पेरेंट्स की मौजूदगी में… पुणे कांड में पुलिस की अर्जी पर जज का बड़ा फैसला

पेरेंट्स की मौजूदगी में… पुणे कांड में पुलिस की अर्जी पर जज का बड़ा फैसला


हाइलाइट्स


नाबालिग
ने
नशे
में
अपनी
पोर्श
कार
से
दो
इंजीनियरों
को
उड़ा
दिया
था


17
साल
का
नाबालिग
इस
वक्‍त
बाल
सुधार
गृह
में
बंद
है
पुणे
पुलिस
उसके
दादा
और
पिता
को
पहले
ही
अरेस्‍ट
कर
चुकी
है.


नई
दिल्‍ली.

पुणे
के
पोर्श
हादसे
के
मामले
में
नाबालिग
आरोपी
के
पिता
और
दादा
पहले
से
पुलिस
की
कस्‍टडी
में
हैं.
क्राइम
ब्रांच
इस
बात
की
जांच
कर
रही
है
कि
कैसे
पिता
और
दादा
ने
मिलकर
सरकारी
अस्‍पताल
में
बच्‍चे
की
मेडिकल
रिपोर्ट
ही
बदलवा
दी.
नाबालिग
आरोपी
भी
बाल
सुधार
गृह
में
बंद
है.
इसी
बीच
क्राइम
ब्रांच
की
तरफ
से
जुवेनाइल
जस्टिस
बोर्ड
(JJB)
की
तरफ
से
कोर्ट
में
एक
अर्जी
लगाई
गई.
JJB
के
जज
से
अनुरोध
किया
गया
कि
नाबालिग
से
पूछताछ
की
इजाजत
दी
जाए.

जज
ने
पुलिस
की
याचिका
को
स्‍वीकार
करते
हुए
उन्‍हें
पूछताछ
इजाजत
दे
दी
है.
हालांकि
यह
भी
साफ
कर
दिया
गया
कि
यह
पूछताछ
नाबालिग
के
पेरेंट्स
के
मौजूदगी
में
ही
होगी.
उसके
पिता
और
दादा
पहले
से
पुलिस
की
कस्‍टडी
में
हैं.
ऐसे
में
मां
या
कोई
अन्‍य
रिश्‍तेदार
की
मौजूदगी
में
पुलिस
उससे
पूछताछ
करेगी.
नाबालिग
ने
शराब
के
नशे
में
अपनी
चार
करोड़
की
पोर्श
कार
में
बाइक
पर
जा
रहे
दो
साफ्टवेयर
इंजीनियरों
को
मौत
के
घाट
उतार
दिया
था.
इस
घटना
में
दोनों
की
मौके
पर
ही
मौत
हो
गई
थी.

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जी
ने
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पहली
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हार
रही
चुनाव,
30
साल
की
बादशहत
खत्‍म!


JJB
ने
पहले
क्‍या
की
थी
गलती?

अतिरिक्त
पुलिस
आयुक्त
(अपराध)
शैलेश
बलकवडे
ने
कहा,
‘‘जेजे
बोर्ड
के
समक्ष
सुनवाई
हुई
और
उसने
हमारी
याचिका
स्वीकार
कर
ली.’’
पुलिस
का
दावा
है
कि
पुणे
के
कल्याणी
नगर
में
19
मई
को
हादसे
के
वक्त
‘पोर्श’
कार
को
17
वर्षीय
लड़का
नशे
की
हालत
में
चला
रहा
था.
जुवेनाइल
जस्टिस
एक्‍ट
के
मुताबिक,
किसी
नाबालिग
से
पूछताछ
उसके
माता-पिता
की
उपस्थिति
में
की
जाएगी.
जेजेबी
ने
दुर्घटना
के
कुछ
घंटों
बाद
रियल
एस्टेट
कारोबारी
विशाल
अग्रवाल
के
बेटे
को
इस
मामले
में
जमानत
दे
दी
थी.
उसे
सड़क
सुरक्षा
पर
300
शब्दों
का
निबंध
लिखने
को
कहा
गया
था.


JJB
ने
पलटा
था
अपना
फैसला…

भारी
आलोचना
के
बाद
पुलिस
ने
जेजेबी
ने
अपने
आदेश
में
संशोधन
करते
हुए
आरोपी
को
पांच
जून
तक
सुधार
गृह
में
भेज
दिया
था.
जेजे
बोर्ड
के
एक
सदस्य
द्वारा
किशोर
को
जमानत
दिए
जाने
के
बाद,
महाराष्ट्र
सरकार
ने
जेजेबी
सदस्यों
के
आचरण
की
जांच
करने
और
यह
देखने
के
लिए
एक
समिति
गठित
की
कि
क्या
पुणे
कार
दुर्घटना
मामले
में
आदेश
जारी
करते
समय
मानदंडों
का
पालन
किया
गया
था.

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