
हाइलाइट्स
कर्नाटक
में
प्राइवेट
जॉब
में
100
फीसदी
आरक्षण
हो
गया
है.
इस
आरक्षण
के
तहत
सिर्फ
कन्नड़भाषियों
को
जॉब
मिलेगी.
यह
आरक्षण
ग्रुप
सी
और
डी
लेवल
की
भर्तियों
पर
लागू
है.
नई
दिल्ली.
हरियाणा
के
बाद
अब
कर्नाटक
में
भी
प्राइवेट
कंपनियों
में
स्थानीय
लोगों
को
ही
भर्ती
करने
का
नियम
लागू
हो
गया
है.
मुख्यमंत्री
सिद्धरमैया
की
अगुवाई
वाली
कैबिनेट
ने
राज्य
में
स्थापित
प्राइवेट
कंपनियों
में
सिर्फ
कन्नड़
भाषी
लोगों
को
ही
नौकरी
देने
का
बिल
पास
कर
दिया
है.
इसके
साथ
ही
कर्नाटक
में
100
फीसदी
रिजर्वेशन
लागू
हो
गया
है.
राज्य
के
कॉमर्स
एवं
इंडस्ट्री
मिनिस्टर
एमबी
पाटिल
ने
सोशल
मीडिया
प्लेटफॉर्म
पर
बाकायदा
पोस्ट
कर
इसकी
जानकारी
दी
है.
एमबी
पाटिल
ने
लिखा,
भारत
अभी
चाइना
प्लस
वन
नीति
के
तहत
मैन्युफैक्चरिंग
और
इंडस्ट्रियल
रिवोलूशन
की
तरफ
बढ़
रहा
है.
प्रतिस्पर्धा
के
इस
दौर
में
कर्नाटक,
महाराष्ट्र,
तमिलनाडु
और
तेलंगाना
जैसे
राज्य
अपना
बेहतर
योगदान
दे
रहे
हैं.
यह
सभी
राज्यों
की
जिम्मेदारी
है
कि
इसमें
भागीदारी
बनें.
ऐसे
में
हमने
कन्नड़भाषियों
के
हितों
को
ध्यान
में
रखते
हुए
मुख्यमंत्री
महोदय
से
इस
पर
चर्चा
की.
आपको
बता
दें
कि
हरियाणा
का
मामला
आज
भी
कोर्ट
में
लंबित
है.
उद्योगों
पर
कोई
असर
नहीं
कॉमर्स
मिनिस्ट
ने
कहा
कि
इस
मुद्दे
पर
काफी
विस्तार
से
चर्चा
हुई
और
फिर
100
फीसदी
रिजर्वेशन
लागू
करने
का
फैसला
किया
गया.
मैं
आश्वस्त
करना
चाहता
हूं
कि
इस
फैसले
से
कन्नड़भाषियों
के
हितों
की
रक्षा
होगी.
साथ
ही
इंडस्ट्री
पर
भी
कोई
असर
नहीं
होगा.
कर्नाटक
काफी
प्रगतिशील
राज्य
है
और
हम
अगले
100
सालों
तक
यहां
के
औद्योगीकरण
को
खोने
का
चांस
नहीं
ले
सकते
हैं.
मैं
उद्योगों
को
आश्वस्त
करना
चाहता
हूं
कि
उन्हें
इस
फैसले
डरने
की
जरूरत
नहीं
है.
किन
नौकरियों
पर
रिजर्वेशन
लागू
कर्नाटक
की
कैबिनेट
ने
मंगलवार
को
ही
100
फीसदी
रिजर्वेशन
का
बिल
पास
कर
दिया
है.
यह
रिजर्वेशन
प्राइवेट
कंपनियों
में
ग्रुप
सी
और
डी
लेवल
की
नौकरियों
पर
लागू
होगा.
सरकार
का
कहना
है
कि
हम
कन्नड़
आधारित
राज्य
हैं
और
उनके
हितों
की
रक्षा
करना
हमारा
पहला
अधिकार
है.
इस
बिल
के
पास
होते
ही
विरोध
भी
शुरू
हो
गया
है.
उद्यमियों
ने
इसके
खिलाफ
मोर्चा
खोल
दिया
है.
उनका
कहना
है
कि
इस
फैसले
कंपनियों
की
कमाई
और
कामकाज
पर
असर
पड़ेगा.
कोर्ट
में
फंसेगा
मामला
कानून
के
विश्लेषकों
का
मानना
है
कि
हरियाणा
की
तरह
कर्नाटक
का
रिजर्वेशन
मामला
भी
कोर्ट
में
फंस
जाएगा.
हरियाणा
सरकार
ने
भी
30
हजार
से
कम
सैलरी
वाली
पोस्ट
पर
प्रदेश
के
लोगों
को
70
फीसदी
आरक्षण
देने
का
नियम
लागू
किया
था,
जिस
पर
फिलहाल
चडीगढ़
हाईकोर्ट
ने
रोक
लगा
दी
है.
जानकारों
का
कहना
है
कि
इस
तरह
के
आरक्षण
से
संविधान
के
मूलभूत
अधिकारों
का
हनन
होता
है
और
आर्टिकल
35
का
उल्लंघन
करता
है.
जाहिर
है
कि
कर्नाटक
सरकार
का
फैसला
भी
कोर्ट
में
जाकर
फंस
सकता
है.
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FIRST
PUBLISHED
:
July
17,
2024,
16:08
IST