
जयपुर4
मिनट
पहलेलेखक:
किरण
राजपुरोहित,
स्टेट
एडिटर
(राजस्थान)
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होली
के
साथ
रंग-बिरंगा
फाल्गुन
का
महीना
बीत
गया
है।
चैत्र
माह
की
दस्तक
के
साथ
दोनों
दल
सियासी
बुखार
की
चपेट
में
हैं।
राजनीतिक
रणनीतिकार
नब्ज
पकड़े
हुए
हैं,
लेकिन
ठीक
से
इलाज
नहीं
हो
पा
रहा
है।
किसी
की
भी
हालत
गंभीर
नहीं
है।
इसके
बावजूद
हालात
चिंताजनक
जरूर
है।
सियासी
पारे
को
कम
करने
के
लिए
भाजपा
और
कांग्रेस
के
नेता
बार-बार
ठंडे
पानी
की
पटि्टयां
कर
रहे
हैं,
लेकिन
नए-नए
विवादों
से
टेंपरेचर
के
साथ
अब
ब्लड
प्रेशर
भी
बढ़ने
लगा
है।
पूरे
राजस्थान
में
एक
ही
सवाल
है…
क्या
पिछले
दो
बार
से
अपना
खाता
नहीं
खोल
पाने
से
असहनीय
पीड़ा
झेल
रही
कांग्रेस
को
इस
बार
दर्द
से
मुक्ति
मिलेगी?
खाता
खुलेगा
क्या?
भाजपा
हैट्रिक
मार
पाएगी
क्या?
और
एक
खास
सवाल…
क्या
राजस्थान
का
चुनाव
हर
बार
की
तरह
है?
राजस्थान
और
यहां
राजनीति
का
हेल्थ
बुलेटिन
कुछ
संकेत
देता
है?
इसे
कुछ
यूं
समझते
हैं?

पहले
संक्षेप
में…