हरियाणा चुनाव: उम्मीदवारों के नामों पर भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक, पीएम मोदी भी हुए शामिल

हरियाणा चुनाव: उम्मीदवारों के नामों पर भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक, पीएम मोदी भी हुए शामिल

भारतीय
जनता
पार्टी
(भाजपा)
की
केंद्रीय
चुनाव
समिति
ने
बृहस्पतिवार
को
यहां
आगामी
हरियाणा
विधानसभा
चुनाव
के
लिए
उम्मीदवारों
के
नामों
पर
मंथन
किया.
प्रधानमंत्री
नरेन्द्र
मोदी,
केंद्रीय
मंत्री
अमित
शाह,
पार्टी
अध्यक्ष
जेपी
नड्डा
सहित
केंद्रीय
चुनाव
समिति
(सीईसी)
के
अन्य
सदस्य
इस
बैठक
में
शामिल
हुए.
उम्मीदवारों
के
नामों
को
अंतिम
रूप
देने
के
लिए
सीईसी
की
बैठक
में
देर
रात
तक
चली.ॉ

इस
महत्वपूर्ण
बैठक
में
हरियाणा
के
चुनाव
प्रभारी
धर्मेंद्र
प्रधान
और
सह-प्रभारी
बिप्लव
देब,
प्रदेश
प्रभारी
सतीश
पूनिया,
मुख्यमंत्री
नायब
सिंह
सैनी,
प्रदेशाध्यक्ष
मोहनलाल
बडौली
और
अन्य
वरिष्ठ
नेता
भी
शामिल
हुए.
इससे
पहले,
नड्डा
के
आवास
पर
कोर
ग्रुप
की
बैठक
हुई,
जिसमें
शाह
के
अलावा
धर्मेंद्र
प्रधान,
मनोहर
लाल
खट्टर,
मुख्यमंत्री
सैनी
और
बडौली
भी
शामिल
थे.
प्रधान
ने
अपने
आवास
पर
हरियाणा
भाजपा
नेताओं
के
साथ
बैठक
की.

भाजपा
कोर
समूह
की
बैठक
के
बाद
पार्टी
के
वरिष्ठ
नेता
एवं
हरियाणा
के
पूर्व
गृह
मंत्री
अनिल
विज
ने
कहा
कि
पार्टी
की
केंद्रीय
टीम
को
राज्य
के
राजनीतिक
परिदृश्य
से
अवगत
कराया
गया.
उन्होंने
कहा,
‘‘हमारी
पार्टी
एक
लोकतांत्रिक
पार्टी
है.
अब
केंद्रीय
चुनाव
समिति
(विधानसभा
चुनाव
के
लिए
संभावित
उम्मीदवारों
पर)
अंतिम
फैसला
करेगी.’’
हरियाणा
की
90
सदस्यीय
विधानसभा
के
लिए
एक
अक्टूबर
को
मतदान
होगा.
मतगणना
चार
अक्टूबर
को
होगी.

हरियाणा
में
वर्तमान
में
भाजपा
की
सरकार
है.
उसकी
चुनौती
राज्य
में
अपनी
सत्ता
को
बरकरार
रखना
है.
हाल
में
संपन्न
लोकसभा
चुनाव
में
राज्य
में
विपक्षी
मतों
के
एकजुट
होने
से
भाजपा
की
सीट
संख्या
घटकर
पांच
रह
गई
तथा
शेष
सीट
कांग्रेस
के
खाते
में
चली
गईं.
पिछले
लोकसभा
चुनाव
में
भाजपा
ने
राज्य
में
सभी
10
सीट
पर
जीत
हासिल
की
थी.

पिछले
विधानसभा
चुनाव
में
भाजपा
को
सबसे
ज्यादा
40
सीट
मिलीं.
कांग्रेस
31
सीट
जीतकर
मुख्य
विपक्षी
पार्टी
बनी
थी.
जननायक
जनता
पार्टी
(जजपा)
10
सीट
जीतने
में
सफल
रही
थी.
सात
सीट
निर्दलीय
को,
इंडियन
नेशनल
लोकदल
(इनेलो)
को
एक
और
हरियाणा
लोकहित
पार्टी
को
एक
सीट
पर
जीत
मिली
थी.

बाद
में
भाजपा
ने
जजपा
के
साथ
मिलकर
गठबंधन
की
सरकार
बनाई
थी.
मनोहर
लाल
फिर
से
राज्य
के
मुख्यमंत्री
बने
थे
जबकि
जजपा
के
दुष्यंत
चौटाला
उपमुख्यमंत्री
बने.
हालांकि
लोकसभा
चुनाव
में
सीट
साझेदारी
को
लेकर
असहमति
के
बाद
यह
गठबंधन
टूट
गया.
बाद
में
भाजपा
ने
निर्दलीय
विधायकों
के
समर्थन
के
दम
पर
अपनी
सरकार
बचा
ली.
कुछ
दिनों
के
बाद
भाजपा
ने
खट्टर
को
मुख्यमंत्री
पद
से
हटा
दिया
और
नायब
सिंह
सैनी
को
राज्य
की
कमान
सौंपी.

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