


19
मार्च:

पतंजलि
विज्ञापन
केस
में
सुप्रीम
कोर्ट
बोला-
रामदेव
हाजिर
हों,अवमानना
का
केस
क्यों

लगे


27
फरवरी:

पतंजलि
को
सुप्रीम
कोर्ट
का
कंटेंप्ट
नोटिस,
बीमारी
ठीक
करने
का
दावा
करने
वाले
विज्ञापनों
पर
रोक


भास्कर
के
कार्टूनिस्ट
हाडा
की
नजर
में
पतंजलि
विज्ञापन
केस…


पतंजलि
से
जुड़े
अन्य
विवाद…

  • कोरोना
    के
    अलावा
    रामदेव
    बाबा
    कई
    बार
    योग
    और
    पतंजलि
    के
    प्रोडक्ट्स
    से
    कैंसर,
    एड्स
    और
    होमोसेक्सुअलिटी
    तक
    ठीक
    करने
    के
    दावे
    को
    लेकर
    विवादों
    में
    रहे
    हैं।
  • 2018
    में
    भी
    FSSAI
    ने
    पतंजलि
    को
    मेडिसिनल
    प्रोडक्ट
    गिलोय
    घनवटी
    पर
    एक
    महीने
    आगे
    की
    मैन्युफैक्चरिंग
    डेट
    लिखने
    के
    लिए
    फटकार
    लगाई
    थी।
  • 2015
    में
    कंपनी
    ने
    इंस्टेंट
    आटा
    नूडल्स
    लॉन्च
    करने
    से
    पहले
    फूड
    सेफ्टी
    एंड
    रेगुलेरिटी
    अथॉरिटी
    ऑफ
    इंडिया
    (FSSAI)
    से
    लाइसेंस
    नहीं
    लिया
    था।
    इसके
    बाद
    पतंजलि
    को
    फूड
    सेफ्टी
    के
    नियम
    तोड़ने
    के
    लिए
    लीगल
    नोटिस
    का
    सामना
    करना
    पड़ा
    था।
  • 2015
    में
    कैन्टीन
    स्टोर्स
    डिपार्टमेंट
    ने
    पतंजलि
    के
    आंवला
    जूस
    को
    पीने
    के
    लिए
    अनफिट
    बताया
    था।
    इसके
    बाद
    CSD
    ने
    अपने
    सारे
    स्टोर्स
    से
    आंवला
    जूस
    हटा
    दिया
    था।
    2015
    में
    ही
    हरिद्वार
    में
    लोगों
    ने
    पतंजलि
    घी
    में
    फंगस
    और
    अशुद्धियां
    मिलने
    की
    शिकायत
    की
    थी।

खबरें
और
भी
हैं…