नई
दिल्ली:
देश
में
लोकसभा
चुनाव
2024
के
लिए
चार
चरण
का
मतदान
हो
चुका
है.
इसी
कड़ी
में
दिल्ली
में
पांचवे
चरण
में
25
मई
को
मतदान
होना
है.
सभी
दलों
ने
एड़ी-चोटी
का
जोर
लगा
रखा
है.
नेता
जी
रोड
शो
कर
रहे
हैं.
रोड
शो
में
सैकड़ों-हजारों
लोग
शामिल
हैं.
जयकारे
लग
रहे
हैं.
लोग
एक-दूसरे
पर
चढ़ने
को
आतुर
हैं.
खूब
हो
हल्ला
हो
रहा
है.
मीडिया
वाले
भी
रोड
शो
का
हिस्सा
हैं.
रोड
शो
में
शामिल
लोगों
से
राय
ले
रहे
हैं.
एक
के
बाद
दूसरे
से,
फिर
तीसरे
से.
दृश्य
–
1
उत्तर
पूर्वी
दिल्ली
से
भारतीय
जनता
पार्टी
के
उम्मीदवार
मनोज
तिवारी
तीसरी
बार
चुनाव
मैदान
में
हैं.
उनका
भी
रोड
शो
निकल
रहा
है.
एक
उत्साही
युवा
नारा
लगाता
हुआ
चल
रहा
है.
तभी
एक
वीडियो
जर्नलिस्ट
उसके
पास
पहुंचता
है
और
पूछता
है-
बीजेपी
का
पटका
डाले
हैं?
जवाब
आता
है-पटका
डालने
से
कुछ
नहीं
होता
साहब.
सब
जुमलेबाजी
है.
रोडशो
दिखावे
के
लिए
है.
वोट
किसे
दोगे?
नारेबाजी
करते
हुए
युवक
के
मुंह
से
निलकता
है-कन्हैया
को.
(कन्हैया
कुमार,
इसी
सीट
पर
विपक्षी
गठबंधन
के
उम्मीदवार
हैं).
सवाल
पूछने
वाले
के
मन
में
कौतूहल
जागता
है.
नारेबाजी
मनोज
तिवारी
के
लिए
और
वोट
कन्हैया
को?
युवक
झेंपता
है.
कहता
है-बेरोजगारी
है
ना,
कुछ
न
कुछ
तो
करना
ही
होगा.
2014-19
में
बीजेपी
को
ही
वोट
दिया
था.
मनोज
तिवारी
को
ही
दिया
था.
10
साल
में
सड़क
तक
नहीं
बनी
है,
आने
वाले
समय
में
जनता
सबका
हिसाब
लेगी.
हालांकि
कितने
पैसे
मिले
हैं,
ये
बताने
से
युवक
आखिरी
तक
गुरेज
करता
दिखाई
देता
है.
(ये
वीडियो
सोशल
मीडिया
पर
वायरल
है,
और
वीडियो
की
सत्यता
की
पुष्टि
लेखक
नहीं
करता
है.)
दृश्य
–
2
इसी
लोकसभा
सीट
से
विपक्ष
के
उम्मीदवार
हैं
कन्हैया
कुमार.
कन्हैया
कुमार
जेएनयू
के
पूर्व
छात्र
नेता
हैं.
कांग्रेस
में
पदाधिकारी
हैं.
वे
उत्तर
पूर्वी
दिल्ली
के
थाना
उस्मानपुर
इलाके
के
करतार
नगर
में
जनसंपर्क
कर
रहे
थे.
उसी
दौरान
माला
पहनाने
के
बहाने
कुछ
लोगों
ने
उन
पर
हमला
कर
दिया.
कन्हैया
कुमार
के
पास
जाकर
उनको
थप्पड़
मारने
की
कोशिश
की.
इस
दौरान
कन्हैया
कुमार
जमीन
पर
गिर
पड़े.
हालांकि
उनके
समर्थकों
ने
हमला
करने
वाले
को
पकड़
लिया
है.
आपाधापी
में
आम
आदमी
पार्टी
की
महिला
निगम
पार्षद
के
साथ
भी
बदसलूकी
की
खबर
मिली.
महिला
निगम
पार्षद
ने
पुलिस
में
शिकायत
दे
दी
है.
एक
ही
लोकसभा
सीट
के
ये
दो
अलग-अलग
मामले
इस
बात
की
तस्दीक
करते
हैं
कि
समर्थन
में
जुटने
वाली
भीड़
वोट
में
तब्दील
हो
जाए,
इसकी
संभावना
50-50
होती
है.
