
रिपोर्ट-
पल्लवी
घोष
बेंगलुरु:
कर्नाटक
में
‘कन्नड़’
कोटा
को
लेकर
हाय
तौबा
मचा
हुआ
है.
इस
बीच
‘कन्नड़’
कोटा
विवाद
का
पहला
नतीजा
यह
है
कि
कांग्रेस
आगामी
चुनावों
में
आरक्षण
के
बारे
में
बात
करने
में
संकोच
कर
सकती
है,
खासकर
हरियाणा
और
महाराष्ट्र
में.
लेकिन
सवाल
है
कि
फिर
राहुल
गांधी
कहां
रह
जाएंगे
जो
बेबाकी
से
आरक्षण
की
वकालत
कर
रहे
हैं,
खासकर
निजी
क्षेत्र
में?
लेकिन
ऐसा
क्यों
है
कि
कोटा
विधेयक
के
विवरण
साझा
करने
के
24
घंटे
के
भीतर
ही
कर्नाटक
सरकार
ने
यू-टर्न
ले
लिया?
ऐसा
इसलिए
हुआ
क्योंकि
उन्हें
डर
था
कि
इससे
औद्योगिक
क्षेत्र
में
लोगों
का
पलायन
या
गुस्सा
भड़क
सकता
है.
उदाहरण
के
लिए,
बेंगलुरु
को
विभिन्न
राज्यों
के
लोगों
के
एक
ऐसे
समूह
के
रूप
में
जाना
जाता
है
जो
अपनी
विशेषज्ञता
का
उपयोग
यह
सुनिश्चित
करने
के
लिए
करते
हैं
कि
शहर
शीर्ष
पर
बना
रहे.
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रहें
हिंदू
कर्नाटक
में
खूब
हो
रहा
है
विवाद
कर्नाटक
में
विधेयक
पर
विचार-विमर्श
के
दौरान
भाजपा
और
कांग्रेस
के
अन्य
विरोधियों
ने
मौके
का
फायदा
उठाने
में
कोई
कसर
नहीं
छोड़ी.
आंध्र
प्रदेश
के
मुख्यमंत्री
चंद्रबाबू
नायडू
के
बेटे
और
मंत्री
नारा
लोकेश
ने
अपने
राज्य
में
कारोबारियों
को
आमंत्रित
किया.
कांग्रेस
नेता
प्रियांक
खड़गे
ने
उन्हें
चुप
कराने
के
लिए
बीच
में
कूद
पड़े,
लेकिन
इस
विवाद
ने
सिद्धारमैया
सरकार
के
फैसले
से
खड़गे
परिवार
की
असहजता
को
भी
उजागर
कर
दिया.
हालांकि,
सबसे
बड़ी
चुनौती
राहुल
गांधी
को
मनाना
था.
यह
उपलब्धि
केवल
मल्लिकार्जुन
खड़गे
ही
हासिल
कर
सकते
थे.
कांग्रेस
अध्यक्ष
ने
स्पष्ट
किया
कि
आंध्र
प्रदेश
में
आईटी
क्षेत्र
में
होड़
लगी
हुई
है,
ऐसे
में
कर्नाटक
मौजूदा
परिस्थितियों
में
आरक्षण
का
खर्च
नहीं
उठा
सकता.
खड़गे
आखिरकार
गांधी
पर
हावी
हो
गए,
लेकिन
शायद
लंबे
समय
तक
नहीं.
चूंकि
राहुल
गांधी
समिति
आगामी
राज्य
चुनावों
और
कोटा
मुद्दे
पर
निर्णय
लेने
के
लिए
बैठती
है,
इसलिए
उन्हें
निश्चित
रूप
से
बीच
का
रास्ता
निकालने
की
उम्मीद
होगी,
जिसे
पाना
मुश्किल
हो
सकता
है.
फिलहाल
राहुल
गांधी
ने
राज्य
सरकार
से
कहा
है
कि
वह
कॉरपोरेट
से
बात
करने
के
बाद
कन्नड़
लोगों
को
कुछ
आश्वासन
दे
ताकि
सभी
हितधारक
खुश
रहें.
इस
बीच,
आगामी
राज्य
चुनावों
के
लिए
पार्टी
राहुल
गांधी
के
एजेंडे
को
समझदारी
से
आगे
बढ़ाएगी.
Tags:
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FIRST
PUBLISHED
:
July
20,
2024,
11:38
IST