
पीएम
मोदी
की
तीसरी
बार
सरकार
बनाने
में
बिहार
के
मुख्यमंत्री
नीतीश
कुमार
और
आंध्र
प्रदेश
के
सीएम
चंद्रबाबू
नायडू
की
बड़ी
भूमिका
है.
लेकिन
दोनों
अपने-अपने
राज्य
के
लिए
केंद्र
से
बड़ा
पैकेज
मांग
रहे
हैं.
इसलिए
बजट
2024
में
सरकारी
खर्चे
को
संतुलित
करना
सरकार
के
लिए
बड़ी
चुनौती
होगी.
सरकारी
कर्ज
पर
अंकुश
लगाने
का
दबाव
अलग
से
होगा.
ब्लूमबर्ग
के
अर्थशास्त्रियों
ने
मुताबिक,
ये
सबकुछ
आसान
नहीं
है.
लेकिन
ऐसा
लगता
है
कि
मोदी
बजट
घाटे
को
बढ़ाए
बिना
उन
मांगों
को
पूरा
करने
में
सक्षम
होंगे.
रिपोर्ट
के
मुताबिक,
बॉन्ड
बिक्री
से
सरकार
ने
14.1
ट्रिलियन
जुटाने
का
लक्ष्य
रखा
है.
लेकिन
सर्वे
में
शामिल
एक
भी
शख्स
को
ऐसा
नहीं
लगता
कि
बजट
घाटा
बढ़ेगा.अर्थशास्त्रियों
का
अनुमान
है
कि
सरकार
या
तो
मार्च
2025
तक
के
वित्तीय
वर्ष
के
लिए
सकल
घरेलू
उत्पाद
के
5.1
प्रतिशत
के
अपने
घाटे
के
लक्ष्य
पर
कायम
रहेगी,
या
इसे
थोड़ा
कम
करेगी.
अर्थशास्त्रियोंं
के
मुताबिक,
नायडू
ने
आंध्र
प्रदेश
के
लिए
अगले
कुछ
वर्षों
में
मोटी
रकम
मांगी
है,
जिसका
एक
हिस्सा
इसी
बजट
से
दिया
जा
सकता
है.
नायडू
ने
हाल
ही
में
अपनी
पार्टी
के
सांसदों
से
कहा
कि
वे
सरकार
से
जितना
संभव
हो
सके
उतना
धन
जुटाएं.
वहीं,
नीतीश
कुमार
देश
के
सबसे
गरीब
प्रांतों
में
से
एक
बिहार
के
लिए
भी
अच्छा
पैकेज
मांग
रहे
हैं.
राजस्व
घाटे
में
कमी
लाने
की
योजना
बैंक
ऑफ
अमेरिका
कॉरपोरेशन
में
फिक्स्ड
इनकम
,
करेंसी
और
कमोडिटीज
के
प्रमुख
विकास
जैन
के
मुताबिक,
अगर
मोदी
सरकार
घाटे
में
और
कमी
लाने
की
योजना
बनाती
है
तो
इससे
बॉन्ड
में
और
तेजी
आ
सकती
है.
इस
सरकार
ने
हमेशा
राजकोषीय
घाटे
को
कम
करने
और
संतुलन
लाने
की
कोशिश
की
है.
निवेशकों
को
भरोसा
है
कि
इस
बार
भी
सरकार
उसी
रास्ते
पर
चलेगी.
हाल
ही
में
जब
दुनिया
की
उभरती
अर्थव्यवस्थाओं
के
सरकारी
खर्च
का
अध्ययन
किया
गया
तो
पता
चला
कि
भारत
कहीं
आगे
है.
सरकारी
खातों
पर
दबाव
के
कारण
कोलंबिया
के
क्रेडिट
आउटलुक
में
कटौती
की
गई
है.
लोकलुभावन
फैसले
लेने
का
भी
दबाव
एक्सपर्ट
को
लगता
है
कि
सरकार
चुनाव
में
मिले
नतीजों
को
देखते
हुए
कुछ
लोकलुभावन
फैसले
ले
सकती
है.
लेकिन
राजस्व
में
अचानक
हुई
वृद्धि
उन्हें
बिना
राजकोषीय
घाटा
बढ़ाए
साथी
दलों
को
खुश
करने
का
मौका
दे
सकती
है.
निर्मला
सीतारमण
को
फिर
से
वित्तमंत्री
बनाए
जाने
से
एक
बात
तो
साफ
हो
गया
है
कि
सरकार
उनकी
बनाई
नीतियों
से
संतुष्ट
है
और
उसी
पर
आगे
चलने
वाली
है.
लगभग
सभी
अर्थशास्त्रियों
को
उम्मीद
है
कि
सरकार
2026
फाइनेंसियल
ईयर
के
लिए
वित्तीय
घाटे
को
4.5
फीसदी
से
नीचे
रखने
की
कोशिश
करेगी.
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FIRST
PUBLISHED
:
July
18,
2024,
23:04
IST