प्रशांत किशोर बोले- कांग्रेस हारी तो राहुल ब्रेक लें: पार्टी का जिम्मा किसी और को दें, राजीव के निधन के बाद सोनिया ने भी ऐसा ही किया

प्रशांत किशोर बोले- कांग्रेस हारी तो राहुल ब्रेक लें: पार्टी का जिम्मा किसी और को दें, राजीव के निधन के बाद सोनिया ने भी ऐसा ही किया


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प्रशांत किशोर ने कहा कि भाजपा का प्रभाव है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि पार्टी और प्रधानमंत्री मोदी को हराया नहीं जा सकता है। - Dainik Bhaskar


प्रशांत
किशोर
ने
कहा
कि
भाजपा
का
प्रभाव
है,
लेकिन
इसका
मतलब
ये
नहीं
है
कि
पार्टी
और
प्रधानमंत्री
मोदी
को
हराया
नहीं
जा
सकता
है।

2024
लोकसभा
चुनाव
में
अगर
कांग्रेस
को
उम्मीद
के
अनुसार
नतीजे
नहीं
मिलते
तो
राहुल
गांधी
को
राजनीति
से
ब्रेक
लेने
पर
विचार
करना
चाहिए।
पॉलिटिकल
स्ट्रेटजिस्ट
प्रशांत
किशोर
ने
न्यूज
एजेंसी
PTI
को
दिए
एक
इंटरव्यू
में
यह
बात
कही।

प्रशांत
ने
कहा-
राहुल
गांधी
कांग्रेस
को
जिताने
के
लिए
पिछले
10
साल
से
असफल
प्रयास
कर
रहे
हैं।
बावजूद
वे

तो
राजनीति
से
अलग
हट
सकते
हैं
और

ही
किसी
और
पार्टी
का
चेहरा
बना
सकते
हैं।
मेरी
नजर
में
यह
भी
लोकतांत्रिक
नहीं
है।

प्रशांत
ने
कहा-
जब
आप
(राहुल
गांधी)
पिछले
10
साल
से
एक
ही
काम
कर
रहे
हैं
और
उसमें
कोई
सफलता
नहीं
मिली
है,
तो
ब्रेक
लेने
में
कोई
बुराई
नहीं
है।
आपको
इसे
किसी
और
को
पांच
साल
के
लिए
करने
देना
चाहिए।
आपकी
मां
ने
ऐसा
किया
था।

प्रशांत
ने
कहा-
पूर्व
प्रधानमंत्री
स्वर्गीय
राजीव
गांधी
की
हत्या
के
बाद
सोनिया
गांधी
ने
क्या
किया।
1991
में
उन्होंने
राजनीति
से
दूरी
बना
ली।
कांग्रेस
की
कमान
पीवी
नरसिम्हा
राव
को
दिया।
उसका
रिजल्ट
आप
सबको
पता
है।


राहुल
को
प्रशांत
की
4
नसीहत…


1.
हिंदी
पट्टी
में
नहीं
जीते,
तो
वायनाड
जीतने
का
फायदा
नहीं

प्रशांत
ने
राहुल
को
लेकर
कहा
कि
कांग्रेस
की
लड़ाई
उत्तर
प्रदेश,
बिहार
और
मध्य
प्रदेश
में
है,
लेकिन
उनके
नेता
मणिपुर
और
मेघालय
का
दौरा
करते
हैं।
अगर
आप
यूपी,
बिहार
और
मध्य
प्रदेश
में
नहीं
जीते,
तो
वायनाड
से
जीतने
का
कोई
फायदा
नहीं
है।
अकेले
केरल
जीतकर
आप
देश
नहीं
जीत
सकते।
अमेठी
छोड़
देने
से
भी
गलत
संदेश
जाएगा।

प्रशांत
ने
प्रधानमंत्री
मोदी
का
उदाहरण
देते
हुए
कहा-
नरेंद्र
मोदी
ने
2014
में
अपने
गृह
राज्य
गुजरात
के
साथ-साथ
उत्तर
प्रदेश
से
चुनाव
लड़ने
का
विकल्प
चुना
था।
इसलिए,
क्योंकि
आप
भारत
को
तब
तक
नहीं
जीत
सकते
जब
तक
आप
हिंदी
पट्टी
को
नहीं
जीतते
या
हिंदी
पट्टी
में
मौजूदगी
दर्ज
नहीं
कराते।


