भास्कर एक्सप्लेनर- आखिर क्यों रद्द हुआ श्याम रंगीला का नामांकन: डॉक्यूमेंट, पैसा, प्रस्तावक और प्रोसेस; चुनाव लड़ने से जुड़े 12 सवालों के जवाब

भास्कर एक्सप्लेनर- आखिर क्यों रद्द हुआ श्याम रंगीला का नामांकन: डॉक्यूमेंट, पैसा, प्रस्तावक और प्रोसेस; चुनाव लड़ने से जुड़े 12 सवालों के जवाब

‘दिल
टूट
गया
है,
रोना

रहा
है।
मेरे
पास
डॉक्यूमेंट,
प्रस्तावक,
पैसे
और
सभी
जरूरी
चीजें
थीं,
लेकिन
उसके
बाद
भी
मेरा
नामांकन
खारिज
हो
गया।’

.

वाराणसी
लोकसभा
सीट
से
नॉमिनेशन
रिजेक्ट
होने
के
बाद
कॉमेडियन
श्याम
रंगीला
ने
ये
बयान
दिया।
रंगीला
राजस्थान
के
रहने
वाले
हैं।
उन्होंने
वाराणसी
सीट
पर
PM
मोदी
के
सामने
चुनाव
लड़ने
का
ऐलान
किया
था।
15
मई
को
वाराणसी
सीट
से
श्याम
समेत
कुल
38
कैंडिडेट
का
नामांकन
रद्द
हुआ
है।

श्याम
रंगीला
का
नॉमिनेशन
क्यों
खारिज
हुआ,
चुनाव
लड़ने
के
लिए
कितना
पैसा
होना
चाहिए,
शपथ
पत्र
क्या
होता
है,
प्रस्तावकों
के
क्या
नियम
हैं;
भास्कर
एक्सप्लेनर
में
चुनाव
लड़ने
से
जुड़े
ऐसे
ही
12
जरूरी
सवालों
के
जवाब
जानेंगे…


सवाल-
1:
PM
मोदी
के
खिलाफ
चुनाव
लड़ने
के
लिए
नामांकन
करने
वाले
श्याम
रंगीला
का
नॉमिनेशन
क्यों
खारिज
हुआ?


जवाब:

नामांकन
खारिज
होने
के
बाद
श्याम
रंगीला
ने
एक
वीडियो
में
बताया
कि
नामांकन
के
आखिरी
दिन
दोपहर
3
बजे
मेरा
नामांकन
पत्र
लिया
गया।
मैं
पहली
बार
चुनाव
लड़
रहा
था
और
मुझे
नॉमिनेशन
प्रोसेस
के
बारे
में
ज्यादा
जानकारी
नहीं
थी।
किसी
ने
नहीं
बताया
कि
मुझे
शपथ
भी
लेनी
है।
अब
आयोग
के
अधिकारी
कह
रहे
हैं
कि
नामांकन
के
दौरान
शपथ
नहीं
लेने
की
वजह
से
पर्चा
खारिज
हो
गया
है।

एक्स
पर
रंगीला
की
एक
पोस्ट
पर
प्रतिक्रिया
देते
हुए
वाराणसी
के
DM
एस
राजलिंगम
ने
लिखा,
श्याम
रंगीला
के
नामांकन
पत्र
में
हलफनामा
अधूरा
था
और
शपथ
नहीं
ली
गई
थी।
इसके
बारे
में
उन्हें
सूचित
भी
किया
गया
था।

दरअसल,
जन
प्रतिनिधि
अधिनियम
1961
के
मुताबिक
नामांकन
भरने
के
दौरान
कैंडिडेट
को
शपथ
पत्र
जमा
करते
समय
ओथ
कमिश्नर
या
फर्स्ट
क्लास
मजिस्ट्रेट
या
नोटरी
पब्लिक
के
सामने
शपथ
लेनी
होती
है।
इससे
सुनिश्चित
होता
है
कि
कैंडिडेट
द्वारा
दी
गई
सभी
जानकारी
सही
है।
अगर
शपथ
नहीं
ली
जाती
है
तो
कैंडिडेट
का
नॉमिनेशन
रिजेक्ट
हो
सकता
है।


सवाल-
2:
लोकसभा
चुनाव
के
लिए
नामांकन
कौन
दर्ज
कर
सकता
है?


