अरावली
रेंज
में
अवैध
खनन
को
रोकने
के
लिए
सुप्रीम
कोर्ट
को
दखल
देना
पड़ा
है.
सुप्रीम
कोर्ट
ने
कहा
है
कि
कोर्ट
बिना
अनुमति
के
अरावली
रेंज
वाले
राज्य
खनन
पट्टों
के
नवीनीकरण
की
मंजूरी
नहीं
देंगे.
सुप्रीम
कोर्ट
के
फैसले
से
जाहिर
है
कि
अरावली
रेंज
में
खनन
पट्टों
के
नवीनीकरण
के
लिए
सुप्रीम
कोर्ट
की
मंजूरी
लेनी
होगी.
बिना
इसके
अरावली
रेंज
वाले
राज्यों
की
ओर
से
खनन
पट्टों
की
अंतिम
मंजूरी
नहीं
दी
जाएगी.
अरावली
की
रेंज
में
आने
वाले
राज्यों
में
दिल्ली,
हरियाणा,
राजस्थान
और
गुजरात
शामिल
हैं.
खनन
लाइसेंसों
के
नवीनीकरण
के
लिए
दो
नई
अर्जी
पर
सुनवाई
करते
हुए
सुप्रीम
कोर्ट
ने
संबंधित
राज्य
सरकारों
को
विभिन्न
प्राधिकरणों
से
वैधानिक
मंजूरी
प्राप्त
करने
के
बाद
पट्टों
के
नवीनीकरण
के
प्रस्तावों
पर
निर्णय
लेने
का
निर्देश
दिया.
सुप्रीम
कोर्ट
ने
अपने
फैसले
में
कहा,
हम
आगे
निर्देश
देते
हैं
कि
इस
अदालत
की
बिना
पूर्व
मंजूरी
के
खनन
पट्टों
के
नवीनीकरण
के
लिए
कोई
अंतिम
अनुमति
राज्यों
की
ओर
से
नहीं
दी
जाएगी.
दरअसल
सुप्रीम
कोर्ट
ने
9
मई
के
अपने
आदेश
को
दोहराया.
इसमें
शीर्ष
अदालत
ने
कहा
था
कि
अरावली
पर्वतमाला
के
राज्यों
को
खनन
पट्टों
के
अनुदान
और
नवीनीकरण
के
लिए
आवेदनों
पर
विचार
करने
की
स्वतंत्रता
होगी.
लेकिन
25
अगस्त,
2010
की
भारतीय
वन
सर्वेक्षण
-एफएसआई
रिपोर्ट
में
परिभाषित
पहाड़ी
शृंखला
में
खनन
के
लिए
सर्वोच्च
अदालत
की
अनुमति
के
बिना
कोई
अंतिम
अनुमति
नहीं
प्रदान
की
जाएगी.
सुप्रीम
कोर्ट
ने
कहा
था
कि
यह
कहने
की
जरूरत
नहीं
है
कि
इस
आदेश
को
किसी
भी
तरह
से
वैध
खनन
गतिविधियों
पर
रोक
लगाने
के
रूप
में
नहीं
समझा
जाएगा.
कोर्ट
ने
निर्देश
दिया
था
कि
पर्यावरण,
वन
और
जलवायु
परिवर्तन
मंत्रालय
के
सचिव
सहित
अधिकारियों
की
एक
समिति
गठित
की
जाए,
जो
अरावली
पहाड़ियों
और
शृंखला
की
एक
समान
परिभाषा
रखे.
Tags:
Illegal
Mining,
Supreme
Court
FIRST
PUBLISHED
:
July
23,
2024,
22:48
IST