‘बेकसूर विदेशियों को तत्काल रिहा करें’, SC ने दिया आदेश, कहा-इसमें लगा पैसा…


नई
दिल्ली.

सुप्रीम
कोर्ट
ने
केंद्र
सरकार
को
असम
के
हिरासत
केंद्रों
में
रखे
गए
17
विदेशी
नागरिकों
को
रिहा
करने
का
निर्देश
दिया
है.
सुप्रीम
कोर्ट
ने
कहा
है
कि
विदेशी
नागरिकों
के
खिलाफ
कोई
अपराध
दर्ज
नहीं
है.
सुप्रीम
कोर्ट
में
राज्य
कानूनी
सेवा
प्राधिकरण
ने
इस
मामले
में
एक
रिपोर्ट
पेश
की.
रिपोर्ट
में
कहा
गया
है
कि
असम
में
17
विदेशी
नागरिकों
को
हिरासत
में
रखा
गया
है.
सुप्रीम
कोर्ट
ने
कहा
कि
भारत
को
जल्द
से
जल्द
17
विदेशी
नागरिकों
को
रिहा
करने
के
लिए
कदम
उठाने
चाहिए
क्योंकि
उनके
खिलाफ
कोई
आपराधिक
मामला
दर्ज
नहीं
हैं.

सुप्रीम
कोर्ट
ने
कहा
कि
कई
विदेशी
नागरिक
वर्षों
से
हिरासत
केंद्रों
में
बंद
हैं
और
उनकी
हालत
खराब
हो
रही
है.
अदालत
ने
अप्रैल
में
राज्य
कानूनी
सेवा
प्राधिकरण
से
दो
वर्ष
से
हिरासत
में
लिए
गए
विदेशियों
के
बारे
में
जानकारी
देने
को
कहा
था.
उस
दौरान
कोर्ट
ने
प्राधिकरण
को
हिरासत
केंद्रों
में
जाने
और
विदेशी
नागरिकों
को
दी
जाने
वाले
सुविधाओं
की
जानकारी
लेने
के
लिए
एक
टीम
का
गठन
करने
का
निर्देश
दिया
था.
याचिका
में
उन
विदेशी
नागरिकों
को
रिहा
करने
की
मांग
की
गई
थी
जो
दो
वर्षों
से
अधिक
समय
से
असम
के
हिरासत
केंद्रों
में
बंद
हैं.

जस्टिस
एएस
ओका
और
उज्जल
भुइयां
की
पीठ
असम
में
हिरासत
केंद्रों
की
स्थिति
से
संबंधित
मामले
की
सुनवाई
कर
रही
थी.
जहां
संदिग्ध
नागरिकता
वाले
और
विदेशी
समझे
जाने
वाले
व्यक्तियों
को
हिरासत
में
रखा
गया
था.
कोर्ट
ने
17
ऐसे
घोषित
विदेशी
लोगों
को
तत्काल
निर्वासित
करने
का
आदेश
दिया
जिनके
खिलाफ
कोई
आपराधिक
आरोप
नहीं
लगाया
गया
था.
ऐसे
4
विदेशियों
को
2
वर्ष
की
अवधि
से
अधिक
समय
तक
हिरासत
में
रखा
गया.



गर्मी
के
साथ
बढ़ा
दिल्ली
का
सियासी
पारा,
‘सुपर
सैटरडे’
को
जमकर
घमासान,
घर
से
निकलने
से
पहले
जान
लें
ट्रैफिक
का
हाल

'बेकसूर विदेशियों को तत्काल रिहा करें', सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश, कहा- इसमें लगा पैसा...

सुनवाई
के
दौरान
जस्टिस
ओका
ने
कहा
कि
ऐसे
विदेशियों
को
हिरासत
में
लिया
गया
है
जबकि
उनके
खिलाफ
कोई
लंबित
मामला
दर्ज
नहीं
है.
भारत
सरकार
को
उनको
वापस
भेजने
के
लिए
तत्काल
कार्रवाई
करनी
चाहिए.
पीठ
ने
हल्के-फुल्के
अंदाज
में
कहा
कि
ऐसे
घोषित
विदेशियों
को
सुविधाएं
प्रदान
करने
के
लिए
इस्तेमाल
किए
गए
बजट
का
उपयोग
भारतीय
नागरिकों
के
लिए
अन्य
कल्याणकारी
गतिविधियों
के
लिए
किया
जा
सकता
था.

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