जवाब:

रिप्रेजेंटेशन
ऑफ
पीपुल
एक्ट
1951
के
मुताबिक
ये
5
जरूरी
अर्हताएं
पूरा
करने
वाला
कोई
भी
शख्स
लोकसभा
चुनाव
लड़
सकता
है…


सवाल-
3:
लोकसभा
चुनाव
के
लिए
नामांकन
कराने
की
प्रक्रिया
क्या
है?


जवाब:

चुनावी
अधिसूचना
जारी
होने
के
बाद
नामांकन
की
प्रक्रिया
शुरू
होती
है।
नामांकन
की
आखिरी
तारीख
से
पहले
उम्मीदवारों
को
रिटर्निंग
ऑफिसर
या
असिस्टेंट
रिटर्निंग
ऑफिसर
को
नामांकन
फॉर्म
जमा
करना
होता
है।

लोकसभा
चुनाव
लड़ने
वाले
उम्मीदवार
नामांकन
करने
के
लिए
दो
तरह
के
फॉर्म
भरते
हैं।
पहला-
नॉमिनेशन
फॉर्म
2A,
दूसरा-
एफिडेविट
फॉर्म
26।

नॉमिनेशन
फॉर्म
2A
में
कुल
8
पार्ट्स
होते
हैं।
इस
फॉर्म
के
शुरुआती
4
पार्ट्स
उम्मीदवार
और
पॉलिटिकल
पार्टी
के
लिए
हैं।
जबकि
पार्ट
5
प्रस्तावक,
पार्ट
6
नामांकन
फार्म
स्वीकार
करने
वाले
रिटर्निंग
ऑफिसर,
पार्ट
7
नॉमिनेशन
एक्सेप्ट
या
रिजेक्ट
करने
वाले
अधिकारी
और
पार्ट
8
नामांकन
स्क्रूटनी
करने
वाले
अधिकारी
या
रिटर्निंग
अधिकारी
के
लिए
होता
है।

फॉर्म
26
एक
शपथ
पत्र
है।
इसमें
क्रिमिनल
केस,
संपत्ति,
व्यवसाय
और
परिवार
के
सदस्यों
की
जानकारी
सही-सही
भरनी
होती
है।
फॉर्म
26
में
कोई
भी
कॉलम
ब्लैंक
या
पूरी
तरह
से
खाली
नहीं
होना
चाहिए।
अगर
किसी
कॉलम
में
कुछ
नहीं
भरना
है
तो
वहां
‘NIL’,
‘Not
Applicable’
या
‘Not
Known’
भरना
होता
है।

रिटर्निंग
ऑफिसर
की
ये
जिम्मेदारी
होती
है
कि
वह
नामांकन
करने
के
वक्त
उम्मीदवारों
के
फॉर्म
26
और
शपथ
पत्र
की
सही
से
जांच
करें।
अगर
फॉर्म
में
कुछ
छूट
रहा
होता
है
तो
रिटर्निंग
ऑफिसर
उम्मीदवार
को
उसी
वक्त
इसकी
जानकारी
देते
हैं।
इसके
बावजूद
अगर
फॉर्म
पूरी
तरह
से
और
सही
से
नहीं
भरा
गया
है
तो
RO
उसे
बाद
में
रिजेक्ट
कर
सकते
हैं।

किसी
उम्मीदवार
ने
नॉमिनेशन
पेपर
के
साथ
शपथ
पत्र
जमा
नहीं
किया
है
या
अधूरी
जानकारी
के
साथ
जमा
किया
है
तो
वह
नामांकन
के
आखिरी
दिन
दोपहर
3
बजे
तक
सभी
डॉक्यूमेंट्स
को
सही
से
फिल
करने
के
बाद
जमा
कर
सकता
है।


सवाल-
4:
क्या
उम्मीदवार
को
RO
के
सामने
किसी
चीज
की
शपथ
भी
लेनी
होती
है?


