
महाराष्ट्र
में
विधानसभा
चुनाव
की
तैयारियों
में
जुटी
भाजपा
लोकसभा
चुनाव
में
खराब
प्रदर्शन
के
बाद
कार्यकर्ताओं
में
जान
फूंकने
में
लगी
है.
इसी
संदर्भ
में
पुणे
में
पार्टी
में
राज्य
कार्यकारिणी
की
बैठक
हो
रही
है.
हालांकि,
इस
बैठक
में
पार्टी
के
नेताओं
को
एक
सबसे
बड़े
सवाल
का
सामना
करना
पड़
रहा
है.
वो
सवाल
है-
आखिर
क्यों
एनसीपी
नेता
अजित
पवार
को
एनडीए
में
शामिल
किया
गया?
पिछले
दिनों
राष्ट्रीय
स्वयंसेवक
संघ
ने
एक
लेख
में
सवाल
उठाया
था
कि
अजित
पवार
को
एनडीए
में
शामिल
करने
से
भाजपा
को
लोकसभा
चुनाव
में
नुकसान
झेलना
पड़ा.
सम्मेलन
में
उपमुख्यमंत्री
देवेंद्र
फडणवीस
ने
भरोसा
जताया
कि
बीजेपी
एक
बार
फिर
राज्य
में
सबसे
बड़ी
पार्टी
बनेगी.
उन्होंने
कहा
कि
राज्य
में
महायुति
का
मुख्यमंत्री
कौन
होगा,
इस
पर
चर्चा
न
करें,
मुख्यमंत्री
महायुति
का
ही
होगा.
इस
बीच,
फड़णवीस
ने
इस
बात
पर
भी
टिप्पणी
की
कि
अजित
दादा
को
साथ
क्यों
लिया
गया.
उन्होंने
आगे
कहा
कि
पार्टी
कार्यकर्ता
बिना
किसी
अपेक्षा
के
कार्य
करता
है.
उन्होंने
यह
भी
कहा
कि
कार्यकर्ता
विचारों
के
लिए
काम
करते
हैं.
छत्रपति
शिवाजी
महाराज
स्वराज्य
की
स्थापना
के
लिए
कभी
एक
कदम
आगे
बढ़ाते
थे
तो
कभी
एक
कदम
पीछे
हटते
थे.
कभी
सम्मान,
कभी
अपमान,
कभी
संधि
तो
कभी
मित्रता.
फडणवीस
ने
कहा
कि
उन्होंने
हिंदू
स्वराज्य
की
स्थापना
के
लिए
ये
काम
किए.
उन्होंने
आगे
कहा
कि
हमने
कई
काम
भी
किए.
अलग-अलग
परिस्थितियों
में
सरकार
बनी.
मित्र
जोड़े
गए.
कुछ
को
यह
पसंद
है,
कुछ
को
नहीं.
लेकिन
सत्ता
हासिल
करना
ही
एकमात्र
लक्ष्य
नहीं
था.
महाराष्ट्र
में
आम
कार्यकर्ताओं
पर
अत्याचार
हो
रहा
था,
कोविड
के
दौरान
भ्रष्टाचार
चल
रहा
था.
उस
वक्त
हमने
बदलाव
किया.
फडणवीस
ने
कहा
कि
वह
बाला
साहेब
के
विचारों
का
प्रतिनिधित्व
करने
वाले
एकनाथ
शिंदे
को
अपने
साथ
ले
आए.
…तो
अजित
दादा
को
साथ
लाए
एकनाथ
शिंदे
फिर
दादा
को
साथ
लाए.
यह
सच
है
कि
मैंने
कई
वर्षों
तक
उनसे
संघर्ष
किया
है.
बहुत
से
लोग
सोचते
थे
कि
उनके
साथ
कैसे
रहा
जाए.
लेकिन
जब
लक्ष्य
स्पष्ट
हो
तो
कभी
दो
कदम
आगे
बढ़ना
पड़ता
है
तो
कभी
पीछे.
मुझे
सागर
बंगला
नहीं
मिला.
अजित
दादा
को
साथ
लेने
के
फैसले
पर
फडणवीस
ने
कहा
कि
जिस
तरह
से
प्रधानमंत्री
मोदी
देश
को
आगे
ले
जा
रहे
हैं,
इस
बदलाव
में
महाराष्ट्र
को
भी
शामिल
करने
की
जरूरत
है.
कुछ
गलतियां
हमसे
भी
हुई
होंगी…
मुझे
हर
दिन
कई
लोग
सलाह
देते
हैं.
लेकिन
दो
तरह
के
लोग
होते
हैं,
एक
सलाह
देने
वाले
और
दूसरे
काम
करने
वाले.
हम
उन
लोगों
की
सलाह
सुनते
हैं
जो
काम
करते
हैं
लेकिन
उनका
क्या
जो
सिर्फ
सलाह
देते
हैं?
हर
काम
नेताओं
या
कार्यकर्ताओं
द्वारा
नहीं
किया
जाना
चाहिए.
यदि
हमसे
कुछ
गलतियां
हुई
हैं
तो
कार्यकर्ताओं
को
उसे
स्वीकार
करना
चाहिए.
हम
भी
एक्टिविस्ट
हैं.
फडणवीस
ने
यह
भी
कहा
कि
वह
पद
मिलने
से
बड़े
नहीं
हुए
हैं.
FIRST
PUBLISHED
:
July
21,
2024,
16:58
IST