
वैसे
तो
तीन
नए
आपराधिक
कानून
एक
जुलाई
से
पूरे
देश
में
लागू
हो
गए
हैं,
लेकिन
कुछ
राज्यों
में
इन्हें
अभी
लागू
नहीं
किया
गया
है.
पश्चिम
बंगाल
उन्हीं
राज्यों
में
से
एक
है.
नए
कानूनों
को
लागू
करने
से
पहले
उनकी
अच्छी
तरह
से
जांच
की
जाएगी,
यह
फैसला
ममता
बनर्जी
सरकार
ने
किया
है.
पश्चिम
बंगाल
सरकार
ने
भारतीय
न्याय
संहिता
सहित
तीन
कानूनों
को
राज्य
में
लागू
करने
से
पहले
उनकी
जांच
के
लिए
एक
विशेष
समिति
का
गठन
किया
है.
7
सदस्यीय
समिति
इन
कानूनों
का
गहन
अध्ययन
करके
अपनी
रिपोर्ट
राज्य
सरकार
को
सौंपेगी.
इस
रिपोर्ट
के
आधार
पर
ही
यह
तय
होगा
कि
नए
कानून
राज्य
में
लागू
किए
जाएं
या
नहीं.
7
सदस्यीय
समिति
में
असीम
कुमार
रॉय
(रिटायर
जस्टिस,
कोलकाता
हाई
कोर्ट),
मलय
घटक,
वित्त
मंत्री
चंद्रिमा
भट्टाचार्य,
एलडी
एडवोकेट
जनरल
किशोर
दत्ता,
संजय
बसु,
पश्चिम
बंगाल
पुलिस
डीजी
राजीव
कुमार
और
कोलकाता
पुलिस
कमिश्नर
विनीत
गोयल
सदस्य
बनाए
गए
हैं.
इस
बारे
में
एक
नोटिफिकेशन
भी
जारी
किया
गया
है.
नोटिफिकेशन
में
कहा
गया
है
कि
3
नए
कानूनों
को
लागू
करने
से
पहले
पश्चिम
बंगाल
सरकार
ने
केंद्र
सरकार
के
समक्ष
कुछ
मुद्दे
उठाए
थे,
जिन
पर
केंद्र
ने
गौर
नहीं
किया.
नोटिफिकेशन
में
कहा
गया
है
कि
तीन
कानूनों
के
महत्व
और
व्यापक
निहितार्थ
को
ध्यान
में
रखते
हुए;
राज्य
सरकार
एक
समिति
का
गठन
करना
आवश्यक
समझती
है
जो
निम्नलिखित
की
जांच
करेगी
–
(1)
तीन
आपराधिक
कानूनों
में
आवश्यकतानुसार
राज्य-विशिष्ट
संशोधनों
का
सुझाव
दें.
(2)
क्या
राज्य
स्तर
पर
आपराधिक
कानूनों
के
नाम
बदलने
की
आवश्यकता
है?
(3)
कोई
अन्य
मामला
जिसे
समिति
आवश्यक
समझे.
बता
दें
कि
ब्रिटिश
काल
से
चले
आ
रहे
कानूनों
को
खत्म
करके
केंद्र
सरकार
ने
तीन
नए
आपराधिक
कानून
लागू
किए
थे.
ये
कानून
पहली
जुलाई,
2024
से
लागू
हुए.
तीन
नए
कानूनों
में
भारतीय
न्याय
संहिता,
भारतीय
नागरिक
सुरक्षा
संहिता
और
भारतीय
साक्ष्य
अधिनियम
शामिल
हैं.
इन्होंने
अंग्रेजों
के
जमाने
के
भारतीय
दंड
संहिता,
दंड
प्रक्रिया
संहिता
और
भारतीय
साक्ष्य
अधिनियम
की
जगह
ली
है.
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FIRST
PUBLISHED
:
July
17,
2024,
21:09
IST