
हाइलाइट्स
DHFL
के
पूर्व
डायरेक्टर
धीरज
वधावन
को
गिरफ्तार
किया
गया.कपिल
और
धीरज
वधावन
ने
34,000
करोड़
के
बैंक
फ्रॉड
को
अंजाम
दिया
था.इस
घोटाले
को
75
अन्य
संस्थाओं
के
जरिए
अंजाम
दिया
गया
था.
DHFL
Scam:
पिछले
20-30
वर्षों
में
देश
में
कई
बड़े
कॉरपोरेट
घोटाले
हुए
हैं.
इनमें
कई
कारोबारियों
की
जालसाजी
का
पर्दाफाश
हुआ.
स्कैम
की
इसी
लिस्ट
में
नाम
आता
है
DHFL
घोटाले
का,
जिसके
पूर्व
डायरेक्टर
धीरज
वधावन
को
34,000
करोड़
के
बैंक
फ्रॉड
केस
में
सीबीआई
ने
गिरफ्तार
कर
लिया
गया
है.
एजेंसी
के
अधिकारियों
ने
न्यूज
एजेंसी
पीटीआई
को
बताया
कि
वधावन
को
13
मई
की
शाम
को
मुंबई
से
हिरासत
में
लिया
गया.
गिरफ्तारी
के
बाद
धीरज
वधावन
को
दिल्ली
की
एक
स्पेशल
कोर्ट
में
पेश
किया
गया,
जहां
से
उन्हें
न्यायिक
हिरासत
में
भेज
दिया
गया.
सीबीआई
ने
17
बैंकों
के
कंसोर्टियम
से
34,000
करोड़
रुपये
की
कथित
धोखाधड़ी
को
लेकर
डीएचएफएल
के
खिलाफ
मामला
दर्ज
किया
था.
बताया
जाता
है
कि
यह
देश
में
सबसे
बड़ा
बैंकिंग
लोन
स्कैम
था.
आइये
आपको
बताते
हैं
34,000
करोड़
के
इस
घोटाले
ने
बैंकों
के
साथ-साथ
आम
लोगों
को
किस
तरह
नुकसान
पहुंचाया.
क्या
था
DHFL
घोटाला
DHFL
यानी
दीवान
हाउसिंग
फाइनेंस
लिमिटेड,
इसके
प्रमोटर्स
कपिल
और
धीरज
वधावन
समेत
अन्य
लोगों
ने
34,000
करोड़
के
बैंक
फ्रॉड
को
अंजाम
दिया
था.
सीबीआई
द्वारा
चार्जशीट
के
अनुसार,
इन
लोगों
पर
आपराधिक
साजिश
में
शामिल
होने,
तथ्यों
को
गलत
तरीके
से
पेश
करने
और
छिपाने,
आपराधिक
विश्वासघात
करने
व
सार्वजनिक
धन
का
दुरुपयोग
करने
का
आरोप
है.
इन
लोगों
ने
मई
2019
से
लोन
पेमेंट
में
चूक
करके
कंसोर्टियम
को
34,615
करोड़
रुपये
का
चूना
लगाया
गया.
सीबीआई
ने
कंपनी
पर
वित्तीय
अनियमितता,
फंड
डायवर्जन,
रिकॉर्ड
में
हेराफेरी
करने
और
सार्वजनिक
धन
का
उपयोग
करके
“कपिल
और
धीरज
वधावन
के
लिए
संपत्ति
बनाने”
के
लिए
सर्कुलर
लेनदेन
में
शामिल
होने
का
आरोप
लगाया
है.
अधिकारियों
के
अनुसार,
डीएचएफएल
लोन
अकाउंट्स
को
विभिन्न
बैंकों
द्वारा
अलग-अलग
अंतराल
पर
NPA
के
रूप
में
वर्गीकृत
किया
गया
था.
कैसे
हुआ
घोटाले
का
पर्दाफाश
जनवरी
2019
में
फंड
डायवर्जन
के
आरोपों
को
लेकर
मीडिया
में
खबरें
चलीं.
जांच
के
दायरे
में
आने
के
बाद
डीएचएफएल
के
धीरज
और
कपिल
वधावन
के
बुरे
दिनों
की
उल्टी
गिनती
शुरू
हो
गई.
1
फरवरी,
2019
को
बैंकों
ने
एक
बैठक
बुलाई
और
1
अप्रैल,
2015
से
31
दिसंबर,
2018
तक
डीएचएफएल
का
“स्पेशल
रिव्यू
ऑडिट”
कराया
गया.
इस
ऑडिट
रिपोर्ट
पता
चला
कि
डीएचएफएल
और
उसके
निदेशकों
से
जुड़ी
संबंधित
संस्थाओं
और
व्यक्तियों
को
दिए
गए
लोन
और
एडवांस
अमाउंट
का
दुरुपयोग
किया.
डीएचएफएल
प्रमोटरों
से
जुड़ी
66
संस्थाओं
को
29,100
करोड़
रुपये
का
वितरण
किया
गया.
इनमें
से
अधिकांश
लेनदेन
में
जमीन
और
संपत्तियों
में
निवेश
शामिल
था.
शेयरों
की
गिरावट
से
मचा
हड़कंप
इस
घोटाले
का
खुलासा
2019
में
हुआ
लेकिन
डीएचएफएल
के
दिवालिया
होने
की
खबरें
2018
में
ही
सामने
आने
लगी
थी.
डीएचएफल
के
डिफॉल्ट
होने
की
खबर
के
चलते
21
सितंबर
2018
में
कंपनी
के
शेयर
भर
भराकर
गिर
गए.
यह
गिरावट
इतनी
बड़ी
और
गहरी
थी
कि
एक
दिन
में
डीएचएफएल
के
शेयर
60
फीसदी
तक
टूट
गए.
डीएचएफएल
प्रमोटर्स
कपिल
वधावन
और
धीरज
वधावन
के
कारनामों
को
लेकर
आगे
खुलासे
होते
रहे
और
कंपनी
के
शेयरों
में
गिरावट
गहराती
गई.
आखिरकार
जून
2021
में
डीएचएफल
के
शेयर
मार्केट
से
डी
लिस्ट
यानी
शेयर
बाजार
से
बाहर
हो
गए.
FIRST
PUBLISHED
:
May
15,
2024,
13:24
IST