गांडेय उपचुनाव की परीक्षा में पास होंगी कल्पना सोरेन! BJP से कड़ी चुनौती

गांडेय उपचुनाव की परीक्षा में पास होंगी कल्पना सोरेन! BJP से कड़ी चुनौती

झारखंड
की
सियासत
में
कदम
रखने
के
दो
महीने
बाद
ही
पूर्व
मुख्यमंत्री
हेमंत
सोरेन
की
पत्नी
कल्पना
सोरेन
गांडेय
उपचुनाव
के
जरिए
चुनावी
राजनीति
में
एंट्री
ले
रही
हैं.
पर
5
महीने
पहले
दिसंबर
में
जब
वो
रांची
के
मोरहाबादी
मैदान
में
लगे
सरस
मेले
में
सहेलियों
संग
शॉपिंग
करने
आई
थीं,
तो
मीडिया
के
सवाल
पर
बेबाकी
से
कहा
था-
“बाबा
और
माँ
(ससुर
शिबू
सोरेन
और
सास
रूपी
सोरेन)
की
सेहत,
पति
हेमंत
सोरेन
का
ख्याल
और
दोनों
बच्चों
की
परवरिश
में
बिजी
रहती
हूं.
फिलहाल
राजनीति
में
जाने
का
कोई
प्लान
नहीं
है.”

लेकिन
मीडिया
के
उसी
सवाल
पर
आज
कल्पना
सोरेन
कहती
हैं
कि
अपने
परिवार
के
साथ
उन्हें
झारखंड
की
3
करोड़
जनता
की
भी
फिक्र
करनी
है.
चुनाव
के
इस
मौसम
में
उनके
दिन
की
शुरुआत
कार्यकर्ताओं
के
साथ
बैठक
से
होती
है.
वे
पूरे
झारखंड
का
दौरा
करती
हैं.
झारखंड
मुक्ति
मोर्चा-
JMM
के
साथ-साथ
सहयोगी
दलों
के
उम्मीदवारों
के
लिए
वोट
मांगती
हैं
और
जनसंपर्क
के
लिए
गांव-गांव
तक
पहुंच
जाती
हैं.
अपनी
चुनावी
सभा
में
जब
कल्पना
सोरेन
जनता
से
बात
करती
हैं,
तो
उनमें
ससुर
शिबू
सोरेन
और
पति
हेमंत
सोरेन
की
झलक
साफ
दिखाई
देती
है.
ससुर
और
पति
से
विरासत
में
मिली
राजनीति
में
अब
वो
रमने
लगी
हैं.
सिर्फ
5
महीने
में
कुशल
गृहिणी
से
कल्पना
सोरेन
परिपक्व
नेता
के
रूप
में
ट्रांसफॉर्म
होती
दिख
रही
हैं.


गांडेय
में
उपचुनाव
क्यों?

गांडेय
के
झारखंड
मुक्ति
मोर्चा
के
विधायक
सरफराज
अहमद
ने
इस
साल
1
जनवरी
को
विधानसभा
सदस्यता
से
इस्तीफा
देकर
सियासी
हलचल
मचा
दी
थी.
इस
इस्तीफे
को
तभी
से
जेएमएम
की
रणनीति
का
हिस्सा
बताया
जा
रहा
था.
31
जनवरी
2024
को
प्रवर्तन
निदेशालय-
ईडी
ने
हेमंत
सोरेन
को
गिरफ्तार
कर
लिया
था.
झारखंड
में
नेतृत्व
का
संकट
पैदा
हुआ
और
चंपाई
सोरेन
अगले
मुख्यमंत्री
बने.
पर
खाली
कराई
गांडेय
की
सीट
ने
कल्पना
सोरेन
के
लिए
भविष्य
का
रास्ता
तैयार
कर
दिया.

