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घंटे
पहलेलेखक:
अनुराग
आनंद
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लिंक
2
जुलाई
1984
की
सुबह।
जम्मू
कश्मीर
के
मुख्यमंत्री
फारूक
अब्दुल्ला
श्रीनगर
के
गुपकार
रोड
स्थित
अपने
आवास
पर
पत्नी
मौली
के
साथ
चाय
पी
रहे
थे।
तभी
उनका
फोन
बज
उठा।
फोन
पर
कहा
गया
कि
राज्यपाल
जगमोहन
मल्होत्रा
आपसे
फौरन
मिलना
चाहते
हैं।
फारूक
ने
जल्दी-जल्दी
स्नान
किया
और
काफिले
के
साथ
राजभवन
के
लिए
निकले।
राज्यपाल
पहले
से
उनका
इंतजार
कर
रहे
थे।
फारूक
के
पहुंचते
ही
राज्यपाल
ने
उन्हें
250
शब्दों
की
एक
चिट्ठी
सौंप
दी।
इस
चिट्ठी
का
मजमून
था-
‘आपने
विधानसभा
में
ज्यादातर
विधायकों