जवाब:

हां,
संविधान
के
अनुच्छेद
84
और
173
के
मुताबिक
एक
उम्मीदवार
को
संविधान
के
तीसरी
अनुसूची
के
तहत
ये
शपथ
लेना
और
शपथ
पत्र
जमा
करना
जरूरी
है
कि
उसे
संविधान
में
सच्ची
आस्था
है।
वह
भारत
की
संप्रभुता
और
एकता
का
समर्थन
करता
है।
ये
शपथ
RO
के
सामने
नामांकन
दर्ज
करने
के
समय
या
स्क्रूटनी
की
तारीख
से
पहले
ली
जानी
जरूरी
है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी लोकसभा सीट से नामांकन के दौरान रिटर्निंग ऑफिसर के समक्ष शपथ ली।


प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
ने
वाराणसी
लोकसभा
सीट
से
नामांकन
के
दौरान
रिटर्निंग
ऑफिसर
के
समक्ष
शपथ
ली।

अगर
उम्मीदवार
RO
के
सामने
शपथ
नहीं
लेता
है
तो
उसका
नामांकन
रद्द
किया
जा
सकता
है।
वाराणसी
में
श्याम
रंगीला
का
नामांकन
इसी
आधार
पर
रद्द
हुआ
है।


सवाल-
5:
क्या
मध्य
प्रदेश
की
नागरिकता
रखने
वाला
व्यक्ति
किसी
दूसरे
प्रदेश
से
लोकसभा
चुनाव
लड़
सकता
है?


जवाब:

हां,
किसी
व्यक्ति
को
विधानसभा
चुनाव
लड़ने
के
लिए
उस
राज्य
का
वोटर
होना
जरूरी
है,
लेकिन
लोकसभा
चुनाव
लड़ने
के
लिए
ऐसा
जरूरी
नहीं
है।
लोकसभा
चुनाव
लड़ने
के
लिए
एक
व्यक्ति
देश
की
किसी
भी
लोकसभा
सीट
से
रजिस्टर्ड
वोटर
होना
चाहिए।
रजिस्टर्ड
वोटर
असम,
लक्षद्वीप
और
सिक्किम
को
छोड़कर
देश
की
किसी
भी
सीट
से
आम
चुनाव
लड़
सकता
है।


सवाल-
6:
क्या
कोई
व्यक्ति
जेल
से
चुनाव
लड़
सकता
है?


जवाब:

जन
प्रतिनिधित्व
अधिनियम,
1951
की
धारा
8
में
जेल
में
बंद
कैदियों
के
चुनाव
लड़ने
से
जुड़े
प्रावधान
का
जिक्र
किया
गया
है।
अगर
कोई
व्यक्ति
किसी
अपराध
में
दोषी
ठहराया
गया
है
और
उसे
2
साल
या
उससे
अधिक
की
सजा
सुनाई
गई
हो,
तो
वह
चुनाव
नहीं
लड़
सकता
है।
भले
ही
वह
व्यक्ति
जमानत
पर
बाहर
हो।
हालांकि,
कुछ
गंभीर
अपराधों
में
सजा
की
अवधि
कम
होने
के
बावजूद
भी
व्यक्ति
को
अयोग्य
घोषित
किया
जा
सकता
है।

यानी
कोई
व्यक्ति
जेल
में
बंद
और
न्यायिक
हिरासत
में
होने
पर
भी
चुनाव
लड़
सकता
है।
भले
ही
उसे
किसी
मामले
में
दोषी
करार
दिया
गया
हो,
बस
उसके
सजा
की
अवधि
दो
साल
से
कम
होनी
चाहिए।

दो
साल
या
उससे
ज्यादा
की
सजा
होती
है
तो
दोषी
के
चुनाव
लड़ने
पर
पाबंदी
लग
जाती
है।
व्यक्ति
छह
साल
तक
चुनाव
नहीं
लड़
सकता
है
और
ये
छह
साल
की
अवधि
सजा
खत्म
होने
के
बाद
गिनी
जाएगी।

हालांकि,
पहले
ऐसा
नहीं
था।
2010
में
सुप्रीम
कोर्ट
ने
किसी
व्यक्ति
के
जेल
से
चुनाव
लड़ने
पर
रोक
लगा
दी
थी।
इस
फैसले
के
तुरंत
बाद
तत्कालीन
UPA
सरकार
ने
जनप्रतिनिधि
कानून
में
संशोधन
किया
और
जेल
में
बंद
व्यक्ति
को
चुनाव
लड़ने
की
अनुमति
मिल
गई,
लेकिन
वोट
डालने
का
अधिकार
अभी
भी
नहीं
मिला।


सवाल-
7:
क्या
सरकारी
नौकरी
कर
रहे
लोग
भी
चुनाव
लड़
सकते
हैं?