2.
राहुल
को
लगता
है
कि
वे
सब
कुछ
जानते
हैं

प्रशांत
किशोर
ने
कहा-
दुनियाभर
के
अच्छे
और
बड़े
नेताओं
की
एक
विशेषता
है।
वे
जानते
हैं
कि
उनमें
क्या
कमी
है।
वे
अपनी
कमियों
और
खामियों
को
ठीक
करने
के
लिए
हमेशा
कोशिश
करते
रहते
हैं।
लेकिन
राहुल
को
लगता
है
कि
वे
सब
कुछ
जानते
हैं।

उन्होंने
कहा-
अगर
आप
मदद
की
जरूरत
को
नहीं
पहचानते
हैं,
तो
कोई
भी
आपकी
मदद
नहीं
कर
सकता।
मेरा
मानना
है
कि
राहुल
गांधी
को
लगता
है
कि
उन्हें
किसी
ऐसे
व्यक्ति
की
जरूरत
है
जो
उन्हें
जो
सही
लगता
है
उसे
पूरा
कर
सके।
यह
संभव
नहीं
है।


3.
राहुल
ने
2019
में
पार्टी
अध्यक्ष
पद
छोड़ा,
जो
बोला
किया
नहीं

प्रशांत
किशोर
ने
कहा
2019
के
चुनावों
में
पार्टी
की
हार
के
बाद
राहुल
ने
कांग्रेस
अध्यक्ष
पद
से
इस्तीफा
देने
का
फैसला
किया
था।
उन्होंने
ने
तब
लिखा
था
कि
वह
पीछे
हट
जाएंगे
और
किसी
और
को
पार्टी
की
जिम्मेदारी
देंगे,
लेकिन
उन्होंने
जो
लिखा,
वहां
उसके
विपरीत
काम
कर
रहे
हैं।
कांग्रेस
और
उसके
समर्थक
किसी
भी
व्यक्ति
विशेष
से
बड़े
हैं।
राहुल
को
जिद
नहीं
करनी
चाहिए
कि
बार-बार
विफलताओं
के
बावजूद
वह
ही
पार्टी
का
नेतृत्व
करेंगे।


4.
हार
के
लिए
चुनाव
आयोग
और
मीडिया
पर
सवाल
उठाना
गलत

प्रशांत
ने
राहुल
के
उन
दावों
पर
सवाल
उठाया
जिसमें
चुनाव
में
हार
के
लिए
चुनाव
आयोग,
न्यायपालिका
और
मीडिया
पर
आरोप
लगाते
रहते
हैं।
उन्होंने
कहा
कि
यह
आंशिक
रूप
से
सच
हो
सकता
है
लेकिन
पूरा
सच
नहीं
है।
उन्होंने
कहा
कि
2014
के
चुनावों
में
कांग्रेस
206
सीटों
से
घटकर
44
सीटों
पर

गई
थी
जब
वह
सत्ता
में
थी
और
भाजपा
का
विभिन्न
संस्थानों
पर
बहुत
कम
प्रभाव
था।



प्रशांत
के
इंटरव्यू
की
3
खास
बातें…


1.
भाजपा
की
जीत
की
वजह
विपक्ष
की
कमजोर
रणनीति

प्रशांत
ने
दावा
किया
कि
लोकसभा
चुनाव
में
भाजपा
ओडिशा
और
पश्चिम
बंगाल
में
नंबर
एक
पार्टी
बनने
जा
रही
है।
तेलंगाना
में
भाजपा
पहले
या
दूसरे
नंबर
पर
रह
सकती
है।
तमिलनाडु
में
भाजपा
का
वोट
शेयर
दोहरे
अंक
तक
पहुंच
सकता
है।

कुल
543
लोकसभा
सीटों
में
से
तेलंगाना,
ओडिशा,
पश्चिम
बंगाल,
तमिलनाडु,
आंध्र
प्रदेश,
बिहार
और
केरल
में
204
सीटें
हैं।
हालांकि,
भाजपा
2014
या
2019
में
इन
सभी
राज्यों
को
मिलाकर
50
सीटों
का
आंकड़ा
भी
पार
नहीं
कर
सकी
थी।

