एक बार फिर सुनाई दी भारतीय डंके की गूंज, इस मामले में जापान, ऑस्ट्रेलिया, कोरिया तक को पछाड़ा

एक बार फिर सुनाई दी भारतीय डंके की गूंज, इस मामले में जापान, ऑस्ट्रेलिया, कोरिया तक को पछाड़ा


नई
दिल्ली.

भारत
में
बेशक
इंटरनेट
क्रांति
विकसित
देशों
के
मुकाबले
थोड़ा
बाद
में
आई,
लेकिन
आज
एशिया
के
देशों
में
भारत
की
तूती
बोल
रही
है.
अगर
बात
करें
डेटा
सेंटर
स्थापित
करने
की
तो
भारत
ने
हाल
ही
में
ऑस्ट्रेलिया,
हॉन्गकॉन्ग
एसएआर,
जापान,
सिंगापुर
और
कोरिया
जैसे
देशों
को
पीछे
छोड़
दिया
है.
भारत
बड़े
APAC
देशों
में
(चीन
को
छोड़कर)
950MW
के
डेटा
सेंटर
क्षमता
वाला
देश
बन
गया
है.
यह
जानकारी
सीबीआरई
साउथ
एशिया
प्राइवेट
लिमिटेड
की
एक
रिपोर्ट
से
मिली
है.

भारत
के
बाद
जापान
दूसरा
सबसे
बड़ा
डेटा
सेंटर
है
और
उसकी
क्षमता
892
मेगावाट
है.
जापान
के
बाद
ऑस्ट्रेलिया
773
मेगावाट,
फिर
सिंगापुर
718
मेगावाट,
हॉन्गकॉन्ग
613
मेगावाट
और
फिर
कोरिया
531
मेगावाट
की
क्षमता
वाला
देश
है.


कोविड
में
दोगुनी
कर
ली
थी
अपनी
क्षमता

तेजी
से
बदलती
टेक्नोलॉजी
की
दुनिया
के
लिए
डेटा
सेंटर
सबसे
अहम
हैं.
कई
बड़ी-बड़ी
कंपनियां
भारत
में
अपना
डेटा
सेंटर
स्थापित
कर
चुकी
हैं
या
करना
चाहती
हैं.
यही
वजह
है
कि
भारत
में
डेटा
सेंटर
(डीसी)
इंडस्ट्री
ने
काफी
अच्छी
ग्रोथ
की
है.
जब
कोविड
महामारी
की
शुरुआत
हुई
थी,
उसी
दौरान
भारत
ने
अपनी
क्षमता
को
दोगुना
कर
लिया
था.
2023
में
255
मेगावाट
की
क्षमता
का
इजाफा
किया
गया.
2022
में
भी
200
मेगावाट
की
क्षमता
वाला
डेटा
सेंटर
लगाया
गया
था.

2024
में
भी
लगातार
डेटा
सेंटर
में
क्षमताओं
का
विस्तार
किया
जा
रहा
है.
प्लान
है
कि
अलग-अलग
शहरों
में
330
वॉट
के
डीसी
लगाए
जाएंगे.
सालाना
लगभग
30
प्रतिशत
की
वृद्धि
की
जा
रही
है,
जिससे
1370
मेगावाट
तक
पहुंचने
की
उम्मीद
है.
भारत
में
2023
तक
16
मिलियन
स्क्वेयर
फीट
के
डीसी
स्टॉक
हैं.


भारत
में
तेजी
से
बढ़
रहा
बाजार

डेटा
सेंटर
(डीसी)
भारत
सहित
एपीएसी
क्षेत्र
में
निवेशकों
के
लिए
टॉप-3
पसंदीदा
अल्टरनेटिव
एसेट्स
में
से
एक
बने
हुए
हैं.
इस
क्षेत्र
में
वैश्विक
ऑपरेटर,
रियल
एस्टेट
डेवलपर्स
और
देश
के
तेजी
से
बढ़ते
बाजार
में
प्रवेश
करने
के
लिए
उत्सुक
निजी
इक्विटी
फंडों
से
महत्वपूर्ण
निवेश
देखा
गया
है.

वैश्विक
निवेशकों
की
भारतीय
डेटा
सेंटर
बाजार
में
गहरी
रुचि
बनी
हुई
है.
कई
समूह
स्थानीय
ऑपरेटरों
के
साथ
साझेदारी
और
संयुक्त
उद्यम
पर
नजर
गड़ाए
हुए
हैं.
खिलाड़ियों
की
बढ़ती
संख्या
के
कारण
आने
वाले
वर्षों
में
ऑपरेटरों
के
बीच
एम
एंड

गतिविधि
में
तेजी
आने
की
संभावना
है,
जिसके
परिणामस्वरूप
बाजार
के
बहुत
अधिक
बिखरने
से
पहले
कुछ
कंसोलिडेशन
देखने
को
मिल
सकता
है.

भारत
का
डेटा
सेंटर
सेक्टर,
अपने
लचीलेपन
और
आकर्षक
रिटर्न
की
क्षमता
के
साथ,
निवेशकों
के
लिए
मौका
बनकर
उभरा
है.
इस
क्षेत्र
का
आकर्षण
इस
तथ्य
से
और
भी
बढ़
गया
है
कि
2018-2023
के
बीच,
भारत
ने
वैश्विक
और
घरेलू
दोनों
निवेशकों
से
40
बिलियन
अमेरिकी
डॉलर
से
अधिक
की
निवेश
प्रतिबद्धताएं
प्राप्त
की
हैं.

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