हरियाणा लोकसभा चुनाव क्या सतीश पूनिया को दिलाएगा संजीवनी? नाप रहे हैं गली-गली

हरियाणा लोकसभा चुनाव क्या सतीश पूनिया को दिलाएगा संजीवनी? नाप रहे हैं गली-गली


जयपुर.

हरियाणा
के
गली
मौहल्लों
और
गांव-कस्बों
में
राजस्थान
बीजेपी
के
पूर्व
प्रदेशाध्यक्ष
सतीश
पूनिया
की
सक्रियता
इन
दिनों
खासी
सुर्खियां
बटोर
रही
हैं.
हरियाणा
प्रदेश
चुनाव
प्रभारी
पूनिया
पूरे
दमखम
के
साथ
अपनी
लय
हासिल
करने
में
जुटे
हैं.
हरियाणा
के
प्रदेश
चुनाव
प्रभारी
होने
के
नाते
पूनिया
किसान,
जवान
और
पहलवानों
की
धरती
पर
अपनी
नेतृत्व
क्षमता
का
लोहा
मनवाकर
पार्टी
आलाकमान
का
भरोसा
जीतने
की
कोशिशों
में
जुटे
हैं.
वे
मोदी
सरकार
की
किसानों
को
समर्पित
एक-एक
योजना
का
रैलियों
में
जिक्र
कर
रहे
हैं.

पूनियां
कभी
किसान
सम्मान
निधि
का
जिक्र
कर
रहे
हैं
तो
कभी
प्रधानमंत्री
ग्राम
सड़क
योजना
का.
कभी
मुद्रा
योजना
के
जरिये
युवाओं
को
फिर
बीजेपी
से
कनेक्ट
करने
की
कोशिश
करते
हैं
तो
कभी
सुकन्या
समृद्धि
योजना
की
चर्चा
छेड़
माता
बहनों
के
बीच
बीजेपी
की
लोकप्रियता
में
इजाफा
करने
का
प्रयास
कर
रहे
हैं.
राजस्थान
में
जब
से
चुनाव
संपन्न
हुए
पूनिया
ने
हरियाणा
के
अधिकांश
लोकसभा
क्षेत्रों
को
नाप
डाला
है.
पूनिया
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी,
अमित
शाह,
जेपी
नड्डा
की
सफल
रैलियां
आयोजित
करा
चुके
हैं.
उनका
दावा
है
कि
बीजेपी
हरियाणा
में
फिर
सभी
दस
सीटों
पर
फिर
पूरे
दमखम
के
साथ
चुनाव
जीतेगी.


2023
पूनिया
के
लिए
कुछ
खास
नहीं
रहा

दरअसल
साल
2023
पूनिया
के
लिए
कुछ
खास
नहीं
रहा.
पहले
पूनिया
ने
प्रदेशाध्यक्ष
की
कुर्सी
गंवाई.
फिर
आमेर
से
विधानसभा
का
चुनाव
हारे.
अटकलें
थीं
कि
उन्हें
अजमेर
से
लोकसभा
का
टिकट
मिलेगा
लेकिन
ऐसा
हुआ
नहीं.
पार्टी
ने
उन्हें
टिकट
देने
के
बजाय
हरियाणा
का
चुनाव
प्रभारी
बनाना
बेहतर
समझा.
अब
हरियाणा
लोकसभा
का
चुनाव
पूनिया
के
पास
अपनी
नेतृत्व
क्षमता
को
साबित
करने
का
सुनहरा
अवसर
माना
जा
रहा
है
जिसे
शायद
वो
कभी
गंवाना
नहीं
चाहेंगे.


नाराज
धड़ों
को
साधने
की
भी
चुनौती
है

पूनिया
के
लिए
हरियाणा
के
चुनाव
प्रभारी
की
भूमिका
किसी
अग्नि
परीक्षा
से
कम
नहीं
है.
बीजेपी
ने
वहां
कई
सीटों
पर
चेहरे
बदल
दिये
हैं.
पूनिया
के
सामने
नाराज
धड़ों
को
साधने
की
भी
चुनौती
है.
बीजेपी
ने
हरियाणा
में
मनोहरलाल
खट्टर
को
सीएम
की
कुर्सी
से
हटाकर
नायब
सिंह
सैनी
की
ताजपोशी
की
है.
सैनी
ने
विश्वास
मत
तो
जीता
लेकिन
उसके
बाद
भाजपा
सरकार
को
समर्थन
दे
रहे
निर्दलीयों
ने
कांग्रेस
को
समर्थन
देने
का
ऐलान
कर
बीजेपी
की
मुश्किलें
बढा
दी
हैं.


किसान
आंदोलन
की
आंच
अभी
भी
धीमी
नहीं
पड़ी
है

कांग्रेस
दावा
कर
रही
है
कि
हरियाणा
की
बीजेपी
सरकार
अल्पमत
में
है.
इसलिए
उसे
बर्खास्त
किया
जाना
चाहिए.
इसके
अलावा
दिल्ली
के
बॉर्डर
पर
चले
किसान
आंदोलन
की
आंच
अभी
भी
धीमी
नहीं
पड़ी
है.
गांव
कस्बों
में
बीजेपी
के
विरोध
के
सुर
अभी
भी
कहीं

कहीं
सुनाई
पड़
ही
जाते
हैं.
बृजभूषण
शरण
सिंह
के
खिलाफ
आंदोलन
करने
वाली
महिला
पहलवानों
का
ताल्लुक
भी
हरियाणा
से
ही
है.
ऐसे
में
पूनिया
को
कई
मोर्चो
पर
संघर्ष
करना
पड़
रहा
है.


हरियाणा
को
फतह
का
बेहतरीन
मौका
है

उन्हें
पार्टी
कार्यकर्ताओं
में
जोश
को
बनाये
रखना
है.
वहीं
बेहतरीन
चुनाव
प्रबंधन
कर
वोटिंग
भी
ज्यादा
करानी
है.
इसमें
पूनिया
का
चार
दशक
का
सियासी
तजुर्बा
उनके
काम

रहा
है.
उनके
पास
हरियाणा
को
फतह
का
बेहतरीन
मौका
है.
पार्टी
जीती
तो
इसका
श्रेय
पूनिया
को
भी
मिलेगा.
पूनिया
कांग्रेस
से
टक्कर
तो
मानते
हैं
लेकिन
उनका
दावा
है
कि
बीजेपी
के
संगठन
और
पीएम
मोदी
की
लोकप्रियता
के
आगे
कांग्रेस
का
खाता
भी
नहीं
खुलेगा.

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