पति
हेमंत
सोरेन
की
गिरफ्तारी
के
2
महीने
बाद
कल्पना
सोरेन
घर
से
बाहर
निकलीं
और
5
मार्च
को
गिरिडीह
के
झंडा
मैदान
में
हुए
झारखंड
मुक्ति
मोर्चा
के
स्थापना
समारोह
के
जरिए
सियासत
में
एंट्री
ली.
इसके
कुछ
दिन
बाद
16
मार्च
को
लोकसभा
चुनाव
के
साथ
गांडेय
में
उपचुनाव
का
ऐलान
हुआ
और
कल्पना
सोरेन
जेएमएम
की
उम्मीदवार
बन
गईं.
इसके
साथ
ही
ये
सवाल
उठने
लगा
कि
क्या
गांडेय
उपचुनाव
जीतने
पर
झारखंड
में
फिर
सत्ता
परिवर्तन
होगा
और
कल्पना
सोरेन
मुख्यमंत्री
बनेंगी?


कल्पना
सोरेन
के
लिए
गांडेय
ही
क्यों?

गांडेय
में
26
फीसदी
मुस्लिम,
20
फीसदी
आदिवासी
और
11
फीसदी
अनुसूचित
जाति
के
वोटर
हैं.
साथ
ही
10
फीसदी
से
ज्यादा
कुर्मी
वोटर
भी
हैं.
इसमें
से
मुस्लिम
और
आदिवासी
यानी
46
फीसदी
‘इंडिया’
गठबंधन
का
कोर
वोटर
है.
गांडेय
में
अब
तक
10
बार
हुए
विधानसभा
चुनाव
में
से
5
बार
जेएमएम,
2-2
बार
कांग्रेस
और
बीजेपी
तथा
एक
बार
जनता
पार्टी
ने
बाजी
मारी
है.
इसलिए
गांडेय
जैसी
जेएमएम
के
प्रभाव
वाली
सीट
से
कल्पना
सोरेन
सियासत
में
नई
उड़ान
भरने
की
कोशिश
कर
रही
हैं.
पर
उनकी
राह
उतनी
भी
आसान
नहीं
है.
2019
में
जेएमएम
उम्मीदवार
सरफराज
अहमद
34.7
फीसदी
यानी
65
हजार,
23
वोट
लाकर
चुनाव
जीते
थे.
दूसरे
स्थान
पर
रहे
बीजेपी
उम्मीदवार
जेपी
वर्मा
को
29.98
प्रतिशत
यानी
56,168
वोट
मिले
थे.
इसके
बाद
जेपी
वर्मा
जेएमएम
में
चले
गए.
पर
कोडरमा
लोकसभा
से
टिकट
नहीं
मिली.
इनके
बाद
उन्होंने
जेएमएम
से
बगावत
कर
दी
और
निर्दलीय
उम्मीदवार
बन
गए.
जेपी
वर्मा
की
ये
नाराजगी
कल्पना
सोरेन
के
लिए
मुसीबत
बन
सकती
है.
इस
उपचुनाव
में
दिलीप
वर्मा
बीजेपी
उम्मीदवार
हैं.
वे
2019
में
गांडेय
से
झारखंड
विकास
मोर्चा-
जेवीएम
के
टिकट
पर
चुनाव
लड़े
थे.
पर
तब
महज
8,952
वोट
लाकर
छठे
स्थान
पर
चले
गए
थे.
लेकिन
इस
बार
उनके
साथ
बीजेपी
और
ऑल
झारखण्ड
स्टूडेंट्स
यूनियन-
आजसू
की
सियासी
ताकत
है.


