
हाइलाइट्स
अनुग्रह
नारायण
रोड
घाट
रेलवे
स्टेशन
बिहार
के
औरंगाबाद
जिले
में
है.
इस
रेलवे
स्टेशन
को
ब्रिटिश
शासन
काल
में
बनाया
गया
था.
बीते
26
साल
से
यहां
टिकट
नहीं
बिका
और
काउंटर
भी
खत्म
हो
गए
हैं.
नई
दिल्ली.
रेलवे
स्टेशन
बनाए
इसलिए
जाते
हैं
कि
वहां
ट्रेनों
का
ठहराव
हो
और
आने-जाने
वाले
लोग
चढ़-उतर
सकें.
लेकिन,
देश
में
एक
ऐसा
रेलवे
स्टेशन
भी
है
जहां
कोई
भी
ट्रेन
नहीं
रुकती.
आलम
ये
है
कि
यहां
सालभर
में
सिर्फ
15
दिन
ही
ट्रेनों
का
ठहराव
होता
है.
वह
भी
बेहद
खास
मौके
पर.
बाकी
समय
इस
रेलवे
स्टेशन
पर
वीरानी
ही
छाई
रहती
है.
ऐसा
साल-दो
साल
से
नहीं,
बल्कि
26
सालों
से
हो
रहा
है
और
इस
दौरान
यहां
एक
भी
टिकट
की
बिक्री
नहीं
हुई
है.
दरअसल,
हम
बात
कर
रहे
हैं
बिहार
के
अनुग्रह
नारायण
रोड
घाट
रेलवे
स्टेशन
(Anugrah
Narayan
Road
Ghat
Station)
की.
यह
स्टेशन
पूर्व-मध्य
रेल
के
दीनदयाल
उपाध्याय
मंड
के
अंतर्गत
ग्रैंड
कॉर्ड
रेल
लाइन
पर
मुगलसराय-गया
रेलखंड
के
बीच
स्थित
है,
जो
बिहार
के
औरंगाबाद
जिले
में
पड़ता
है.
इस
रेलवे
स्टेशन
को
ब्रिटिश
शासन
में
बनाया
गया
था,
लेकिन
बीते
26
साल
से
यह
वीरान
पड़ा
है
और
अब
तो
यहां
टिकट
काउंटर
भी
खत्म
हो
गए
हैं.
कब
रुकती
हैं
यहां
ट्रेनें
आपके
मन
में
भी
सवाल
उठा
होगा
कि
जब
यहां
से
टिकट
नहीं
मिलता
और
लोग
चढ़-उतर
नहीं
सकते
तो
फिर
स्टेशन
बनाए
रखने
का
मतलब
क्या
है.
तो,
यह
जान
लेना
जरूरी
है
कि
यहां
साल
में
15
दिन
के
लिए
ट्रेनों
का
ठहराव
होता
है.
यह
ठहराव
हर
साल
पितृ
पक्ष
के
समय
रहता
है
तो
15
दिन
तक
चलता
है.
यानी
हर
साल
पितृ
पक्ष
के
समय
15
दिनों
के
लिए
यहां
लोग
चढ़
और
उतर
सकते
हैं.
क्यों
15
दिन
रुकती
हैं
यहां
ट्रेनें
इस
रेलवे
स्टेशन
पर
हर
साल
पितृ
पक्ष
में
इसलिए
ट्रेनों
को
रोका
जाता
है,
क्योंकि
इसके
करीब
स्थित
पुनपुन
नदी
में
लोग
श्राद्ध
के
दौरान
अपने
पितरों
को
तर्पण
करने
जाते
हैं.
हर
साल
पितृ
पक्ष
के
दौरान
यह
धर्म
कर्म
किया
जाता
है.
कई
दशक
पहले
इस
स्टेशन
को
बनाया
ही
इसीलिए
गया
था,
ताकि
लोग
पुनपुन
नदी
में
श्राद्ध
कर्म
कर
सकें.
सालभर
में
कुछ
ही
दिन
रहते
हैं
रेलकर्मी
अब
जब
यहां
न
तो
टिकट
मिलता
है
और
न
ही
कोई
ट्रेन
रुकती
है
तो
रेलकर्मी
की
तैनाती
होने
का
सवाल
ही
नहीं
उठता.
लेकिन,
पितृ
पक्ष
के
दौरान
साल
में
15
दिन
के
लिए
यहां
4-5
रेल
कर्मियों
की
तैनाती
भी
की
जाती
है.
दिक्कत
यहां
से
ट्रेन
में
चढ़ने
वाले
यात्रियों
को
होती
है,
क्योंकि
टिकट
तो
मिलता
नहीं.
लिहाजा
रेलवे
साल
में
15
दिन
यहां
अस्थायी
रूप
से
टिकट
बांटने
की
व्यवस्था
भी
करती
है.
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FIRST
PUBLISHED
:
May
31,
2024,
17:20
IST