भारतीयों का 80% डेटा बाहर होता है स्टोर, आउटेज हुआ तो कुछ नहीं कर सकते

भारतीयों का 80% डेटा बाहर होता है स्टोर, आउटेज हुआ तो कुछ नहीं कर सकते


नई
दिल्ली.

शुक्रवार
(19
जुलाई)
को
क्लाउडस्ट्राइक
के
एक
सॉफ्टवेयर
अपडेट
के
वजह
से
दुनियाभर
में
माइक्रोसॉफ्ट
एज्योर
क्लाउड
पर
चलने
वाले
95%
कंप्यूटर
सिस्टम
ठप
पड़
गए.
इससे
कई
देशों
में
एयरपोर्ट,
फ्लाइट,
ट्रेनें,
हॉस्पिटल,
बैंक,
रेस्तरां,
डिजिटल
पेमेंट,
स्टॉक
एक्सचेंज,
टीवी
चैनल
से
लेकर
सुपर
मार्केट
जैसी
जरूरी
सेवाएं
रुक
गईं.
सबसे
ज्यादा
असर
एयरपोर्ट
पर
देखा
गया.
दुनियाभर
में
3%
यानी
करीब
4,295
फ्लाइट
कैंसिल
करनी
पड़ीं.
भारत
में
भी
इसका
असर
देखने
को
मिला
और
कुछ
फ्लाइटों
को
कैंसिल
किया
गया.
वहीं
मुंबई,
दिल्ली,
चेन्नई,
बेंगलुरु
समेत
देश
के
बड़े
एयरपोर्ट
पर
भारी
भीड़
देखी
गई.
ऑनलाइन
सर्विसेज
ठप
होने
से
कई
एयरपोर्ट
पर
फ्लाइट
बोर्डिंग
पास
हाथ
से
लिखकर
दिए
गए.
हालांकि,
शाम
तक
कई
सेवाएं
सामान्य
हो
गईं.

इतने
व्यापक
असर
के
चलते
इसे
इतिहास
का
सबसे
बड़ा
आईटी
संकट
बताया
जा
रहा
है.
कई
लोग
इसे
‘डिजिटल
पैंडेमिक’
भी
कह
रहे
हैं.
वहीं,
ओला
कैब
के
सीईओ
भाविश
अग्रवाल
ने
इस
तरह
के
आउटेज
से
बचने
के
लिए
देश
में
डेटा
स्टोरेज
की
जरूरत
पर
अपनी
प्रतिक्रिया
दी
है.
उन्होंने
कहा,
“इस
तरह
के
आउटेज
का
हमें
कभी
कभार
सामना
करना
ही
पड़ता
है.
इनके
पीछे
कोई
गलत
उद्देश्य
नहीं
होता
लेकिन
इसका
परिणाम
बहुत
बुरा
भी
हो
सकता
है.
और
चूंकि
हमारा
80
फीसदी
डेटा
देश
के
बाहर
स्टोर
होता
है,
हम
कुछ
नहीं
कर
सकते.”


डेटा
रिस्क
पर
समझ
बढ़ाने
की
जरूरत

भाविश
ने
कहा
कि
सरकार
को
हमारे
डेटा
के
वैश्विक
स्तर
पर
मौजूद
होने
के
जोखिम
को
पहचानना
होगा
और
इन
जोखिमों
से
निपटने
के
लिए
अधिक
कड़े
डेटा
स्थानीयकरण
मानदंड
लाने
होंगे.
उन्होंने
कहा
कि
आज
की
दुनिया
में
मशीनों
को
काम
करने
के
लिए
आपकी
डेटा
की
जरूरत
होती
है.
अगर
हम
डेटा
के
स्थनीयाकरण
पर
ध्यान
देंगे
तो
हमारा
डेटा
भी
सुरक्षित
रहेगा
और
इस
तरह
के
आउटेज
से
खुद
को
बचा
भी
सकेंगे.


थर्ड
पार्टी
के
वजह
से
हुआ
आउटेज

इस
आउटेज
के
बाद
माइक्रोसॉफ्ट
ने
तुरंत
कहा
कि
यह
एक
“थर्ड
पार्टी
इश्यू”
है
यानी
इसमें
उसकी
गलती
नहीं
थी.
हालांकि,
माइक्रोसॉफ्ट
के
पास
इस
समस्या
से
निपटने
के
लिए
कोई
इमरजेंसी
प्लान
नहीं
था.
इस
वजह
से
तकरीबन
15
घंटों
तक
सेवाएं
बाधित
रहीं.
माइक्रोसॉफ्ट
इंतजार
करती
रही
कि
खुद
साइबर
सिक्योरिटी
फर्म
इसे
दूर
करेगी.


वैकल्पिक
ऑपरेटिंग
सिस्टम
की
जरूरत

माइक्रोसॉफ्ट
आउटेज
ने
बता
दिया
है
कि
इंटरनेट
पर
चलने
वाली
सेवाएं
अगर
अचानक
से
ठप
पड़
गईं
तो
हम
कितनी
मुश्किल
में
फंस
सकते
हैं.
इसने
हमें
यह
भी
बताया
कि
डेटा
पर
खुद
का
नियंत्रण
होना
कितना
जरूरी
है.
अब
समय

गया
है
कि
देश
में
वैकल्पिक
ऑपरेटिंग
सिस्टम
के
विकास
को
गंभीरता
से
लिया
जाए.
सॉफ्टवेयर
डेवलपमेंट
और
यूपीआई
जैसे
वित्तीय
टेक्नोलॉजी
सिस्टम
बनाना
हमारी
क्षमता
बताता
है.
दुनिया
में
95%
कंप्यूटर
माइक्रोसॉफ्ट
के
ऑपरेटिंग
सिस्टम
से
चलते
हैं
और
यह
‘मोनोपॉली’
खतरनाक
है.
भारत
को
इसका
विकल्प
ढूंढ़ने
की
जरूरत
है.

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