पहले
नेता
जी
डोर
टू
डोर
चुनाव
प्रचार
करते
थे.
यानी
आपके
घर
के
दरवाजे
तक.
अब
स्थितियां
बदल
रही
हैं.
पार्टियां
चुनाव
में
उतारने
के
लिए
उम्मीदवारों
के
नाम
का
ऐलान
नामांकन
के
आखिरी
दिन
तक
करती
हैं.
ऐसे
में
नेता
जी
को
प्रचार
का
समय
कम
मिल
पाता
है.
लोकसभा
चुनाव
में
क्षेत्र
ज्यादा
बड़ा
होता
है
तो
ये
करीब-करीब
असंभव
हो
जाता
है.
ऐसे
में
रोड
शो
या
रैलियों
के
जरिए
नेता
जी
अपनी
बात
पहुंचाने
की
कोशिश
करते
हैं.
दृश्य
–
3
(अमेठी)
अमेठी
के
मतदाताओं
ने
बताया
कि
रोड
शो
में
भीड़
बुलाई
जाती
है.
हालांकि
कुछ
लोग
नेताजी
को
देखने
के
लिए
भी
जाते
हैं.
स्थानीय
सतेंद्र
सिंह
ने
कहा
कि-
“बस
नेताओ
को
देखने
का
मन
होता
है.
रोड
शो
वोट
की
गारंटी
नहीं
होती.
वोटर
पहले
से
ही
मन
बना
चुके
होते
हैं
कि
किसको
वोट
देना
है,
किसको
नहीं
देना.”
धनंजय
सिंह
भी
ऐसा
ही
सोचते
हैं.
वे
कहते
हैं-
“सब
लोग
नेताओ
को
देखने
के
लिए
आते
हैं.
100
में
से
ज्यादा
से
ज्यादा
55
प्रतिशत
लोग
ही
वोट
देते
हैं.”
जनसभाओं
में
आने
वाले
हैलिकॉप्टर
भी
कुछ
लोगों
को
रैली
स्थल
तक
लाने
में
कामयाब
रहते
हैं.
हालांकि
ये
लोग
वोट
में
तब्दील
नहीं
होते.
अमेठी
के
ही
अलोक
तिवारी
कहते
हैं-
“भीड़
की
कोई
गारंटी
नहीं
होती
कि
वो
वोट
में
बदल
जाए.
कुछ
लोग
पैसे
लेकर
भी
आते
हैं,
कुछ
वैसे
ही
चले
आते
हैं.”
आपको
याद
होगा
2014
के
अमेठी
लोकसभा
सीट
से
विख्यात
कवि
कुमार
विश्वास
आम
आदमी
पार्टी
के
प्रत्याशी
थे.
उनके
रोड
शो
में
बड़ी
संख्या
में
लोग
पहुंचते
थे.
लेकिन
जब
नतीजे
आए
तो
कुमार
विश्वास
की
जमानत
जब्त
हो
गई
थी.
इसी
तरह,
2019
के
लोकसभा
चुनाव
में
राहुल
गांधी
के
रोड
शो
में
बड़ी
संख्या
में
लोग
पहुंचते
थे,
लेकिन
नतीजे
भाजपा
प्रत्याशी
स्मृति
ईरानी
के
पक्ष
में
रहे.
बदल
रही
है
राजनीति
राजनीति
बदल
रही
है.
राजनीति
के
तरीके
बदल
रहे
हैं.
नेताओं
के
बयान
बदल
रहे
हैं.
ऐसे
में
वोटर
भी
बदल
रहा
है.
10-15
साल
पहले
आप
वोटर
से
बात
करके
वोटिंग
पैटर्न
का
पता
लगा
सकते
थे,
लेकिन
आज
ये
संभव
नहीं
है.
वोटर
थाह
लेने
नहीं
देता.
वो
जानता
है
कि
नेता
जी
को
5
साल
बाद
ही
आना
है.
तो
जो
कंबल
दे,
उससे
कंबल
ले
लेता
है,
जो
पैसे
देता
है,
उससे
पैसे
ले
लेता
है.
जो
रोड
शो
में
जाने
के
पैसे
देता
है,
उससे
पैसे
ले
लेता
है,
लेकिन
वोट
उसी
को
करता
है,
जिसे
उसका
मन
करता
है.
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PUBLISHED
:
May
18,
2024,
14:36
IST