भास्कर एक्सप्लेनर- ईरानी राष्ट्रपति का हेलिकॉप्टर क्रैश हादसा या साजिश: पहले गिराए जा चुके विमान; ईरान का एविएशन बेड़ा क्यों सबसे असुरक्षित है

भास्कर एक्सप्लेनर- ईरानी राष्ट्रपति का हेलिकॉप्टर क्रैश हादसा या साजिश: पहले गिराए जा चुके विमान; ईरान का एविएशन बेड़ा क्यों सबसे असुरक्षित है

19
मई
2024
यानी
रविवार
का
दिन।
ईरान
के
राष्ट्रपति
इब्राहिम
रईसी
बेल-212
हेलिकॉप्टर
में
सवार
होकर
तबरेज
शहर
की
ओर

रहे
थे।
उनके
साथ
विदेश
मंत्री
समेत
9
लोग
थे।
मौसम
खराब
था।

.

शाम
करीब
7
बजे
वरजेघन
की
पहाड़ियों
के
पास
अचानक
उनका
हेलिकॉप्टर
लापता
हो
गया।
जबकि
रईसी
के
काफिले
में
शामिल
अन्य
दो
हेलिकॉप्टर
सही
सलामत
मंजिल
तक
पहुंच
गए।
तमाम
खोजबीन
के
बीच
सोमवार
सुबह
हेलिकॉप्टर
का
मलबा
नजर
आया।
कोई
जीवित
नहीं
बचा
था।
हेलिकॉप्टर
क्रैश
होने
की
वजह
अब
तक
साफ
नहीं
है।

एयर
ट्रांसपोर्ट
की
सुरक्षा
के
मामले
में
ईरान
का
रिकॉर्ड
बेहद
खराब
रहा
है।
इससे
पहले
ईरान
के
रक्षा
मंत्री,
यातायात
मंत्री
के
अलावा
ईरान
की
थल
और
वायु
सेना
के
कमांडर
भी
प्लेन
या
हेलिकॉप्टर
क्रैश
में
मारे
जा
चुके
हैं।
सोशल
मीडिया
पर
कुछ
लोग
इस
हादसे
के
पीछे
किसी
साजिश
का
भी
इशारा
कर
रहे
हैं।



भास्कर
एक्सप्लेनर
में
जानेंगे
ईरानी
राष्ट्रपति
की
मौत
हादसा
है
या
किसी
साजिश
की
सुगबुगाहट,
ईरान
के
हवाई
बेड़े
को
दुनिया
के
सबसे
असुरक्षित
हवाई
बेड़ों
में
क्यों
शुमार
किया
जाता
है…


आखिरी
वक्त
में
इमरजेंसी
‘मेडे
कॉल’
नहीं,
टेल
रोटर
फेल
होने
की
आशंका

राष्ट्रपति
रईसी
जिस
हेलिकॉप्टर
में
सवार
थे,
उसके
पायलट
ने
आखिरी
वक्त
में
कोई
इमरजेंसी
कम्युनिकेशन
नहीं
किया।
एविएशन
एनालिस्ट
काइल
बेली
ने
अल
जजीरा
को
बताया
कि
इमरजेंसी
में
पायलट
का
एयर
ट्रैफिक
कंट्रोलर
से
कम्युनिकेट

कर
पाना,
इशारा
करता
है
कि
हेलिकॉप्टर
में
सीरियस
कंट्रोलेबिलिटी
इश्यू
थे।

दरअसल,
इमरजेंसी
सिचुएशन
में
एयरक्राफ्ट
का
पायलट
एयर
ट्रैफिक
कंट्रोलर
को
इसके
बारे
में
बताता
है।
जबकि
रविवार
को
हुए
हादसे
में
पायलट
ने
ऐसा
कुछ
नहीं
किया
था।

बेली
कहते
हैं
कि
अगर
किसी
एयरक्राफ्ट
में
उड़ान
के
दौरान
कोई
गंभीर
तकनीकी
समस्या
आती
है
तो
पायलट
का
पहला
काम
एयरक्राफ्ट
को
कंट्रोल
में
रखना
और
दूसरा
स्थिति
की
जानकारी
कम्युनिकेट
करना
होता
है।
वहां
इस
मामले
में
कोई
कम्युनिकेशन
नहीं
हुआ।
इसका
मतलब
है
शायद
पायलट
हेलिकॉप्टर
को
कंट्रोल
करने
में
ही
उलझा
हुआ
था।

