
नई
दिल्ली.
राशन
कार्ड
बनने
की
राह
देख
रहे
मजदूरों
के
लिए
एक
अच्छी
खबर
है.
सुप्रीम
कोर्ट
ने
कार्ड
बनने
में
हो
रही
देरी
के
लिए
राज्यों
को
फटकार
लगाई
है
और
काम
को
अगले
4
हफ्ते
में
निपटाने
का
आदेश
जारी
किया
है.
वेरिफिकेशन
होने
के
बाद
जल्दी
ही
इन
प्रवासी
मजदूरों
को
अनाज
मिलना
शुरू
हो
सकता
है.
सुप्रीम
कोर्ट
ने
मंगलवार
को
ई-श्रम
पोर्टल
पर
पंजीकृत
प्रवासी
श्रमिकों
के
सत्यापन
में
देरी
पर
राज्य
सरकारों
की
खिंचाई
की.
टॉप
कोर्ट
ने
उन
राज्यों
को
खाद्यान्न
जारी
करने
का
भी
निर्देश
दिया,
जिन्होंने
प्रवासी
श्रमिकों
का
वेरिफिकेशन
पूरा
कर
लिया
है.
न्यायमूर्ति
सुधांशु
धूलिया
और
अहसानुद्दीन
अमानुल्लाह
की
पीठ
ने
इस
देरी
को
“दुर्भाग्यपूर्ण”
बताते
हुए
कहा
कि
यदि
राज्य
निर्धारित
समय
के
भीतर
वेरिफिकेशन
प्रक्रिया
पूरी
नहीं
करते
हैं
तो
संबंधित
सचिवों
को
अदालत
में
बुलाया
जाएगा.
उन्होंने
कहा,
“सत्यापन
चार
महीनों
में
क्यों
पूरा
नहीं
हो
सका.
यह
बहुत
ज्यादा
है.
चार
महीनों
के
बाद
भी
आप
इसे
कर
रहे
हैं
और
फिर
भी
दो
महीने
और
मांग
रहे
हैं…
हम
यहां
निर्देश
देते
हैं
कि
पूरा
सत्यापन
चार
हफ्तों
में
पूरा
किया
जाए.”
कुछ
राज्यों
ने
तो
शुरू
भी
नहीं
किया
काम
इकॉनमिक्स
टाइम्स
की
एक
रिपोर्ट
के
मुताबिक,
सुप्रीम
कोर्ट
ने
नोट
किया
कि
केवल
बिहार
और
तेलंगाना
ने
प्रवासी
श्रमिकों
का
100
प्रतिशत
सत्यापन
पूरा
कर
लिया
है.
सुनवाई
के
दौरान,
याचिकाकर्ताओं
की
ओर
से
उपस्थित
अधिवक्ता
प्रशांत
भूषण
ने
बताया
कि
जबकि
कुछ
राज्यों
ने
सत्यापन
प्रक्रिया
पूरी
कर
ली
है,
अन्य
ने
अभी
तक
इस
कार्य
की
शुरुआत
भी
नहीं
की
है.
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–
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इस
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के
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को
भी
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सरकार
ने
किया
ऐलान
भूषण
ने
यह
भी
कहा
कि
यदि
राशन
कार्ड
जारी
कर
भी
दिए
जाते
हैं,
तो
भी
ये
राज्य
इन
श्रमिकों
को
राशन
नहीं
दे
रहे
हैं
और
वे
कहते
हैं
कि
केंद्र
सरकार
ने
इन
लोगों
के
लिए
अतिरिक्त
राशन
आवंटित
नहीं
किया
है.
शीर्ष
अदालत
ने
इस
मामले
की
सुनवाई
27
अगस्त
को
तय
की
है.
इससे
पहले,
सुप्रीम
कोर्ट
ने
सभी
राज्यों
और
केंद्र
शासित
प्रदेशों
को
सरकार
की
विभिन्न
योजनाओं
का
लाभ
उठाने
के
लिए
ई-श्रम
पोर्टल
पर
पंजीकृत
लगभग
8
करोड़
प्रवासी
श्रमिकों
को
2
महीनों
के
भीतर
राशन
कार्ड
देने
का
निर्देश
दिया
था.
अदालत
ने
यह
नोट
किया
कि
अधिकारियों
ने
20
अप्रैल
2023
के
आदेश
का
पालन
नहीं
किया
है,
जिसमें
उन्हें
श्रमिकों
को
राशन
कार्ड
प्रदान
करने
के
लिए
3
महीने
का
समय
दिया
गया
था.
न
की
जाए
निर्धारित
कोटा
की
परवाह
अदालत
ने
कहा
था
कि
अनावश्यक
विलंब
ईकेवाईसी
अपडेट
जैसे
बाधाओं
के
कारण
हो
रहा
है,
और
राशन
कार्ड
को
राष्ट्रीय
खाद्य
सुरक्षा
अधिनियम
(NFSA)
के
तहत
निर्धारित
कोटा
की
परवाह
किए
बिना
जारी
किया
जाना
चाहिए.
याचिकाकर्ता
अंजलि
भारद्वाज,
हर्ष
मंदर
और
जगदीप
चोकर
द्वारा
दायर
एक
आवेदन
पर
सुनवाई
करते
हुए
शीर्ष
अदालत
ने
यह
निर्देश
दिया
था.
अदालत
ने
कहा
था
कि
प्रवासी
श्रमिक
राष्ट्र
निर्माण
में
एक
बहुत
महत्वपूर्ण
भूमिका
निभाते
हैं
और
उनके
अधिकारों
की
अनदेखी
नहीं
की
जा
सकती.
अदालत
ने
केंद्र
को
यह
भी
निर्देश
दिया
था
कि
वे
एक
ऐसा
तंत्र
तैयार
करें,
जिससे
श्रमिक
राशन
कार्ड
के
बिना
खाद्यान्न
प्राप्त
कर
सकें.
इससे
पहले,
शीर्ष
अदालत
ने
प्रवासी
श्रमिकों
के
लिए
कल्याणकारी
उपायों
की
मांग
करने
वाले
तीन
कार्यकर्ताओं
की
याचिका
पर
सुनवाई
करते
हुए
अधिकारियों
को
कई
निर्देश
जारी
किए
थे,
और
कहा
था
कि
कोविड
महामारी
के
समाप्त
होने
तक
प्रवासी
श्रमिकों
को
मुफ्त
सूखा
राशन
प्रदान
करने
के
लिए
राज्यों
और
केंद्र
शासित
प्रदेशों
को
योजनाएं
बनानी
होंगी,
और
इसके
लिए
केंद्र
को
अतिरिक्त
खाद्यान्न
आवंटित
करना
होगा.
अदालत
ने
यह
भी
निर्देश
दिया
था
कि
राज्य
और
केंद्र
शासित
प्रदेश
सभी
प्रतिष्ठानों
का
पंजीकरण
करें
और
सभी
ठेकेदारों
को
कानून
के
तहत
लाइसेंस
दें
और
सुनिश्चित
करें
कि
ठेकेदारों
पर
प्रवासी
श्रमिकों
का
विवरण
देने
की
वैधानिक
जिम्मेदारी
हो.
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FIRST
PUBLISHED
:
July
17,
2024,
12:32
IST