100 साल पहले का होता मौसम तो दिल्ली में इस वक्त हो रही होती झमाझम मानसूनी बारिश, चिल मार रहे होते लोग!

100 साल पहले का होता मौसम तो दिल्ली में इस वक्त हो रही होती झमाझम मानसूनी बारिश, चिल मार रहे होते लोग!

बीते
कुछ
सालों
में
ग्लोबल
वार्मिंग
की
वजह
से
दुनिया
के
मौसम
में
व्यापक
बदलाव
हुआ
है.
बेमौसम
की
बारिश,
भीषण
गर्मी
और
भीषण
सर्दी
की
बात
अब
आम
हो
गई
है.
दिल्ली
सहित
समूचा
उत्तर
भारत
इस
वक्त
भीषण
गर्मी
की
चपेट
में
है.
इस
तपिश
का
आलम
यह
है
कि
बीते
शनिवार
और
रविवार
को
दिल्ली
के
कई
इलाकों
में
अधिकतम
तापमान
47
डिग्री
सेल्सियस
को
पार
कर
गया.
रविवार
को
दिल्ली
के
नजफगढ़
में
अधिकतम
तापमान
47.8
डिग्री
सेल्सियस
रहा
जो
पूरे
देश
में
सबसे
ज्यादा
था.

इस
पूरे
हफ्ते
दिल्ली
और
आसपास
के
इलाकों
में
ऐसी
ही
गर्मी
पड़ने
की
संभावना
जताई
गई
है.
इससे
पहले
28
मई
1988
को
दिल्ली
के
आया
नगर
में


अधिकतम
तापमान

47.4
डिग्री
सेल्सियस
मापा
गया
था.
फिर
10
जून
2019
को
दिल्ली
के
रिज
इलाके
में
अधिकतम
तापमान
47.9
डिग्री
सेल्सियस
था.


दिल्ली
में
मानसून
की
दस्तक
कब?

खैर,
इस
गर्मी
के
बहाने
अब
हम
थोड़ा


मानसून

की
बात
कर
लेते
हैं.
दिल्ली
में
आमतौर
पर
मानसून
की
एंट्री
जून
के
अंतिम
दिनों
में
होती
है.
मौसम
विभाग
ने
भी
इस
साल
इसके
नॉर्मल
रहने
का
अनुमान
जताया
है.
देश
के
मैदानी
इलाकों
में
दक्षिण-पश्चिम
मानसून
की
एंट्री
केरल
के
रास्ते
होती
है.
केरल
में
इस
साल
इसके
31
मई
के
आसपास
पहुंचने
की
संभावना
है.

यही
दक्षिण-पश्चिम
मानसून
दक्षिण-पश्चिम
की
ओर
से
दिल्ली
आती
है.
यानी
केरल
में
मानसून
के
एंट्री
के
करीब
चार
सप्ताह
के
भीतर
यह
दिल्ली
पहुंचती
है.
हालांकि,
मानसून
के
पहुंचने
से
दो-चार
दिन
पहले
संबंधित
इलाकों
में
बारिश
शुरू
हो
जाती
है.
वह
प्री-मानसून
बारिश
होती
है.
यानी
सामान्य
परिस्थिति
में
दिल्ली
में
20-25
जून
के
आसपास
पहली
बारिश
हो
जाती
है.


दिल्ली
के
मानसून
का
पैटर्न

अब
आते
हैं
देश
और
दिल्ली
के
मानसून
के
पैटर्न
पर.


आईएमडी

के
महानिदेशक
मृत्युंजय
महापात्र
के
मुताबिक
इस
साल
दक्षिण-पश्चिम
मानसून
के
31
मई
को
केरल
पहुंचने
का
अनुमान
है.
यह
जल्दी
नहीं
है.
यह
सामान्य
तारीख
के
करीब
है
क्योंकि
केरल
में
मानसून
की
शुरुआत
की
सामान्य
तारीख
एक
जून
है.

आईएमडी
के
आंकड़ों
के
अनुसार,
पिछले
150
वर्षों
में
केरल
में
मानसून
की
शुरुआत
की
तारीख
में
व्यापक
रूप
से
भिन्नता
रही
है,
जिसके
तहत
राज्य
में
मानसून
ने
सबसे
जल्दी
11
मई,
1918
को
जबकि
सबसे
देरी
से
18
जून,
1972
को
दस्तक
दी
थी.
आंकड़ों
के
अनुसार,
केरल
में
पिछले
साल
आठ
जून
को,
2022
में
29
मई
को,
2021
में
तीन
जून
को
और
2020
में
एक
जून
को
मानसून
की
शुरुआत
हुई
थी.



आईएमडी

के
इन
आंकड़ों
का
बारीकी
से
विश्लेषण
करें
तो
हमें
1918
का
एक
डेटा
मिलता
है.
उस
वक्त
केरल
में
मानसून
11
मई
को

गया
था.
इसके
हिसाब
से
दिल्ली
में
यह
जून
के
पहले
हफ्ते
तक
दस्तक
दे
चुका
होगा.
और
उससे
करीब
एक
सप्ताह
पहले
प्री-मानसून
बारिश
भी
शुरू
हो
चुकी
होगी.
ऐसे
में
अगर
हम
1918
में
होते
तो
इस
वक्त
तक
दिल्ली
में
मानसून
की
आहट

चुकी
होती.
हल्की
फुल्की
बारिश
शुरू
होने
वाली
होती.

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