उन्होंने
आशंका
जताई
कि
हेलिकॉप्टर
का
टेल
रोटर
(पूंछ
पर
लगा
पंखा)
शायद
कट
गया
था,
जिससे
मेन
रोटर
ब्लेड
(हेलिकॉप्टर
का
मेन
पंखा)
पर
प्रभाव
पड़ा।
ये
एयरोडायनमिक
फोर्सेज
तब
बनी
होंगी
जब
पायलट
लैंडिंग
का
प्रयास
कर
रहा
होगा
या
कोई
तकनीकी
खराबी
आई
होगी।

उन्होंने
कहा-
आशंका
यह
भी
है
कि
टेल
रोटर
फेल
हो
गया
और
नियंत्रण
से
बाहर
हो
गया।
खराब
मौसम
और
पहाड़ी
इलाके
भी
इस
घातक
दुर्घटना
की
वजह
हो
सकते
हैं।

राष्ट्रपति
को
एस्कॉर्ट
कर
रहे
दो
अन्य
हेलिकॉप्टर
सुरक्षित
मंजिल
तक
पहुंच
गए।
इससे
भी
कुछ
लोग
दबी
जुबान
में
किसी
साजिश
की
आशंका
जता
रहे
हैं।
हालांकि
अब
तक
आधिकारिक
से
रूप
से
ऐसा
कोई
संकेत
नहीं
मिला
है।


यूक्रेन-ईरान
के
संघर्ष
के
बीच
पैसेंजर
प्लेन
को
निशाना
बनाने
का
इतिहास

यूक्रेन
और
ईरान
के
जियोपॉलिटिकल
कॉन्फ्लिक्ट
की
वजह
से
पैसेंजर
प्लेन
को
मार
गिराने
का
लंबा
इतिहास
रहा
है।
एविएशन
सेफ्टी
एक्सपर्ट
और
प्रोफेसर
अर्नोल्ड
बार्नेट
का
कहना
है
कि
पैसेंजर
विमानों
के
साथ
दुर्घटना
होना
सामान्य
नहीं
है।
मुझे
लगता
है
कि
आजकल
युद्ध
में
अक्सर
हवाई
लड़ाई
शामिल
होती
है।
ऐसे
में
प्लेन्स
काे
सावधान
रहना
चाहिए।


ईरान
में
लड़ाई
के
दौरान
निशाने
पर

चुका
सिविल
एविएशन

3
जुलाई
1988
को
एक
अमेरिकी
जहाज
ने
ईरान
एयर
फ्लाइट
655
को
मार
गिराया
था,
तब
290
लोग
मारे
गए
थे।
दरअसल,
ईरान-इराक
युद्ध
के
दौरान
अमेरिका
और
ईरान
के
बीच
‘ऑपरेशन
प्रेइंग
मेंटिस’
नाम
से
एक
नौसैनिक
युद्ध
हुआ
था।
युद्ध
फारस
की
खाड़ी
में
हुआ
था
और
एक
दिन
चला
था।

इसमें
अमेरिकी
नौसेना
की
मिसाइल
क्रूजर
यूएसएस
विंसेनेस
ने
ईरान
के
बंदर-ए-अब्बास
से
दुबई
जा
रहे
ईरान
एयर
फ्लाइट
655
को
मार
गिराया।
विमान
फारस
की
खाड़ी
और
ओमान
की
खाड़ी
के
बीच
होर्मुज
से
गुजर
रहा
था।
इसमें
सवार
सभी
290
लोग
मारे
गए
थे।

ईरानएयर फ्लाइट 655 का मलबा समुद्र से मिलने के बाद बंदर अब्बास के पोर्ट पर पड़ा हुआ। फोटो- तस्नीम न्यूज एजेंसी


ईरानएयर
फ्लाइट
655
का
मलबा
समुद्र
से
मिलने
के
बाद
बंदर
अब्बास
के
पोर्ट
पर
पड़ा
हुआ।
फोटो-
तस्नीम
न्यूज
एजेंसी

इस
मामले
में
अमेरिका
का
कहना
था
कि
उसकी
नौसेना
ने
यात्री
विमान
को
लड़ाकू
जेट
समझने
की
गलती
कर
दी
थी।
उसने
यह
भी
दावा
किया
था
कि
प्लेन
सिविलियन
कॉरिडोर
से
बाहर
था।
जबकि
बाद
में
यह
दावा
झूठा
साबित
हुआ।
एसोसिएटेड
प्रेस
के
अनुसार,
बाद
में
अमेरिकी
सरकार
ने
माफी
मांगी
और
आठ
साल
बाद
कहा
कि
वह
पीड़ितों
के
परिवारों
को
मुआवजा
देगी।

