क्‍या मर्डर केस से बचाता रहेगा ये ‘लचर कानून’? हत्‍या पर तो फांसी! पर कार से ज‍िंदगी ‘खत्‍म’ करने पर तुरंत बेल


नई
द‍िल्‍ली.

मोटर
व्‍हीकल
एक्‍ट
एक
बार
फ‍िर
चर्चा
में
है
और
इसकी
वजह
पुणे
में
हुआ
वो
हादसा
है
ज‍िसमें
25
साल
के
अनीश
और
27
साल
की
अश्‍व‍िनी
नाम
की
युवती
की
मौत
हो
गई.
बाइक
सवार
इन
युवकों
की
मौत
की
वजह
पोर्शे
कार
बनी
ज‍िसे
15
साल
का
नाबालिग
लड़का
शराब
पीकर
चला
रहा
था.
मोटर
व्‍हीकल
एक्‍ट
में
आरोपी
को
सजा
को
कोई
सख्‍त
न‍ियम
नहीं
है,
ज‍िसकी
वजह
से
पुणे
हादसे
का
आरोपी
15
घंटों
के
भीतर
जेल
से
बाहर

गया
है.
आपको
बता
दें
क‍ि
यह
कानून
इतना
लचर
है
क‍ि
आरोपी
चाहे
नाबल‍िग
हो
या
फ‍िर
बाल‍िग
उसे
बहुत
समय
तक
सलाखों
के
पीछे
रोककर
रखा
नहीं
जा
सकता
है.

पुणे
में
शराब
के
नशे
में
चूर
पोर्शे
टायकन
चलाने
वपाले
15
साल
के
क‍िशोर
ने
बाइक
पर
जा
रहे
दो
दोस्‍तों
की
बाइक
को
जोरदार
टक्‍कर
मारी.
यह
हादसा
इतना
भयंकर
था
क‍ि
दोनों
बाइक
सवार
युवक-युवती
की
मौके
पर
ही
मौत
हो
गई.
कार
चलाने
वाला
युवक
नशे
में
इतना
चूर
था
क‍ि
वह
हादसे
के
बाद
कहीं
जा
नहीं
सका
और
पुल‍िस
ने
उसे
पकड़
ल‍िया.
घटनास्‍थल
से
पकड़े
जाने
के
बाद
भी
आरोपी
को
पुल‍िस
15
घंटे
भी
सलाखों
के
पीछे
नहीं
रोक
पाई.
प‍िता
के
रसूक
के
आगे
कानून
की
एक

चली
और
बेटे
की
कोर्ट
से
जमानत
कर
ली.
यानी
आरोपी
जुवेनाइल
होम
या
फ‍िर
जेल
भी
नहीं
भेजा
गया.
उसे
पुल‍िस
स्‍टेशन
से
ही
जमानत
म‍िल
गई.


क्‍या
है
जमानत
की
शर्त?

इस
मामले
में
जब
कोर्ट
में
पुलिस
ने
आरोपी
पर
बालिग
की
तरह
केस
चलाने
और
उसकी
पुलिस
कस्‍टडी
की
मांग
की
तो
कोर्ट
ने
उसे
दरक‍िनार
कर
द‍िया.
वहीं
आरोपी
की
तरफ
से
पेश
वकील
की
दलीलें
सुनने
के
बाद
कोर्ट
ने
नाबाल‍िग
आरोपी
को
जमानत
दे
दी.
आरोपी
के
वकील
प्रशांत
पाटिल
ने
बताया
है
कि
अदालत
ने
उनके
मुवक्किल
को
कुछ
शर्तों
के
तहत
जमानत
दे
दी.
नाबाल‍िग
आरोपी
के
वकील
ने
बताया
क‍ि
कोर्ट
ने
उसे
15
दिनों
के
लिए
येरवडा
की
ट्रैफिक
पुलिस
के
साथ
काम
करने
को
कहा
है.
इतना
ही
नहीं
हादसे
पर
एक
निबंध
लिखने
के
लिए
कहा.
इतना
ही
नहीं
जमानत
की
शर्त
के
अनुसार,
आरोपी
को
एक
ऐसे
डॉक्टर
से
इलाज
कराने
का
निर्देश
दिया
गया
है
जो
उसे
शराब
छोड़ने
में
मदद
कर
सके.
इसके
अलावा
उसे
साइकेट्रिस्ट
से
सलाह
लेने
को
भी
कहा
गया
है,
ज‍िसकी
र‍िपोर्ट
कोर्ट
में
भी
जमा
करनी
है.


क्‍या
है
नाबाल‍िग
को
लेकर
कानून?

