मेक इन इंडिया का असर! दुनिया की दुकान बनने की तरफ भारत का एक और कदम

मेक इन इंडिया का असर! दुनिया की दुकान बनने की तरफ भारत का एक और कदम


हाइलाइट्स


अधिकारी
के
अनुसार,
सोने
की
खरीद
हैरान
करने
वाली
नहीं.
वैश्विक
तनाव
के
बीच
कई
केंद्रीय
बैंक
सोना
खरीद
रहे.
भारत
का
व्यापार
घाटा
बढ़कर
19.1
अरब
डॉलर
हो
गया
है.


नई
दिल्ली.

देश
से
वस्तुओं
का
निर्यात
1.06
फीसदी
बढ़कर
इस
साल
अप्रैल
में
बढ़कर
34.99
अरब
डॉलर
रहा
है.
एक
साल
पहले
इसी
महीने
में
यह
34.62
अरब
डॉलर
था.
बुधवार
को
जारी
सरकारी
आंकड़ों
के
अनुसार,
अप्रैल
महीने
में
आयात
भी
बढ़कर
54.09
अरब
डॉलर
पर
पहुंच
गया,
जो
अप्रैल,
2023
में
49.06
अरब
डॉलर
था.
अप्रैल
में
व्यापार
घाटा
(ट्रेड
डेफिसिट)
यानी
आयात
और
निर्यात
के
बीच
का
अंतर
19.1
अरब
डॉलर
रहा.

वाणिज्य
सचिव
सुनील
बर्थवाल
ने
संवाददाताओं
से
कहा
कि
इन
आंकड़ों
से
नये
वित्त
वर्ष
की
शुरुआत
अच्छा
होने
का
संकेत
मिलता
है
और
इसके
आगे
भी
बने
रहने
की
उम्मीद
है.
इस
साल
मार्च
में
निर्यात
41.68
अरब
डॉलर
रहा
था,
जो
एक
साल
पहले
इसी
महीने
में
41.96
अरब
डॉलर
था.


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रिटर्न
दोनों
जबरदस्त


सोने
का
आयात
तिगुना
बढ़ा

सोने
का
आयात
समीक्षाधीन
अवधि
में
तिगना
बढ़कर
3.11
अरब
डॉलर
का
हो
गया.
एक
साल
पहले
समान
अवधि
में
यह
1.01
अरब
डॉलर
था.
मार्च
2024
में
भारत
ने
1.53
अरब
डॉलर
के
सोने
का
आयात
किया
था.
बता
दें
कि
मंत्रालय
ने
2023-24
के
लिए
कुल
निर्यात
के
अनुमान
को
776.7
अरब
डॉलर
से
बढ़ाकर
778.2
अरब
डॉलर
कर
दिया
था.
2022-23
में
भारत
ने
776.4
अरब
डॉलर
के
निर्यात
का
लक्ष्य
हासिल
किया
था.
लक्ष्य
में
बढ़ोतरी
सर्विस
सेक्टर्स
के
नंबर्र
के
आधार
पर
की
गई.
वित्त
वर्ष
2023-24
में
सर्विस
सेक्टर
ने
341.1
अरब
डॉलर
का
निर्यात
किया.
वित्त
वर्ष
2022-23
में
यह
325.3
अरब
डॉलर
था.
2023-24
में
वस्तु
निर्यात
437.1
अरब
डॉलर
रहा
जो
उससे
पिछले
वित्त
वर्ष
के
451
अरब
डॉलर
के
निर्यात
से
3.1
फीसदी
कम
है.


सोने
की
तिगुना
खरीद
पर
प्रतिक्रिया

बर्थवाल
ने
कहा
है
कि
सोने
की
खरीब
सामान्य
है.
उन्होंने
कहा
कि
यह
कोई
हैरान
करने
वाला
आंकड़ा
नहीं
है.
बकौल
बर्थवाल,
“अधिकांश
केंद्रीय
बैंक
तनाव
की
वजह
से
गोल्ड
खरीद
रहे
हैं.
गोल्ड
की
कीमतें
बढ़ी
हैं
इसलिए
वैल्यू
की
टर्म
में
देखें
तो
उनका
आयात
बहुत
ज्यादा
दिख
रहा
है.”
आपको
बता
दें
कि
तनावपूर्ण
वैश्विक
परिस्थितियों
के
कारण
दुनियाभर
के
बैंक
बैकअप
के
तौर
पर
गोल्ड
खरीद
रहे
हैं.
संभव
है
कि
भारत
भी
ऐसा
ही
कर
रहा
हो.
गोल्ड
को
संकट
के
समय
में
करेंसी
के
सपोर्ट
की
तरह
देखा
जाता
है.


(भाषा
के
इनपुट
के
साथ)

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