इसी
तरह
8
जनवरी
2020
को
यूक्रेन
इंटरनेशनल
एयरलाइंस
की
तेहरान
से
कीव
के
लिए
फ्लाइट
752
(बोइंग
737
एयरक्राफ्ट)
टेकऑफ
के
तीन
मिनट
बाद
ही
क्रैश
हो
गई।
इस
दुर्घटना
में
करीब
176
लोग
मारे
गए।

शुरुआत
में
ईरान
ने
इस
पर
कहा
कि
तकनीकी
खराबी
की
वजह
से
हादसा
हुआ
है।
ईरान
में
यूक्रेन
के
दूतावास
ने
माना
कि
विमान
का
इंजन
फेल
होने
की
वजह
से
हादसा
हुआ
है।
हालांकि
तीन
दिन
बाद
ईरान
ने
खुद
कुबूल
किया
कि
यूक्रेन
के
प्लेन
पर
ईरानी
वायुसेना
ने
दो
मिसाइलें
दागी
थीं।

यूक्रेन इंटरनेशनल एयरलाइंस का बोइंग 737 ईरान में दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। तेहरान के बाहरी इलाके में विमान का मलबा। फोटो- AFP


यूक्रेन
इंटरनेशनल
एयरलाइंस
का
बोइंग
737
ईरान
में
दुर्घटनाग्रस्त
हुआ
था।
तेहरान
के
बाहरी
इलाके
में
विमान
का
मलबा।
फोटो-
AFP

ईरान
के
इस्लामिक
रिवोल्यूशनरी
गार्ड
कोर
(IRGC)
के
एयरोस्पेस
कमांडर
आमिर
अली
हाजीजादेह
ने
कहा
कि
हमने
इस
विमान
को
अमेरिकी
क्रूज
मिसाइल
समझने
की
गलती
कर
दी
थी।
दरअसल,
ईरानी
जनरल
कासिम
सुलेमानी
की
हत्या
के
बाद
अमेरिका
के
साथ
बढ़ते
तनाव
के
बीच
IRGC
ने
तेहरान
से
उड़ान
भरने
के
तुरंत
बाद
ही
विमान
को
मार
गिराया
था।
बाद
में
इसके
खिलाफ
कनाडा,
स्वीडन,
यूनाइटेड
किंगडम
और
यूक्रेन
ने
यूनाइटेड
नेशनल
सिविल
एविएशन
एजेंसी
में
शिकायत
दर्ज
कराई
थी।


55
साल
पुरानी
टेक्नोलॉजी
वाले
बेल-212
हेलिकॉप्टर
में
सवार
थे
राष्ट्रपति
रईसी

ईरान
के
राष्ट्रपति
और
विदेश
मंत्री
को
ले
जा
रहे
बेल-212
हेलिकॉप्टर
की
टेक्नोलॉजी
करीब
55
साल
पुरानी
है।
फ्लाइट
ग्लोबल
की
वर्ल्ड
एयरफोर्स
डायरेक्ट्री-2024
के
अनुसार,
ईरान
की
एयरफोर्स
और
नेवी
में
10
बेल-212
हेलिकॉप्टर
हैं।

इसे
अमेरिकी
कंपनी
‘बेल
हेलिकॉप्टर’
(अब
बेल
टेक्सट्रॉन)
ने
1960
के
दशक
के
अंत
में
UH-1
Iroquois
के
अपग्रेडेड
वर्जन
के
रूप
में
कनाडाई
सेना
के
लिए
डेवलप
किया
था।
नई
डिजाइन
में
एक
के
बजाय
दो
टर्बोशाफ्ट
इंजन
थे।
अमेरिका
के
मिलिट्री
ट्रेनिंग
दस्तावेजों
के
अनुसार,
1971
में
पेश
इस
हेलिकॉप्टर
को
अमेरिका
और
कनाडा
ने
तुरंत
ही
अपना
लिया
था।

बेल-212
सिविल
एविएशन
(नागरिक
उड़ान),
माल
ढोने,
आग
बुझाने
के
साथ
ही
हथियारों
से
लैस
होने
में
भी
सक्षम
है।
इसका
एडवांस
वर्जन
पुलिस
और
मिलिट्री
उपयोग,
मेडिकल
ट्रांसपोर्ट
में
भी
सक्षम
है।
यूरोपियन
यूनियन
एविएशन
सेफ्टी
एजेंसी
के
अनुसार
यह
पायलट
सहित
15
लोगों
को
ले
जा
सकता
है।
कई
देशों
की
सरकारों
सहित
प्राइवेट
एजेंसियां
भी
इसका
प्रयोग
करती
हैं।
इनमें
जापानी
कोस्ट
गार्ड,
अमेरिका
में
लॉ
एनफोर्समेंट
एजेंसियां
​​और
अग्निशमन
विभाग
और
थाईलैंड
पुलिस
शामिल
हैं।


ईरानी
विमानों
में
उड़ान
भरना
बेहद
खतरनाक
क्यों?

