मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में गिरफ्तारी पर SC का फैसला: मामला स्पेशल कोर्ट में आया तो ED आरोपी को अरेस्ट नहीं कर सकती

मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में गिरफ्तारी पर SC का फैसला: मामला स्पेशल कोर्ट में आया तो ED आरोपी को अरेस्ट नहीं कर सकती


नई
दिल्ली
2
मिनट
पहले

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी को ED की हिरासत में तभी भेजा जा सकता है, जब कोर्ट इस बात से संतुष्ट हो कि पूछताछ के लिए कस्टडी में भेजने की जरूरत है। - Dainik Bhaskar


सुप्रीम
कोर्ट
ने
कहा
कि
आरोपी
को
ED
की
हिरासत
में
तभी
भेजा
जा
सकता
है,
जब
कोर्ट
इस
बात
से
संतुष्ट
हो
कि
पूछताछ
के
लिए
कस्टडी
में
भेजने
की
जरूरत
है।

सुप्रीम
कोर्ट
ने
गुरुवार
को
कहा
कि
अगर
स्पेशल
कोर्ट
में
मनी
लॉन्ड्रिंग
का
केस
पहुंच
गया
है,
तो
प्रवर्तन
निदेशालय
(ED)
आरोपी
को
PMLA
के
सेक्शन
19
के
तहत
गिरफ्तार
नहीं
कर
सकती।

जस्टिस
अभय
ओका
और
जस्टिस
उज्ज्वल
भुइयां
की
बेंच
ने
यह
आदेश
पंजाब
और
हरियाणा
हाईकोर्ट
के
उस
फैसले
पर
दिया
है,
जिसमें
हाईकोर्ट
ने
आरोपियों
की
प्री-अरेस्ट
बेल
याचिका
खारिज
कर
दी
थी।

सुप्रीम
कोर्ट
ने
इस
साल
जनवरी
में
आरोपियों
को
अंतरिम
जमानत
दी
थी।
यह
केस
जमीन
घोटाले
से
जुड़ा
है,
जिसमें
कुछ
रेवेन्यू
अफसरों
को
मनी
लॉन्ड्रिंग
के
तहत
आरोपी
बनाया
गया
था।

बेंच
ने
कहा
कि
अदालत
के
समन
के
बाद
अगर
आरोपी
पेश
हुआ
है
तो
यह
नहीं
माना
जा
सकता
कि
वो
गिरफ्तार
है।
एजेंसी
को
संबंधित
अदालत
में
कस्टडी
के
लिए
अप्लाय
करना
होगा।


ED
की
गिरफ्तारी
पर
3
टिप्पणियां

1.
मनी
लॉन्ड्रिंग
का
आरोपी
अगर
कोर्ट
के
समन
के
बाद
पेश
होता
है
तो
उसे
जमानत
की
अर्जी
देने
की
जरूरत
नहीं
है।
ऐसे
में
PMLA
के
सेक्शन
45
के
तहत
जमानत
की
शर्तें
भी
लागू
नहीं
हैं।

2.
कोर्ट
समन
के
बाद
अगर
आरोपी
पेश
होता
है
तो
उसकी
रिमांड
के
लिए
ED
को
स्पेशल
कोर्ट
में
एप्लिकेशन
देनी
होगी।

3.
कोर्ट
तभी
एजेंसी
को
कस्टडी
देगी,
जब
वह
संतुष्ट
हो
जाएगी
कि
कस्टडी
में
पूछताछ
जरूरी
है।


क्या
कहता
है
PMLA
का
सेक्शन
19

अदालत
के
फैसले
का
मतलब
है
कि
जब
ED
ने
जब
उस
आरोपी
के
खिलाफ
कम्पलेंट
भेज
दी
है,
जो
जांच
के
दौरान
गिरफ्तार
नहीं
किया
गया
था।
तब
अफसर
PMLA
एक्ट
के
सेक्शन
19
के
तहत
मिली
स्पेशल
पावर्स
का
इस्तेमाल
नहीं
कर
सकते
हैं।
सेक्शन
19
कहता
है
कि
अगर
ED
को
किसी
आरोपी
के
अपराध
में
शामिल
होने
का
शक
है
तो
वह
उसे
गिरफ्तार
कर
सकती
है।


