एशिया का है सबसे बड़ा मार्केट, जहां खरीदने जाते हैं एक किलो, लाते 10 किलो

एशिया का है सबसे बड़ा मार्केट, जहां खरीदने जाते हैं एक किलो, लाते 10 किलो


नई
दिल्‍ली.

दिल्‍ली
में
बहुत
सारे
मार्केट
जहां
सामान
सस्‍ता
मिलता
है.
दिल्‍ली
एनसीआर
में
रहने
वाले
आम
लोग
इन
मार्केट
से
जरूरत
भर
का
सामान
खरीद
लाते
हैं.
लेकिन
एक
मार्केट
ऐसा
है,
जो
देश
का
नहीं
एशिया
का
सबसे
बड़ा
मार्केट
है.
यहां
पूरे
देश
से
व्‍यापारियों
के
साथ-साथ
बड़ी
संख्‍या
में
आम
लोग
भी
पहुंचते
हैं.
बाजार
की
खासियत
का
अंदाजा
इसी
बात
से
लगाया
जा
सकता
है
कि
खरीदने
एक-एक
किलो
जाते
हैं
और
खरीदकर
10-10
किलो
लाते
हैं.

यहां
बात
खारी
बावली
की
कर
रहे
हैं.
एशिया
का
मसाले
का
सबसे
बड़ा
थोक
मसाला
मार्केट
है.
बाजार
में
मौजूदा
समय
कई
ऐसी
दुकाने
भी
हैं
जो
पुराने
समय
से
यहां
हैं
और
उनके
नाम
आज
भी
वही
हैं.
इन
दुकानों
की
बनावट
भी
पुरानी
स्‍टाइल
में
ही
है.

फेडरेशन
ऑफ
ट्रेड
एसोएसिशन
दिल्‍ली
के
अजय
अरोड़ा
बताते
हैं
कि
खास
बात
यह
है
कि
मार्केट
में
सिर्फ
मसाले
ही
नहीं
बल्कि
दुर्लभ
जड़ी-बूटियां
भी
सस्ते
दाम
पर
मिल
जाती
हैं.
साथ
ही,
विदेशी
मसालों
और
ड्राई
फूड्स
का
भी
भंडार
है.
यहां
से
कई
देशों
के
लिए
मसाले

चावल
एक्‍सपोर्ट
किए
जाते
हैं.


यहां
पर
पांच
प्रमुख
मार्केट
हैं

यहां
व्‍यापारी
संजय
खन्‍ना
बताते
हैं
कि
खारी
बावली
में
पांच
प्रमुख
मार्केट
हैं.
इसमें
ड्राई
फूड्स
और
मसाले
के
अलावा
ग्रॉसरी
आइटम,
चाय
और
पूजा
के
सामान
के
अलावा
केमिकल
और
कलर
का
मार्केट
हैं.
यहां
पर
20000
से
अधिक
दुकानें
हैं.
वे
बताते
हैं
कि
मार्केट
से
होलसेल
का
है
लेकिन
फुटकर
खरीदने
वालों
को
भी
दोहरा
फायदा
होता
है.
पहला
दिल्‍ली
की
किसी
भी
सोसाइटी
की
तुलना
में
20
फीसदी
सस्‍ता
और
क्‍वालिटी
बहुत
अच्‍छी
मिलती
है.
इस
वजह
से
लोग
यहां
पर
एक
किलो
लेने
जाते
हैं
और
10-10
किलो
लेकर
लौटते
हैं.


क्‍यों
नाम
पड़ा
खारी
बावली

खारी
बावली
दो
शब्दों
से
मिलकर
बना
हुआ
है.
खारी
और
बावली.
खारी
यानी
जिस
बावली
का
पानी
का
स्‍वाद
नमकीन
हो.
माना
जाता
है
कि
इस
बावली
का
पानी
बहुत
नमकीन
रहा
होगा.
जिसे
पिया
नहीं
जा
सकता
होगा.
हालांकि
इस
बावली
का
आज
नामोनिशान
नहीं
है.
बताया
जाता
है
कि
खारी
बावली
का
उद्घाटन
शेरशाह
सूरी
के
पुत्र
इस्लाम
शाह
के
शासनकाल
में
हुआ
था.

संजय
खन्‍ना
बताते
हैं
कि
उनकी
उम्र
62
वर्ष
हो
गयी
है
और
उनका
जन्‍म
भी
चांदनी
चौक
में
हुआ
है,
लेकिन
उन्‍होंने
कभी
खारी
बावली
नहीं
देखी
है.
यहां
के
अन्‍य
व्‍यापारियों
को
भी
खारी
बावली
कहां
थी,
पता
नहीं
है.


मार्केट
मुगल
काल
से
एशिया
में
रहा
है
फेमस

यह
मार्केट
17
वीं
शताब्दी
में
मुगलिया
सल्‍तनत
में
अस्तित्व
में
आया
था.
दिल्‍ली
वेजीटेबल
ऑयल
ट्रेडर्स
एसोसिएन
के
महावसचिव
हेमंत
गुप्‍ता
बताते
हैं
कि
इसे
मुगल
काल
से
जोड़कर
देखा
जाता
है.
तभी
से
ये
एशिया
के
सबसे
बड़े
थोक
मसाला
मार्केट
के
तौर
पर
फेमस
रहा
है.
इस
के
संबंध
में
यह
भी
कहा
जाता
है
कि
प्राचीन
समय
में
अब
के
भूटान,
अफगानिस्तान,
पाकिस्तान
आदि
कई
देशों
से
व्यापारी
मसाला
खरीदने
के
लिए
यहीं
आते
थे.


खासियत
किताबों
में
दर्ज
हैं
खासियत

‘चांदनी
चौक

मुगल
सिटी
आफ
ओल्ड
दिल्ली’
पुस्तक
में
इतिहासकार
स्वपना
लिडले
ने
लिखा
है
कि
खारी
बावली
ड्राइ
फूड्स
बहुत
बढ़ा
मार्केट
है.
इसी
तरह
लूसी
पेक
ने
अपनी
किताब
‘दिल्ली

थाउजेंड
ईयर्स
ऑफ
बिल्डिंग’
में
लिखा
है
कि
खारी
बावली
ड्राईफ्रूट
और
मसालों
का
दिलकश
मार्केट
है.

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Bade
Kaam
Ka
Naam
,

Delhi