  • ईरानएयर
    के
    बेड़े
    में
    ज्यादातर
    विमान
    दशकों
    पुराने
    हैं।
    वर्तमान
    बेड़े
    में
    ज्यादातर
    विमान
    औसतन
    20
    साल
    या
    उससे
    ज्यादा
    समय
    से
    उड़ान
    भर
    रहे
    हैं।
    ATR,
    A330
    और
    A320
    फैमिली
    के
    विमानों
    को
    छोड़कर
    अधिकतर
    विमान
    कई
    वर्षों
    से
    ऑपरेट
    हो
    रहे
    हैं।
  • ईरान
    वायर
    की
    रिपोर्ट
    के
    अनुसार,
    ईरान
    की
    एयरलाइंस
    के
    विमानों
    की
    औसत
    आयु
    28
    साल
    है।
    इस
    वजह
    से
    ईरान
    का
    एविएशन
    (हवाई)
    बेड़ा
    दुनिया
    में
    सबसे
    खतरनाक
    और
    असुरक्षित
    माना
    जाता
    है।
    ईरानी
    कंपनियों
    के
    पास
    335
    विमान
    हैं।
    खराब
    स्थिति
    के
    कारण
    इनमें
    से
    आधे
    विमानों
    का
    संचालन
    नहीं
    हो
    पा
    रहा
    है।
  • 2022
    में
    एसोसिएशन
    ऑफ
    ईरानी
    एयरलाइंस
    के
    सचिव
    ने
    बताया
    था
    कि
    देश
    में
    21
    एयरलाइंस
    ऑपरेट
    हो
    रही
    हैं।
    ईरान
    के
    सिविल
    एविएशन
    ऑर्गेनाइजेशन
    के
    प्रमुख
    के
    अनुसार,
    कुल
    171
    ईरानी
    विमान
    ही
    एक्टिव
    हैं,
    जो
    8.5
    करोड़
    की
    आबादी
    को
    सेवाएं
    दे
    रहे
    हैं।
  • 2022
    में
    सीएच-एविएशन
    के
    अनुसार,
    एयरबस
    A300B4
    (EP-IBG)
    ईरान
    एयर
    के
    साथ
    उड़ान
    भरने
    वाला
    सबसे
    पुराना
    एक्टिव
    एयरप्लेन
    है।
    यह
    करीब
    37
    साल
    पुराना
    है।
    दिसंबर
    2021
    तक
    प्लेन
    ने
    23,550
    फ्लाइट
    सर्कल
    में
    68,187
    घंटे
    पूरे
    किए
    हैं।
  • दूसरा
    सबसे
    पुराना
    विमान
    बोइंग
    747-200C
    (M)
    (EP-ICD)
    है,
    जो
    33.5
    साल
    पुराना
    है।
    यह
    कार्गो
    विमान
    1988
    में
    मार्टिनएयर
    के
    पास
    था
    और
    20
    साल
    बाद
    2008
    में
    ईरानएयर
    को
    सौंप
    दिया
    गया।
    वहीं
    उड़ान
    भरने
    वाले
    सबसे
    पुराने
    विमानों
    में
    28
    और
    30
    साल
    पुराने
    दो
    A300
    एयरप्लेन
    (EP-IBA
    और
    EP-IBC)
    भी
    हैं।
    30
    साल
    पुराने
    होने
    के
    बाद
    भी
    एयरबस
    A310
    (EP-IBK)
    एयरलाइन
    के
    लिए
    एक्टिव
    ड्यूटी
    पर
    तैनात
    है।
  • ईरानएयर,
    देश
    और
    मिडिल
    ईस्ट
    की
    सबसे
    पुरानी
    एयरलाइनों
    में
    से
    एक
    है।
    इसके
    पास
    अभी
    30
    विमान
    लिस्टेड
    हैं।
    कतर
    एयरवेज
    के
    बेड़े
    से
    तुलना
    करें
    तो
    उसके
    पास
    209
    विमान
    हैं,
    जिनकी
    औसत
    आयु
    5
    से
    8.5
    साल
    के
    बीच
    है।
  • इंटरनेशनल
    इंस्टीट्यूट
    फॉर
    स्ट्रैटजिक
    स्टडीज
    इन
    लंदन
    (IISS)
    के
    अनुसार
    ईरान
    के
    पास
    कुछ
    ही
    एक्टिव
    स्ट्राइक
    एयरक्राफ्ट
    हैं
    और
    वे
    भी
    1979
    में
    हुई
    ईरानी
    क्रांति
    से
    पहले
    के
    हैं।
    ऐसा
    ईरान
    पर
    लगे
    अंतरराष्ट्रीय
    प्रतिबंधों
    की
    वजह
    से
    हुआ
    है।
    ईरान
    स्पेयर
    पार्ट्स
    नहीं
    खरीद
    पा
    रहा
    है,
    जिस
    कारण
    इन
    विमानों
    का
    मेंटेनेंस
    नहीं
    हो
    पाता
    है।
  • लंदन
    बेस्ड
    एविएशन
    एक्सपर्ट्स
    एलेक्स
    माचेरस
    का
    अनुमान
    है
    कि
    1979
    के
    बाद
    से
    लगभग
    2,000
    ईरानी
    लोग
    विमान
    दुर्घटनाओं
    में
    अपनी
    जान
    गंवा
    चुके
    हैं,
    जबकि
    एविएशन
    सेफ्टी
    नेटवर्क
    का
    अनुमान
    है
    कि
    पिछले
    44
    वर्षों
    में
    ईरानी
    एयरलाइंस
    से
    जुड़ी
    दुर्घटनाओं
    में
    1,755
    लोगों
    की
    जान
    गई
    है।