PMLA
के
तहत
जमानत
की
शर्त

मनी
लॉन्ड्रिंग
के
तहत
आरोपी
अगर
जमानत
के
लिए
अपील
करता
है
तो
उसके
लिए
शर्त
है।
कोर्ट
सरकारी
वकील
की
दलीलें
सुनेगी
और
जब
वह
संतुष्ट
हो
जाएगी
कि
व्यक्ति
गुनहगार
नहीं
है
और
वह
बाहर
जाकर
इसी
तरह
का
कोई
जुर्म
नहीं
करेगा,
तब
जमानत
दी
जा
सकती
है।

नवंबर
2017
में
सुप्रीम
कोर्ट
ने
PMLA
के
सेक्शन
45(1)
को
अवैध
करा
दिया
था,
क्योंकि
इसमें
मनी
लॉन्ड्रिंग
के
आरोपी
को
जमानत
के
लिए
2
अतिरिक्त
शर्तें
थीं।
केंद्र
सरकार
ने
PMLA
एक्ट
में
संशोधन
कर
इन
प्रावधानों
को
बरकरार
रखा
था।


पिछली
सुनवाई
में
सुप्रीम
कोर्ट
ने
सवाल
किया
था

इस
मामले
पर
पिछली
सुनवाई
30
अप्रैल
को
हुई
थी।
तब
सुप्रीम
कोर्ट
ने
सवाल
किया
था
कि
अगर
कोर्ट
ने
PMLA
के
तहत
आरोपी
को
समन
भेजा
और
वह
पेश
हुआ
है
तो
क्या
वो
CrPc
के
तहत
जमानत
के
लिए
आवेदन
कर
सकता
है?
30
अप्रैल
को
कोर्ट
ने
अपना
फैसला
सुरक्षित
रख
लिया
था।
आज
कोर्ट
ने
अपना
फैसला
सुनाया
है।


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को
अंतरिम
जमानत
दे
दी।
उन्हें
2
जून
को
सरेंडर
करना
होगा।
मामले
की
सुनवाई
के
दौरान
जस्टिस
संजीव
खन्ना
और
जस्टिस
दीपांकर
दत्ता
की
बेंच
ने
कहा,
‘अरविंद
केजरीवाल
दिल्ली
के
चुने
हुए
मुख्यमंत्री
हैं।
वो
कोई
आदतन
अपराधी
नहीं
हैं।
यह
एक
असाधारण
स्थिति
है।
चुनाव
5
साल
में
एक
बार
होता
है।
यह
फसल
की
कटाई
जैसा
नहीं
है
कि
हर
4-6
महीने
में
होगी।
उन्हें
अंतरिम
जमानत
पर
रिहा
किए
जाने
पर
प्राथमिकता
से
विचार
करना
चाहिए।’


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SC
ने
GST
एक्ट
के
तहत
नोटिस-गिरफ्तारियों
का
डेटा
मांगा:
कहा-
लोगों
को
धमकी
देकर
परेशान
किया
जाता
है

सुप्रीम
कोर्ट
ने
केंद्र
से
GST
एक्ट
के
तहत
1
से
5
करोड़
रुपए
के
डिफॉल्ट
के
लिए
जारी
किए
गए
नोटिस
और
गिरफ्तारियों
का
डेटा
मांगा
है।
कोर्ट
ने
कहा
कि
कभी-कभी
गिरफ्तारियां
नहीं
की
जाती
हैं,
लेकिन
लोगों
को
नोटिस
जारी
करके,
गिरफ्तारी
की
धमकी
देकर
परेशान
किया
जाता
है।


पूरी
खबर
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