प्रशांत
ने
कहा-
विपक्ष
की
सुस्त
और
कमजोर
रणनीति
की
वजह
से
भाजपा
को
दक्षिण
और
पूर्वी
भारत
में
फायदा
होता
दिख
रहा
है।
इन
दो
क्षेत्रों
में
2019
के
मुकाबले
पार्टी
के
वोट
शेयर
और
सीटें
बढ़
सकती
हैं।
ये
दो
क्षेत्र
ऐसे
हैं,
जहां
पार्टी
की
पकड़
कमजोर
है।


2.
विपक्ष
ने
भाजपा
को
रोकने
के
मौके
गंवाए

किशोर
ने
कहा
कि
भाजपा
का
प्रभाव
है,
लेकिन
इसका
मतलब
ये
नहीं
है
कि
पार्टी
और
प्रधानमंत्री
मोदी
को
हराया
नहीं
जा
सकता
है।
विपक्ष
के
पास
भाजपा
के
रथ
को
रोकने
की
तीन
संभावनाएं
थीं,
लेकिन
उन्होंने
सुस्त
और
गलत
रणनीतियों
के
कारण
तीनों
मौके
गवां
दिए।

प्रशांत
किशोर
ने
बताया
कि
2014
के
बाद
भाजपा
बैकफुट
पर
थी।
तब
कांग्रेस
इसका
फायदा
उठाने
में
विफल
रही।
2015
और
2016
में
भाजपा
के
लिए
चुनावी
दौर
काफी
निराशाजनक
रहा,
जब
वह
असम
को
छोड़कर
कई
विधानसभा
चुनाव
हार
गई
थी।

2017
में
उत्तर
प्रदेश
विधानसभा
चुनावों
में
जीत
के
बाद
भाजपा
का
प्रदर्शन
फिर
से
खराब
रहा।
2018
में
पार्टी
कई
राज्यों
में
हार
गई,
लेकिन
2019
के
लोकसभा
चुनावों
में
कांग्रेस
ने
उसे
वापस
आने
का
मौका
दिया।

2020
में
कोविड
के
बाद
मोदी
को
अपनी
अप्रूवल
रेटिंग
में
गिरावट
का
सामना
करना
पड़ा।
भाजपा
पश्चिम
बंगाल
में
बुरी
तरह
हार
गई।
दूसरी
तरफ,
विपक्ष
के
नेता
चुनौती
का
सामना
करने
के
बजाय
अपने
घरों
में
बैठ
गए,
जिससे
मोदी
को
राजनीतिक
वापसी
करने
का
मौका
मिल
गया।
अगर
आप
कैच
छोड़ते
रहेंगे
तो
बल्लेबाज
शतक
बनाएगा,
खासकर
जब
वह
अच्छा
बल्लेबाज
हो।


3.
आंध्र
में
CM
जगन
मोहन
का
सत्ता
में
वापस
आना
बहुत
मुश्किल

प्रशांत
किशोर
ने
आंध्र
प्रदेश
में
लोकसभा
चुनाव
के
साथ
हो
रहे
विधानसभा
चुनाव
पर
भी
बात
की।
उन्होंने
कहा-
इस
बार
मुख्यमंत्री
जगन
मोहन
रेड्डी
के
लिए
वापस
आना
बहुत
मुश्किल
होगा।
रेड्डी
छत्तीसगढ़
के
पूर्व
मुख्यमंत्री
भूपेश
बघेल
की
तरह
लोगों
की
आकांक्षाओं
को
पूरा
करने
के
बजाय
वोटर्स
को
खुश
करने
में
लगे
हैं।

किशोर
ने
कहा
कि
रेड्डी
पुराने
राजाओं
की
तरह
हैं,
जो
गरीब
लोगों
को
पैसे
बांटते
थे।
इसी
तरह
रेड्डी
लोगों
को
कैश
ट्रांसफर
करते
हैं।
उनके
विकास
के
लिए
कुछ
नहीं
करते।
उन्होंने
राज्य
के
लोगों
को
नौकरियां
देने
या
रुके
हुए
विकास
को
बढ़ावा
देने
के
लिए
कुछ
नहीं
किया
है।


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