2015
में
ईरान
परमाणु
समझौते
के
बाद
स्थिति
बदलने
की
उम्मीद
जगी
थी

1979
की
क्रांति
के
बाद
से
अंतरराष्ट्रीय
स्तर
पर
ईरान
को
अलग
सा
कर
दिया
गया।
इसके
बाद
आर्थिक
तौर
पर
कई
प्रतिबंध
लगाए
गए,
जिसका
अर्थव्यवस्था
पर
बुरा
असर
पड़ा।
शुरुआती
दिनों
में
खास
तौर
पर
ईरानी
एविएशन
को
भारी
नुकसान
हुआ
था।
ईरान
पश्चिमी
और
अन्य
देशों
से
नए
विमान
नहीं
खरीद
पाया।

हालांकि
2015
में
ज्वाइंट
कंप्रिहेंसिव
प्लान
ऑफ
एक्शन
(जेसीपीओए),
जिसे
ईरान
परमाणु
समझौते
के
तौर
के
देखा
जाता
है।
यह
ईरानी
एविएशन
के
लिए
संजीवनी
की
तरह
थी।
ईरान
जल्द
ही
अपने
हवाई
बेड़े
का
आधुनिकीकरण
कर
सकता
है,
क्योंकि
उसने
वादा
किया
था
कि
अगर
अंतरराष्ट्रीय
प्रतिबंध
हटा
दिए
गए
तो
वह
अपने
परमाणु
कार्यक्रम
को
सीमित
कर
देगा।
1979
के
बाद
से
यह
पहला
मौका
था
जब
ईरान
एविएशन
में
लगे
प्रतिबंधों
को
हटाया
जा
सकता
था।
इस
समझौते
के
बाद
ईरान
को
बोइंग

एयरबस
सहित
अमेरिकी
और
यूरोपीय
कंपनियों
से
सीधे
विमान
खरीदने
की
अनुमति
मिल
गई।

दरअसल,
2015
के
परमाणु
समझौते
(JCPOA)
ने
पश्चिमी
विमानों
की
खरीद
पर
प्रतिबंधों
को
खत्म
कर
दिया।
इसके
साथ
ही
ईरान
ने
बोइंग
और
एयरबस
से
नए
विमान
खरीदने
के
लिए
बातचीत
शुरू
कर
दी।

इन
तमाम
कॉन्ट्रैक्ट
और
डील
के
बाद
कुछ
एयरबस
एयरक्राफ्ट
ईरान
के
पास
आए,
लेकिन
अमेरिकी
राष्ट्रपति
डोनाल्ड
ट्रम्प
ने
2018
में
परमाणु
समझौते
को
रद्द
कर
दिया,
तो
अमेरिकी
प्रतिबंधों
की
धमकी
के
तहत
इन
सभी
चार
सौदों
को
रद्द
कर
दिया
गया।