सरकार का इशारा, F&O ट्रेडिंग करने पर देना पड़ सकता है ज्‍यादा टैक्‍स

सरकार का इशारा, F&O ट्रेडिंग करने पर देना पड़ सकता है ज्‍यादा टैक्‍स


हाइलाइट्स


अभी
एफएंडओ
ट्रांजेक्शन
से
हुई
इनकम
को
बिजनेस
इनकम
माना
जाता
है.
निवेशक
को
इससे
हुई
कमाई
पर
अपने
टैक्‍स
स्लैब
के
हिसाब
से
आयकर
चुकाना
होता
है.
फ्यूचर्स
एंड
ऑप्शंस
(एफएंडओ)
ट्रेडिंग
से
हुई
कमाई
पर
ज्‍यादा
टैक्‍स
लगाने
के
दो
फायदे
होंगे.


नई
दिल्‍ली.

शेयर
मार्केट
में
इन्वेस्टर्स
का
रुझान
फ्यूचर
एंड
ऑप्शंस
ट्रेडिंग
(F&O
Trading)
की
ओर
लगातार
बढ़ने
से
सरकार
चिंतित
है.
सोमवार
को
पेश
इकोनॉमिक
सर्वे
(Economic
Survey
2023-24)
में
भी
खुदरा
निवेशकों
की
फ्यूचर
एंड
ऑप्शंस
ट्रेडिंग
में
बढती
दिलचस्‍पती
पर
कड़ी
आलोचना
की
गई
है.
इसमें
यहां
तक
कहा
गया
है
कि
इस
तरह
के
स्पेकुलेटिव
ट्रेडिंग
का
भारत
जैसे
विकासशील
देश
में
कोई
जगह
नहीं
है.
सरकार
के
रुख
को
देखते
हुए
फ्यूचर्स
एंड
ऑप्शंस
(एफएंडओ)
ट्रेडिंग
करने
वालों
को
यूनियन
बजट
से
बड़ा
झटका
लग
सकता
है.
उन्हें
इससे
होने
वाली
इनकम
पर
ज्यादा
टैक्स
चुकाना
पड़
सकता
है.
एफएंडओ
से
हुई
कमाई
पर
ज्‍यादा
टैक्‍स
लगाने
को
सरकार
इससे
हुई
आय
को
लॉटरी
या
क्रिप्टोकरेंसी
से
हुई
इनकम
की
श्रेणी
में
रख
सकती
है.

बड़े
पैमाने
पर
पैसा
गंवाने
के
बावजूद
भी
इस
सेगमेंट
में
निवेश
बढ
रहा
है.
मई
2024
में,
बीएसई
और
एनएसई
के
इक्विटी
डेरिवेटिव
सेगमेंट
में
कुल
कारोबार
9,504
लाख
करोड़
रुपये
था.
जो
सालाना
आधार
पर
मई
2023
की
तुलना
में
71
फीसदी
ज्‍यादा
है.
एफएंडओ
का
उद्देश्य
निवेशकों
को
उनके
जोखिम
को
हेज
करने
में
मदद
करना
था,
लेकिन
यह
अपने
मूल
लक्ष्‍य
से
भटक
गया
है.



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का
शेड्यूल


ज्‍यादा
टैक्‍स
से
दो
फायदे

फ्यूचर्स
एंड
ऑप्शंस
(एफएंडओ)
ट्रेडिंग
से
हुई
कमाई
पर
ज्‍यादा
टैक्‍स
लगाने
के
दो
फायदे
होंगे.
पहला,
एफएंडओ
(F&O)
इनकम
पर
ज्यादा
टैक्स
से
सरकार
की
कमाई
बढ़ेग.
दूसरा,
फ्यूचर्स
एंड
ऑप्शंस
(Futures
and
Options)ट्रेडिंग
में
रिटेल
इनवेस्टर्स
की
दिलचस्पी
घटेगी.


अभी
माना
जाता
है
बिजनेस
इनकम

अभी
एफएंडओ
ट्रांजेक्शन
से
हुई
इनकम
को
बिजनेस
इनकम
माना
जाता
है.
निवेशक
को
इससे
हुई
कमाई
पर
अपने
टैक्‍स
स्लैब
के
हिसाब
से
आयकर
चुकाना
होता
है.
इसका
मतलब
है
कि
निवेशक
के
लिए
टैक्स
के
रेट
5
फीसदी,
20
फीसदी
और
30
फीसदी
हो
सकता
है.
इसके
अलावा
एफएंडओ
से
हुए
लॉस
को
दूसरी
बिजनेस
एक्टिविटीज
के
गेंस
के
साथ
एडजस्ट
करने
की
भी
इजाजत
मिली
हुई
है.
अगर
सरकार
एफएंडओ
ट्रांजेक्शन
पर
TDS
लगाती
है
तो
वह
इनवेस्टर
को
करीब
रूप
से
ट्रैक
कर
सकेगी.
दरअसल,
सरकार
डेरिवेटिव
मार्केट
में
रिटेल
इनवेस्टर्स
की
बढ़ती
दिलचस्पी
से
चिंतित
है.
मार्केट
क्रैश
करने
पर
इन
रिटेल
इनवेस्टर्स
को
बड़ा
लॉस
हो
सकता
है.
पिछले
पांच
सालों
में
डेरिवेटिव
मार्केट
में
रिटेल
इनवेस्टर्स
का
पार्टिसिपेशन
पांच
गुना
हो
गया
है.


नए
नियम
से
क्या
बदलाव
आएगा

सरकार
एफएंडओ
ट्रांजेक्शन
से
जुड़े
टैक्स
के
नियमों
में
बदलाव
कर
इसे
‘बिजनेस
इनकम’
की
जगह
‘स्पेकुलेटिव
इनकम’
मान
सकती
है.
साथ
ही
इस
पर
TDS
भी
लगाया
जा
सकता
है.
ऐसा
होने
पर
F&O
से
हुई
इनकम
पर
लॉटरी
और
क्रिप्टोकरेंसी
से
इनकम
पर
लगने
वाले
टैक्स
का
रेट
लागू
होगा.


10
में
से
9
निवेशकों
को
घाटा

सेबी
की
एफएंडओ
वॉल्यूम
में
बढ़ोतरी
को
लेकर
चिंताएं
पहली
बार
जनवरी
2023
की
रिपोर्ट
में
सामने
आईं.
इस
रिपोर्ट
में
बताया
गया
कि
इक्विटी
एफएंडओ
सेगमेंट
में
नौ
में
से
दस
व्यक्तिगत
ट्रेडर्स
(Individual
Traders)
को
नुकसान
हुआ.
वित्‍त
वर्ष
2022
में
औसतन
नुकसान
1.1
लाख
रुपये
था.

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