आपको
बता
दें
क‍ि
सुप्रीम
कोर्ट
समेत
देश
की
कई
अदालतें
साफ
कर
चुकी
हैं
क‍ि
आरोपी
16
से
18
साल
का
नाबाल‍िग
ही
क्‍यों

हो
अगर
वह
हत्‍या
और
बलात्‍कार
जैसे
जघन्‍य
अपराधों
में
शाम‍िल
है
तो
उसे
पर
बाल‍िगों
की
तरह
केस
चलेगा.
कोर्ट
ने
यह
तक
कह
चुका
है
ऐसा
आरोप‍ियों
को
मौत
या
आजीवन
कैद
की
सजा
भी
दी
जा
सकती
है.
इतना
ही
नहीं
जघन्‍य
अपराधों
में
आरोपी
को
16
साल
की
उम्र
तक
ही
स्पेशल
होम
में
रखा
जा
सकता
है.
इसके
बादे
उसे
अन्‍य
कैद‍ियों
के
साथ
जेल
में
श‍िफ्ट
कर
द‍िया
जाता
है.
वहीं
12
साल
से
कम
उम्र
के
बच्चों
पर
कोई
मुकदमा
नहीं
चलाया
जा
सकता.


क‍िन
धाराओं
में
केस
दर्ज

दो
लोगों
की
जान
लेने
वाले
नाबालिग
आरोपी
के
ख‍िलाफ
पुणे
शहर
के
यरवदा
पुलिस
स्टेशन
में
लापरवाही
से
गाड़ी
चलाने,
जीवन
को
खतरे
में
डालने
और
आईपीसी
की
धारा
304ए,
279,
337,
338,
427
और
महाराष्ट्र
मोटर
वाहन
अधिनियम
की
संबंधित
धाराओं
के
तहत
केस
दर्ज
क‍िया
गया
हे.


क्‍या
कभी
बदलेगा
मोटर
व्‍हीकल
एक्‍ट?

मौजूदा
कानून
के
मुताब‍िक,
सड़क
हादसे
में
किसी
की
मौत
हो
जाती
है,
तो
पुलिस
जांचकर
दो
धाराओं
के
तहत
केस
दर्ज
करती
है.
इसमें
एक
सेक्‍शन
है
304
और
दूसरा
304
ए.
आरोपी
पर
कौन
सी
धारा
के
तहत
केस
दर्ज
होगा
यह
जांच
अध‍िकारी
पर
न‍िर्भर
करता
है.
आपको
धाराएं
एक
जैसी
लग
रही
होंगी
लेक‍िन
दोनों
की
सजा
में
काफी
अंतर
है.
धारा
304
में
सिर्फ
दो
साल
की
ही
सजा
हो
सकती
है
वहीं
304ए
में
10
साल
की
सजा
का
प्रवाधान
है.

हालांक‍ि
केन्‍द्र
सरकार
के
नए
भारतीय
न्याय
संहिता
(BNS)
2023
कानून
में
सड़क
दुर्घटना
कानून
में
बदलाव
क‍िया
गया
है.
इस
नए
कानून
के
तहत
सड़क
हादसे
में
क‍िसी
की
मौत
हो
जाती
है
और
ड्राइवर
मौके
से
फरार
हो
जाता
है,
तो
उसे
10
साल
की
सजा
हो
सकती
है.
इतना
ही
नहीं
आरोपी
ड्राइवर
पर
7
लाख
रुपये
का
जुर्माना
भी
लगाया
जा
सकता
है.
यह
कानून
उन
ड्राइवर्स
पर
लागू
होगा
जो
लापरवाही
से
गाड़ी
चलाते
हैं
और
पुलिस
को
सूचना
दिए
बिना
मौके
से
भाग
जाते
हैं.
इस
कानून
के
खि‍लाफ
जगह-जगह
विरोध
प्रदर्शन
क‍िया
था.

क्‍या मर्डर केस से बचाता रहेगा ये 'लचर कानून'? हत्‍या पर तो फांसी! पर कार से ज‍िंदगी 'खत्‍म' करने पर तुरंत बेल

हालांक‍ि
इस
नए
कानून
को
लेकर
ट्रक
ड्राइवर्स
ने
व‍िरोध
क‍िया
था.
उनका
कहना
था
क‍ि
इससे
उन्‍हें
सबसे
ज्‍यादा
नुकसान
होगा.
इसको
लेकर
जगह-जगह
ट्रक
ड्राइवर्स
ने
व‍िरोध
प्रदर्शन
भी
क‍िया
था.
ऑल
इंडिया
मोटर
ट्रांसपोर्ट
कांग्रेस
(AIMTC)
के
अध्यक्ष
अमृतलाल
मदान
ने
कहा
है
कि
यह
नियम
आने
के
बाद
भारी
वाहन
चालक
अपनी
नौकरियां
छोड़
रहे
हैं.

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