बाबूलाल
के
गढ़
में
कल्पना
की
चुनौती

जिस
गांडेय
सीट
से
कल्पना
सोरेन
जेएमएम
उम्मीदवार
हैं,
वह
बीजेपी
झारखंड
प्रदेश
अध्यक्ष
बाबूलाल
मरांडी
का
गृह
जिला
है.
केंद्रीय
शिक्षा
राज्य
मंत्री
अन्नपूर्णा
देवी
भी
इसी
इलाके
की
संसदीय
सीट
कोडरमा
का
प्रतिनिधित्व
करती
हैं.
ऐसे
में
कल्पना
सोरेन
को
रोकना
इन
दोनों
सियासी
दिग्गजों
के
लिए
प्रतिष्ठा
का
सवाल
बन
गया
है.
इसलिए
बाबूलाल
मरांडी
और
अन्नपूर्णा
देवी
गांडेय
से
लेकर
गिरिडीह
और
कोडरमा
के
चुनावी
रण
में
दिन-रात
पसीना
बहा
रही
हैं.
बीजेपी
के
लिए
जेएमएम
के
आदिवासी-मुस्लिम
समीकरण
में
सेंधमारी
और
हेमंत
सोरेन
के
जेल
जाने
के
बाद
कल्पना
के
पक्ष
में
उपजी
सहानुभूति
की
लहर
को
रोकना
भी
किसी
चुनौती
से
कम
नहीं
है.
इसलिए
हाल
में
गिरिडीह
में
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
की
चुनावी
सभा
कराई
गई.
उस
सभा
में
उमड़े
जनसैलाब
से
बीजेपी
का
उत्साह
दोगुना
हो
गया.


कल्पना
सोरेन
के
हाथ
में
कमान

जेल
में
बंद
पति
हेमंत
सोरेन
की
गैरमौजूदगी
में
कल्पना
सोरेन
ने
झारखंड
मुक्ति
मोर्चा
की
कमान
संभाल
ली
है.
वो
अक्सर
चुनावी
सभाओं
में
बीजेपी
के
खिलाफ
मुखर
देखी
जाती
हैं.
इंडिया
गठबंधन
के
घटक
दलों
को
एकजुट
करने
में
भी
वो
भूमिका
निभाती
नजर
आती
हैं.
हाल
में
रांची
में
हुई
उलगुलान
रैली
में
विपक्षी
दलों
का
नेतृत्व
करती
दिखीं.
धरातल
पर
जनता
से
संवाद
करना
हो
या
बीजेपी
के
हमले
का
जवाब
देना,
कल्पना
सोरेन
हर
मोर्चे
पर
सक्रिय
दिख
रही
हैं.
गांडेय
के
साथ-साथ
गठबंधन
के
सहयोगी
दलों
के
उम्मीदवारों
के
लिए
भी
वे
चुनाव
प्रचार
करती
हैं,
तो
जेएमएम
को
बिखरने
से
बचाने
के
लिए
भी
एक्टिव
दिखती
हैं.
वे
कभी
आदिवासी
अस्मिता
के
सवाल
पर
आदिवासी
वोटर
को
गोलबंद
करने
की
कोशिश
करती
दिखती
हैं,
तो
कभी
हेमंत
सोरेन
की
गिरफ्तारी
पर
विक्टिम
कार्ड
के
जरिये
सहानुभूति
बटोरने
की
कोशिश
करती
दिखती
हैं.


कौन
हैं
कल्पना
सोरेन?

सैन्य
परिवार
में
जन्मी,
इंजीनियरिंग
की
पढ़ाई
की
और
ओडिशा
के
मयूरभंज
की
रहने
वाली
कल्पना
सोरेन
फर्राटे
से
4
भाषाएं
बोलती
हैं.
अंग्रेजी
और
हिंदी
के
साथ-साथ
मातृभाषा
उड़िया
और
संथाली
भाषा
पर
भी
उनकी
कमांड
है.
आदिवासी
बहुल
इलाके
में
संथाली
भाषा
में
जनता
से
बात
करते
हुए
वे
पति
हेमंत
सोरेन
का
बचाव
करने
में
कोई
कसर
नहीं
छोड़तीं.
पर
हेमंत
सोरेन
से
2006
में
हुए
विवाह
के
18
साल
बाद
सियासत
में
आईं
कल्पना
सोरेन
की
राह
में
गांडेय
उपचुनाव
जैसी
कई
और
चुनौतियां
इंतजार
कर
रही
हैं.

Tags:

Jharkhand
news
,

Loksabha
Election
2024
,

Loksabha
Elections