जवाब:

नहीं,
सेंट्रल
सिविल
सर्विसेस
(कंडक्ट)
रूल्स,
1964
के
तहत
केंद्र

राज्य
सरकार
के
अफसरों
और
कर्मचारियों
के
चुनाव
लड़ने
पर
रोक
है।
नियम
5
में
प्रावधान
किए
गए
हैं
कि
कोई
भी
सिविल
सर्वेंट
किसी
भी
राजनीतिक
पार्टी
और
संगठन
का

तो
हिस्सा
होगा,

राजनीति
में
सक्रिय
होगा
और

ही
किसी
भी
तरह
की
राजनीतिक
गतिविधियों
में
शामिल
होगा।

साथ
ही
सरकारी
कर्मचारी
किसी
राजनीतिक
व्यक्ति
के
लिए
प्रचार-प्रसार
भी
नहीं
करेगा।
रैली
में
शामिल
नहीं
हो
सकता
और

ही
अपने
शक्तियों
का
इस्तेमाल
करेगा।


सवाल-
8:
लोकसभा
चुनाव
में
एक
उम्मीदवार
कितनी
सीटों
से
चुनाव
लड़
सकता
है?


जवाब:

RPA
एक्ट
1951
के
सेक्शन
33(7)
के
मुताबिक,
एक
कैंडिडेट
अधिकतम
दो
निर्वाचन
सीट
से
चुनाव
लड़
सकता
है।
1996
के
एक
संशोधन
के
बाद
यह
नियम
लाया
गया।
इससे
पहले
एक
कैंडिडेट
2
से
ज्यादा
सीटों
से
भी
चुनाव
लड़
सकता
था।

हालांकि,
इसी
अधिनियम
की
धारा
70
में
प्रावधान
है
कि
एक
कैंडिडेट
एक
समय
पर
केवल
एक
ही
सीट
से
सांसद
रह
सकता
है,
भले
ही
वह
एक
से
अधिक
सीटों
से
चुना
गया
हो।
अगर
कैंडिडेट
दो
सीटों
से
जीत
जाता
है
तो
उसे
14
दिनों
के
भीतर
एक
सीट
छोड़नी
पड़ेगी
और
फिर
उस
खाली
सीट
पर
उपचुनाव
होता
है।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 3 मई 2024 को रायबरेली लोकसभा सीट से नामांकन दाखिल किया।


कांग्रेस
नेता
राहुल
गांधी
ने
3
मई
2024
को
रायबरेली
लोकसभा
सीट
से
नामांकन
दाखिल
किया।

इसे
ऐसे
समझ
सकते
हैं
कि
कांग्रेस
नेता
राहुल
गांधी
लोकसभा
चुनाव
2024
में
केरल
की
वायनाड
और
उत्तर
प्रदेश
की
रायबरेली
सीट
से
चुनाव
लड़
रहे
हैं।
राहुल
गांधी
अगर
दोनों
सीट
जीत
जाते
हैं
तो
उन्हें
निर्णय
लेना
होगा
कि
वो
किस
सीट
से
सांसद
बने
रहना
चाहते
हैं।
इसके
बाद
जो
सीट
बच
जाएगी,
वहां
पर
फिर
से
चुनाव
होंगे
और
एक
नया
सांसद
चुना
जाएगा।


सवाल-
9:
क्या
लोकसभा
चुनाव
लड़ने
के
लिए
न्यूनतम
एजुकेशनल
क्वालिफिकेशन
जरूरी
है?


जवाब:

नहीं,
भारत
में
आम
चुनाव
लड़ने
के
लिए
कोई
न्यूनतम
शैक्षणिक
योग्यता
की
आवश्यकता
नहीं
है।
शैक्षणिक
योग्यता
के
आधार
पर
किसी
का
नामांकन
रद्द
नहीं
किया
जा
सकता
है।


सवाल
10:
लोकसभा
चुनाव
के
लिए
नामांकन
करवाते
समय
प्रस्तावक
(प्रपोजर)
क्या
होते
हैं?


