
(रमाकांत
दुबे,
भोपाल)
भारतीय
जनता
पार्टी
के
बड़े
नेता
इंदौर
में
लगभग
10
लाख
वोटों
के
अंतर
से
बड़ी
जीत
हासिल
करने
के
दावा
कर
रहे
हैं,
लेकिन
कम
मतदान
ने
टेंशन
बढ़ा
दी
है.
माना
कि
चुनावी
मैदान
लगभग
खाली
था,
लेकिन
स्वच्छता
में
लगातार
7
बार
नंबर
वन
का
रिकॉर्ड
बनाने
वाला
इंदौर
मतदान
करने
में
राजधानी
भोपाल
से
भी
पीछे
रह
गया.
इंदौर
जिले
में
65.46
प्रतिशत
पुरुषों
और
57.97
महिलाओं
ने
मतदान
किया.
दोनों
के
मतदान
का
अंतर
7.49
फीसदी
का
अंतर
रहा.
ये
आंकड़े
नवाचार
करने
में
आगे
रहने
वाले
इंदौरियों
के
लिए
चौंकाने
वाले
हैं.
राजनीति
के
जानकार
इसके
पीछे
की
वजह
बता
रहे
हैं.
मतदान
कम
रहने
के
पीछे
जो
सबसे
बड़ी
वजह
सामने
आई
वह
कि
इंदौर
की
महिला
वोटर्स
ने
2024
के
चुनाव
में
खास
रुचि
नहीं
दिखाई
और
2019
के
पैटर्न
पर
वोटिंग
की.
2019
में
इंदौर
में
भी
पुरुषों
ने
72.34
फीसदी
और
महिलाओं
ने
65.47
फीसदी
वोट
डाले.
2019
में
भी
महिला
और
पुरुष
वोटों
का
अंतर
7
फीसदी
के
आसपास
रहा.
बावजूद
इसके
बीजेपी
इंदौर
में
10
लाख
वोट
से
बड़ी
जीत
का
दावा
कर
रही
है.
एक
और
आंकड़े
पर
नजर
डालें
तो
चुनाव
आयोग
के
मुताबिक
इंदौर
में
9.55
लाख
लोगों
ने
अपना
वोट
नहीं
डाला.
इंदौर
संसदीय
सीट
पर
महिला
मतदाताओं
की
संख्या
7
लाख,
25
हजार,
570
है
जबकि
9
लाख,
66
हजार,
510
मतदाता
ऐसे
रहे
जिन्होंने
अपने
मताधिकार
का
उपयोग
नहीं
किया.
कांग्रेस
इसे
मंहगाई,
लाड़ली
बहना
को
3000
रुपये
देने
का
झूठा
वादा
और
सस्ता
गैस
सिलिंडर
देने
में
विफल
रहने
पर
सरकार
को
लेकर
महिलाओं
की
नाराजगी
के
तौर
पर
देखती
है.
इंदौर
सीट
पर
पॉलिटिकल
फाइट
उतनी
टाइट
नहीं
मानी
जा
रही
थी.
कांग्रेस
भले
ही
मैदान
में
नहीं
थी,
लेकिन
उसने
जबरदस्त
नोटा
प्रमोशन
कैंपेन
चलाया.
इसके
बावजूद
भी
इंदौर
में
61.75
फीसदी
मतदान
हुआ,
लेकिन
महिलाओं
के
मतदान
में
पिछड़ने
के
आंकड़े
रिकॉर्ड
बनाने
में
अव्वल
रहने
वाले
इंदौर
और
इंदौरियों
के
लिए
अच्छे
तो
कतई
नहीं
कहे
जा
सकते.
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FIRST
PUBLISHED
:
May
17,
2024,
17:28
IST