सोनिया गांधी की शपथ ग्रहण के कार्ड बन चुके थे: आखिरी वक्त में पर्दे के पीछे ऐसा क्या हुआ, जिससे पीएम पद ठुकरा दिया

सोनिया गांधी की शपथ ग्रहण के कार्ड बन चुके थे: आखिरी वक्त में पर्दे के पीछे ऐसा क्या हुआ, जिससे पीएम पद ठुकरा दिया


4
घंटे
पहले
लेखक:
धर्मेन्द्र
चौहान

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2004
लोकसभा
चुनाव
में
अटल
बिहारी
वाजपेयी
की
सरकार
‘शाइनिंग
इंडिया’
नारे
के
साथ
उतरी
थी।
इसके
जवाब
में
सोनिया
गांधी
की
कांग्रेस
ने
नारा
दिया-
‘आम
आदमी
को
क्या
मिला?’
13
मई
को
नतीजे
आए
तो
बीजेपी
138
सीटों
पर
सिमट
गई।
145
सीटों
के
साथ
कांग्रेस
सबसे
बड़ी
पार्टी
बनकर
उभरी।
सरकार
बनाने
के
लिए
272
सीटें
चाहिए
थीं।

राष्ट्रपति
भवन
में
अब्दुल
कलाम
इंतजार
कर
रहे
थे,
लेकिन
किसी
पार्टी
ने
3
दिन
तक
सरकार
बनाने
का
दावा
पेश
नहीं
किया।
जेवियर
मोरो
सोनिया
गांधी
की
बायोग्राफी
‘द
रेड
साड़ी’
में
लिखते
हैं
कि
15
मई
को
कांग्रेस
ने
सोनिया
गांधी
को
अपने
संसदीय
दल
का
नेता
चुन
लिया।
एक
पत्रकार
ने
सोनिया
से
पूछा-
क्या
संसदीय
दल
का
नेता
ही
अगला
पीएम
होगा?
सोनिया
बोलीं-
आमतौर
पर
तो
यही
होता
है।

पूर्व
राष्ट्रपति
एपीजे
अब्दुल
कलाम
अपनी
किताब
‘टर्निंग