जवाब:

RP
एक्ट
के
भाग
5
के
सेक्शन
33
के
मुताबिक
लोकसभा
चुनाव
के
लिए
नामांकन
करने
वाले
किसी
पार्टी
के
उम्मीदवार
को
उस
लोकसभा
क्षेत्र
के
एक
प्रस्तावक
यानी
प्रपोजर
की
जरूरत
होती
है।
जबकि
निर्दलीय
चुनाव
लड़ने
वाले
उम्मीदवार
को
10
प्रस्तावकों
की
जरूरत
होती
है।
ध्यान
रखने
वाली
बात
ये
है
कि
प्रस्तावक
उसी
निर्वाचन
क्षेत्र
का
होना
चाहिए,
जहां
से
उम्मीदवार
चुनाव
लड़
रहे
हैं।
नामांकन
फॉर्म
पर
इन
प्रस्तावकों
का
हस्ताक्षर
होना
जरूरी
है।
हस्ताक्षर
मैच
नहीं
करने
या
हस्ताक्षर
वाले
कॉलम
के
खाली
होने
पर
RO
नॉमिनेशन
भी
रद्द
कर
सकते
हैं।

नामांकन भरते समय PM मोदी के साथ उनके प्रस्तावक ज्‍योतिषाचार्य गणेश्वर शास्त्री।


नामांकन
भरते
समय
PM
मोदी
के
साथ
उनके
प्रस्तावक
ज्‍योतिषाचार्य
गणेश्वर
शास्त्री।


सवाल
11:
जमानत
रकम
क्या
है
और
संसदीय
चुनाव
लड़ने
के
लिए
कितना
पैसा
होना
चाहिए?


जवाब:

लोकसभा
चुनाव
लड़ने
वाले
उम्मीदवारों
को
25
हजार
रुपए
जमानत
के
तौर
पर
जमा
करना
होता
है,
जिसे
सिक्योरिटी
मनी
भी
कहते
हैं।
ये
पैसा
किसी
बैंक
के
चालान
के
जरिए
जमा
करना
होता
है।
जबकि
ST
और
SC
कम्युनिटी
के
कैंडिडेट
को
12.5
हजार
रुपए
की
जमानत
राशि
जमा
करनी
होती
है।

चुनाव
आयोग
ने
लोकसभा
चुनाव
में
किसी
उम्मीदवार
के
लिए
अधिकतम
खर्च
75
लाख
रुपए
और
95
लाख
रुपए
तय
किए
हैं।
छोटे
राज्यों
या
UT
के
लिए
ये
खर्च
75
लाख
रुपए
है।
उम्मीदवार
अपनी
क्षमता
के
मुताबिक
चुनाव
में
पैसा
खर्च
करते
हैं।
तय
सीमा
से
ज्यादा
खर्च
करने
वाले
उम्मीदवारों
के
खिलाफ
सबूत
मिलने
पर
चुनाव
आयोग
कार्रवाई
करता
है।


सवाल-12:
नॉमिनेशन
खारिज
करने
का
आखिरी
अधिकार
किसके
पास
होता
है,
क्या
उसे
चुनौती
दी
जा
सकती
है?


जवाब:

RP
एक्ट
1951
के
सेक्शन
36
के
मुताबिक
रिटर्निंग
ऑफिसर
यानी
जिला
के
कलेक्टर
किसी
नामांकन
फॉर्म
को
खारिज
करने
वाले
जिम्मेदार
अधिकारी
होते
हैं।
चुनाव
के
दौरान
निर्वाचन
अधिकारी
द्वारा
नामांकन
पत्रों
की
जांच
किए
जाने
का
प्रावधान
है
और
इस
अधिनियम
की
उपधारा
4
में
कहा
गया
है
कि
रिटर्निंग
ऑफिसर
नामांकन
पत्र
को
कोई
गंभीर
त्रुटि
होने
पर
ही
खारिज
कर
सकता
है।
नामांकन
खारिज
होने
की
स्थिति
में
कैंडिडेट
इसको
कोर्ट
में
चुनौती
दे
सकता
है।