हाइलाइट्स
दिल्ली
हाईकोर्ट
में
एडिडास
ब्रॉन्ड
को
लेकर
मामला
सामने
आया.कपड़ा
व्यापारी
ने
एडिडास
ब्रॉन्ड
नेम
को
अपनी
बहन
से
मिलता-जुलता
बताया.
इस
व्यापारी
ने
अपनी
बात
को
रखने
के
लिए
कई
दलीलें
भी
पेश
की.
नई
दिल्ली.
आपने
मशहूर
जूते
बनाने
वाली
कंपनी
एडिडास
का
नाम
तो
सुना
ही
होगा.
एक
कपड़ा
व्यापारी
इस
कंपनी
के
ब्रॉन्ड
नेम
के
खिलाफ
याचिका
लेकर
दिल्ली
हाईकोर्ट
पहुंच
गया.
इस
शख्स
का
कहना
है
कि
एडिडास
नाम
दरअसल
उसकी
बहन
के
नाम
से
चुराया
गया
है.
लिहाजा
यह
ट्रेड-मार्क
उसे
मिलना
चाहिए.
उद्योगपति
केशव
एच
तुलसियानी
ने
दावा
किया
कि
उसने
अपनी
बड़ी
बहन
के
प्रति
सम्मान
के
कारण
‘एडिडास’
नाम
अपनाया
है.
कहा
गया
कि
वह
अपनी
बड़ी
बहन
को
‘आदि’
कहकर
संबोधित
करता
है,
जिसका
सिंधी
में
अर्थ
‘बड़ी
बहन’
होता
है.
इस
बिजनेसमैन
का
कहना
था
कि
बहन
के
प्रति
उसकी
निष्ठा
इतनी
गहरी
है
कि
वह
आमतौर
पर
खुद
को
उसका
भक्त
(सिंधी
में
दास)
बताता
है.
यह
तर्क
दिया
गया
कि
आदि
(बड़ी
बहन)
और
दास
(भक्त)
को
मिलाकर
‘एडिडास’
शब्द
बना
है,
जो
तुलसियानी
की
अपनी
बहन
के
प्रति
भक्ति
को
दर्शाता
है.
यह
शख्स
अपने
कपड़ा
व्यापार
के
लिए
एडिडास
ब्रॉन्ड
नेम
प्राप्त
करना
चाहता
है.
हालांकि,
हाईकोर्ट
उनके
तर्कोा
से
संतुष्ट
नजर
नहीं
आया.
बेंच
ने
कहा
कि
इस
तरह
के
बचाव
ने
तुलसियानी
के
इस
दावे
को
कमजोर
कर
दिया
है.
कोर्ट
ने
इस
कंपनी
को
‘एडिडास’
सिंबल
या
उनके
समान
किसी
भी
नाम
के
तहत
कपड़ा
वस्तुओं
के
निर्माण,
बिक्री
या
किसी
भी
तरह
से
सौदा
करने
से
रोक
दिया.
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में
किसे
मिला
कितना
पैसा
देना
होगा
मुकदमे
का
खर्च…
न्यायमूर्ति
संजीव
नरूला
ने
यह
आदेश
उस
मुकदमे
में
पारित
किया
जिसमें
आरोप
लगाया
गया
था
कि
तुलसियानी
और
अन्य
ने
‘एडिडास’
शब्द
को
न
केवल
ट्रेडमार्क
के
रूप
में
अपनाया
है,
बल्कि
एडिडास
वीविंग
मिल्स,
एडिडास
टेक्सटाइल
इंडस्ट्रीज
और
एडिडास
मर्चेंडाइज
प्राइवेट
लिमिटेड
के
लिए
अपने
ट्रेडनाम
के
हिस्से
के
रूप
में
भी
अपनाया
है.
एडिडास
के
पक्ष
में फैसला
सुनाते
हुए
दिल्ली
हाईकोर्ट
ने
तुलसियानी
को
इस
मुकदमे
के
खर्च
के
रूप
में
एडिडास
कंपनी
को
11,22,060
रुपये
अदा
करने
का
निर्देश
दिया.
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FIRST
PUBLISHED
:
July
23,
2024,
17:30
IST