जालौन लोकसभा: सपा के लिए एक सबसे मुश्किल सीट, 70 साल में सिर्फ एक बार नसीब हुई जीत!

जालौन लोकसभा: सपा के लिए एक सबसे मुश्किल सीट, 70 साल में सिर्फ एक बार नसीब हुई जीत!

लोकसभा
चुनाव
2024
अपने
अंतिम
दौर
की
ओर
बढ़
रहा
है.
इस
क्रम
में
20
मई
को
पांचवे
चरण
की
वोटिंग
होगी.
इस
चरण
में
उत्तर
प्रदेश
की
14
सीटों
पर
वोटिंग
होगी.
इसमें
एक
सीट
जालौन
भी
है.
यह
लोकसभा
सीट
तीन
जिलों
कानपुर
देहात,
जालौन
और
झांसी
को
मिलाकर
बनी
है.
इसमें
कानपुर
देहात
की
भोगनीपुर,
जालौन
की
माधोगढ़,
कल्पी,
औरई
और
झांसी
जिले
की
गरौथा
विधानसभा
सीट
शामिल
है.


जालौन
का
इतिहास

वर्ष
1962
में
यह


लोकसभा
सीट

अस्तित्व
में
आई
थी.
उस
समय
1962
से
लेकर
1971
तक
लगातार
तीन
लोकसभा
चुनावों
में
कांग्रेस
के
रामसेवक
चौधरी
सांसद
बने.
फिर
आपातकाल
के
बाद
1977
में
हुए
चुनाव
में
यहां
जनता
पार्टी
के
रामचरण
दोहरे
विजयी
हुए.
वर्ष
1980
में
कांग्रेस
के
नाथुराम
शाक्यवार
और
1984
में
कांग्रेस
के
ही
लच्छी
राम
विजयी
हुए.
1989
में
एक
बार
फिर
यह
सीट
जनता
पार्टी
के
खाते
में
चली
गई
और
राम
सेवक
भाटिया
विजयी
हुए.
फिर
1991
में
यहां
से
भाजपा
का
खाता
खुला.
1991
में
गया
प्रसाद
कोरी,
1996
और
1998
में
भानू
प्रताप
वर्मा
विजयी
हुए.
1999
में
यह
सीट
बसपा
के
बृजलाल
खबरी
के
पास
चली
गई.


पहली
बार
सपा
को
जीत

वर्ष
2004
में
केंद्र
की
अटल
बिहारी
वाजपेयी
की
सरकार
सत्ता
से
बाहर
हो
गई.
लेकिन,
उस
चुनाव
में
भी
यहां
से
भाजपा
के
भानू
प्रताप
सिंह
वर्मा
फिर
विजयी
हुए.
20090
में
पहली
बार
यहां
से
समाजवादी
पार्टी
के
घनश्याम
अनुरागी
को
जीत
मिली.
फिर
2014
और
2019
में
यहां
भानू
प्रताप
वर्मा
विजयी
हुए.
2024
के
लोकसभा
चुनाव
में
भी
यहां
से
भानू
प्रताप
सिंह
वर्मा
उम्मीदवार
हैं.



यूपी
की
वो
सीट
जहां
कभी
भी
सपा-बसपा
को
नसीब
नहीं
हुई
जीत,
4
दशक
से
खिल
रहा
कमल


भाजपा
का
गढ़

1990
के
दशक
में
राममंदिर
आंदोलन
शुरू
होने
के
साथ
ही
यह
सीट


भाजपा

के
खाते
में

गई.
1991
के
चुनाव
में
पहली
बार
यहां
से
भाजपा
के
गया
प्रसाद
कोरी
जीते.
फिर
1996
में
यहां
से
भानू
प्रताप
सिंह
वर्मा
विजयी
हुए.
इस
सीट
पर
उनका
जबर्दस्त
प्रभाव
रहा
है.
वह
फिर
1998,
2004,
2014
और
2019
में
पांच
बार
सांसद
चुने
गए.
2019
में
भानू
प्रताप
सिंह
ने
अजय
बसपा
के
अजय
सिंह
को
1.58
हजार
वोटों
से
हराया
था.
इससे
पहले
2014
में
उन्होंने
बसपा
के
बृजलाल
खबरी
को
2.87
लाख
वोटों
के
बड़े
अंतर
से
हराया
था.


2024
की
जंग

2024
के
लोकसभा
चुनाव
में
यहां
से
भाजपा
के
भानू
प्रताप
वर्मा
के
खिलाफ
सपा-कांग्रेस
ने
नारायण
दास
अहिरवार
को
मैदान
में
उतारा
है.
अहिरवार


बसपा

के
संस्थापक
सदस्य
रहे
हैं.
वह
2007
से
2011
तक
मायावती
सरकार
में
मंत्री
थे.
2022
में
वह
सपा
में

गए
थे.
वैसे
इस
सीट
पर
बसपा
का
अच्छा
खासा
वोट
है.
2019
में
सपा-बसपा
गठबंधन
में
यह
सीट
बसपा
के
खाते
में
गई
थी.
इससे
पहले
2014
में
यहां
से
बसपा
के
बृजलाल
खबरी
दूसरे
नंबर
थे.
उन्हें
2.61
लाख
वोट
मिले
थे.
अब
सपा
की
रणनीति
है
कि
अहिरवार
के
जरिए
बसपा
के
कोर
वोट
बैंक
में
सेंध
लगाकर
इस
सीट
पर
मुकाबले
को
कड़ा
बनाया
जाए.

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