किसी वोटर के ना हों दोनों हाथ, तो वोट डालने पर कहां लगेगी स्याही?

किसी वोटर के ना हों दोनों हाथ, तो वोट डालने पर कहां लगेगी स्याही?

चुनावी
मौसम
चल
रहा
है.
देशभर
में
लोकसभा
चुनाव
हो
रहे
हैं
तो
कई
जगह
विधानसभा
के
लिए
भी
वोट
डाले
जा
रहे
हैं.
मतदान
को
लेकर
लोगों
में
खासा
उत्साह
देखने
को
मिल
रहा
है.
वोट
डालने
के
बाद
लोग
स्याही
लगी
उंगली
को
दिखाते
हुए
सोशल
मीडिया
पर
अपनी
तस्वीरें
शेयर
कर
रहे
हैं.
पोलिंग
बूथ
पर
ईवीएम
का
बटन
दबाने
से
पहले
वहां
मौजूद
मतदानकर्मी
वोटर
की
बाएं
हाथ
की
तर्जनी
उंगली
पर
स्याही
का
निशान
लगते
हैं.
यह
निशान
इस
बात
का
प्रतीक
होता
है
कि
मतदाता
ने
अपने
वोट
का
इस्तेमाल
कर
लिया
है.
मतदान
की
स्याही
का
रंग
इतना
पक्का
होता
है
कि
वह
आसानी
से
नहीं
छूटता.

किसी
मतदाता
का
अगर
बाया
हाथ
ना
होते
दाहिए
हाथ
की
उंगली
पर
यह
निशान
लगाया
जाता
है.
लेकिन
कई
बार
यह
सवाल
भी
सामने
आता
है
कि
अगर
किसी
वोटर
के
दोनों
हाथ
ही
ना
हों
तो
फिर
मतदान
वाली
स्याही
कहां
लगाई
जाती
है.
इस
सवाल
का
जवाब
खुद
इलेक्शन
कमीशन
की
एक
तस्वीर
दे
रही
है.

इंदौर
जिलाधिकारी
कार्यालय
मतदान
के
दिन
की
एक
तस्वीर
शेयर
की
है.
इसमें
एक
व्यक्ति
को
दोनों
हाथ
नहीं
हैं
और
वह
अपना
वोट
डालने
के
लिए
आया
हुआ
है.
पोलिंग
बूथ
पर
मतदान
कर्मी
उस
व्यक्ति
के
दाहिने
पैर
के
अंगूठे
पर
स्याही
का
निशान
लगा
रहे
हैं.
इससे
साफ
हो
जाता
है
कि
अगर
किसी
व्यक्ति
के
हाथ
नहीं
हैं
या
फिर
किसी
चोट
की
वजह
से
हाथ
की
उंगली
पर
मतदान
वाली
स्याही
नहीं
लगाई
जा
सकती
है
तो
उसके
दाहिने
पैर
के
अंगूठे
पर
स्याही
का
निशान
लगाया
जाता
है.

इंदौर
के
जिलाधिकारी
ने
अपने
सोशल
मीडिया
पोस्ट
फेसबुक
और
एक्स,
दोनों
पर
इस
तस्वीर
को
शेयर
करते
हुए
एक
लंबी
पोस्ट
भी
लिखी
है.
पैरों
पर
स्याही
लगाने
व्यक्ति
हैं
विक्रम
अग्निहोत्री.
इलेक्शन
कमीशन
ने
इन्हें
दिव्यांग
ब्रांड
एम्बेसेडर
घोषित
किया
है.

जिलाधिकारी
कार्यालय
की
पोस्ट
पर
लिखा
गया
है-
“दिव्यांग
ब्राण्ड
एम्बेसेडर
श्री
विक्रम
अग्निहोत्री
ने
पैरों
से
मतदान
कर
प्रस्तुत
की
अनूठी
मिसाल.
दोनों
हाथ
नहीं
होने
की
दिव्यांगता
को
विक्रम
अग्निहोत्री
ने
कभी
भी
अशक्तता
एवं
किसी
कार्य
में
रूकावट
महसूस
नहीं
की.
अपनी
जीवटता
से
उन्होंने
हर
उस
कार्य
को
अंजाम
दिया
जो
उन्होंने
चाहा.
हर
चुनाव
में
वे
अपने
पैरों
की
उंगलियों
का
उपयोग
कर
मतदान
करते
आये
हैं.
उनकी
इस
जीवटता
को
देखकर
निर्वाचन
आयोग
द्वारा
उन्हें
दिव्यांग
ब्राण्ड
एम्बेसेडर
भी
बनाया
गया
है.
लोकसभा
चुनाव
के
लिए
मतदान
कर
उन्होंने
सभी
मतदाताओं
के
लिए
एक
अनूठा
उदाहरण
प्रस्तुत
किया
है.”


दिव्यांगों
के
लिए
घर
से
मतदान

निर्वाचन
आयोग
ने
85
वर्ष
से
अधिक
आयु
वर्ग
के
लोग
और
दिव्यांग
व्यक्तियों
की
सुविधा
के
लिए
घर
से
ही
वोट
डालने
की
सुविधा
दी
हुई
है.
घर
से
मतदान
की
सुविधा
के
लिए
दिव्यांगता
के
पैमाने
के
लिए
विकलांग
व्यक्तियों
के
अधिकार
अधिनियम
2016
में
उल्लिखित
21
विकलांगताओं
को
शामिल
किया
गया
है.
घर
से
मतदान
की
सुविधा
के
लिए
मतदाता
को
फॉर्म
12
डी
भरना
होता
है.
फॉर्म
12
डी
के
आधार
पर
मतदान
कर्मी
वोटर
के
घर
आते
हैं
और
वोट
डलवाते
हैं.


दाएं
हाथ
की
उंगली
पर
भी
लगता
है
निशान

लोकसभा
या
विधानसभा
चुनाव
में
वोट
डालने
से
पहले
बाएं
हाथ
की
तर्जनी
उंगली
पर
स्याही
का
निशान
लगाया
जाता
है
यह
बात
तो
हर
किसी
को
पता
है.
लेकिन
कुछ
लोगों
की
दाएं
हाथ
की
उंगली
पर
भी
स्याही
का
निशान
लगाया
जाता
है.
अगर
किसी
नेत्रहीन
व्यक्ति
वोट
डालने
के
लिए
जाना
है
तो
उसे
पोलिंग
बूथ
पर
जाने
तथा
वोट
डालने
के
लिए
किसी
सहायक
की
जरूरत
होती
है.
नेत्रहीन
व्यक्ति
को
पोलिंग
बूथ
पर
किसी
एक
व्यक्ति
को
सहायक
के
तौर
पर
ले
जाने
की
अनुमति
होती
है.
मतदान
कर्मी
वोट
डालने
वाले
के
साथ-साथ
उसके
सहायक
के
बाएं
हाथ
की
उंगली
पर
भी
स्याही
का
निशान
लगाते
हैं.

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