90 करोड़ रुपये, 18 बैंक अकाउंट, ढेर सारी शराब, महंगी गाड़ियां और क्या-क्या?

90 करोड़ रुपये, 18 बैंक अकाउंट, ढेर सारी शराब, महंगी गाड़ियां और क्या-क्या?

‘मौज
कर
दुनिया
की
ग़ाफ़िल
जिंदगानी
फिर
कहां’
हालांकि
मशहूर
शायर
ख्वाजा
मीर
दर्द
ने
ये
शेर
दुनिया
को
घूमने-फिरने
की
नसीहत
देते
हुए
कुछ
इस
तरह
लिखा
था-
‘सैर
कर
दुनिया
की
ग़ाफ़िल
ज़िंदगानी
फिर
कहां,
ज़िंदगी
गर
कुछ
रही
तो
ये
जवानी
फिर
कहां’.
लेकिन
हमारे
एक
मंत्री
ने
इस
शेर
के
मायने
ही
बदल
दिए
और
‘सैर’
की
जगह
उन्होंने
‘मौज’
करने
को
तरजीह
दी
और
चार्वाक
ऋषि
के
इस
श्लोक
पर
अमल
किया-
‘यावत
जीवेत
सुखं
जीवेत’.
इस
सुखमय
जीवन
जीते
रहने
के
लिए
उन्होंने
किसी
से
कर्जा
भले
ही
ना
लिया
हो,
लेकिन
घोटाला
करके
पब्लिक
के
पैसे
को
खूब
लुटाया.

यहां
बात
हो
रही
है
कर्नाटक
में
हुए
एसटी
फंड
घोटाले
की.
90
करोड़
रुपये
के
इस
घोटाले
के
मास्टरमाइंड
कहे
जाने
वाले
राज्य
के
आदिवासी
कल्याण
एवं
खेल
मंत्री
नागेंद्र
फिलहाल
जेल
में
हैं.
कर्नाटक
में
हुए
इस
घोटाले
में
नित-नए
खुलासे
हो
रहे
हैं.
अब
ईडी-
प्रवर्तन
निदेशालय
ने
आरोप
लगाया
है
कि
कर्नाटक
महर्षि
वाल्मीकि
अनुसूचित
जनजाति
विकास
निगम
लिमिटेड
से
दुरुपयोग
की
गई
काफी
धनराशि
का
इस्तेमाल
हाल
ही
में
संपन्न
लोकसभा
चुनावों
के
दौरान
शराब
के
अलावा
कुछ
महंगी
गाड़ियों
की
खरीद
में
किया
गया.

जांच
एजेंसी
ने
इस
मामले
में
कांग्रेस
विधायक
और
राज्य
के
पूर्व
कैबिनेट
मंत्री
बी.
नागेंद्र
को
गिरफ्तार
किया
है.
ईडी
ने
आरोप
लगाया
है
कि
विधायक
से
जुड़े
लोग
पैसे
के
दुरुपयोग
और
उसे
ठिकाने
लगाने
में
लगे
हुए
हैं.

पूर्व
आदिवासी
कल्याण
एवं
खेल
मंत्री
नागेंद्र
को
पिछले
सप्ताह
प्रवर्तन
निदेशालय
ने
गिरफ्तार
किया
था.
ईडी
द्वारा
उनके
और
बेंगलुरु
में
रायचूर
ग्रामीण
सीट
से
कांग्रेस
विधायक
बसनगौड़ा
दद्दाल
के
खिलाफ
छापेमारी
के
बाद
यह
गिरफ्तारी
की
गई
थी.
पूर्व
मंत्री
18
जुलाई
तक
ईडी
की
हिरासत
में
हैं.

ईडी
ने
दावा
किया
कि
जांच
में
पाया
गया
कि
वाल्मीकि
निगम
के
धन
से
लगभग
90
करोड़
रुपये
आंध्र
प्रदेश
और
तेलंगाना
में
18
फर्जी
खातों
में
भेजे
गए.
इसके
बाद
इस
धनराशि
को
फर्जी
खातों
के
माध्यम
से
आरोपियों
के
बीच
नकदी
और
सोना
के
तौर
पर
बँटवारा
किया
गया.
ईडी
ने
कहा
कि
घोटाले
के
उजागर
होने
के
बाद
पूर्व
मंत्री
बी.
नागेंद्र
ने
भी
इस्तीफा
दे
दिया.

इसमें
कहा
गया
है
कि
आम
चुनावों
से
ठीक
पहले
बड़ी
मात्रा
में
शराब
खरीदने
के
लिए
काफी
मात्रा
में
धन
का
उपयोग
किया
गया
था.

नागेन्द्र
और
दद्दाल
(निगम
के
अध्यक्ष)
के
परिसरों
की
तलाशी
के
दौरान,
ईडी
ने
हाल
के
आम
चुनावों
के
दौरान
धन
के
हेरफेर
से
जुड़े
कुछ
आपत्तिजनक
दस्तावेज
बरामद
किए.
एजेंसी
ने
कहा
कि
इन
अवैध
धनराशियों
के
संचालन
से
संबंधित
कुछ
अपराध-सिद्ध
करने
वाले
साक्ष्य
भी
दद्दाल
के
आवास
से
बरामद
किए
गए.

यह
घोटाला
तब
सामने
आया
जब
निगम
के
लेखा
अधीक्षक
चंद्रशेखरन
पी.
ने
21
मई
को
आत्महत्या
कर
ली.
उन्होंने
एक
सुसाइड
नोट
लिखा
था,
जिसमें
निगम
से
विभिन्न
बैंक
खातों
में
अवैध
रूप
से
धन
हस्तांतरित
करने
का
आरोप
लगाया
गया
था.
इसके
बाद
दो
अधिकारियों
को
निलंबित
कर
दिया
गया.
बढ़ते
दबाव
के
चलते
मंत्री
नागेंद्र
ने
29
मई
को
इस्तीफा
दे
दिया.
इसके
बाद
कांग्रेस
सरकार
ने
एक
विशेष
जांच
दल
-एसआईटी
का
गठन
किया,
जिसने
अब
तक
इस
मामले
के
सिलसिले
में
11
लोगों
को
गिरफ्तार
किया
है.


घोटाले
के
पैसे
से
खरीदी
लेम्बोर्गिनी
कार

एसटी
फंड
घोटाले
के
एक
मुख्य
आरोपी
ने
3.3
करोड़
रुपये
में
एक
सेकंड
हैंड
लेम्बोर्गिनी
कार
खरीदी
थी.
एसआईटी
ने
13
जून
को
एसटी
फंड
घोटाले
के
सिलसिले
में
हैदराबाद
में
सत्यनारायण
वर्मा
को
गिरफ्तार
किया
था.
सत्यनारायण
वर्मा
ने
पूछताछ
के
दौरान
पुलिस
को
बताया
कि
उसने
3.3
करोड़
रुपये
में
एक
लेम्बोर्गिनी
खरीदी
थी.
पुलिस
ने
फौरान
कार
विक्रेता
से
संपर्क
किया
और
लेम्बोर्गिनी
कार
को
डीलर
को
लौटा
दिया.
पुलिस
ने
डीलर
से
3.3
करोड़
रुपये
बरामद
कर
लिए.


मुख्यमंत्री
ने
भी
माना
घोटाला
हुआ

कर्नाटक
के
मुख्यमंत्री
सिद्धारमैया
ने
भी
स्वीकार
किया
है
कि
एसटी
फंड
में
घोटाला
हुआ
है.
मुख्यमंत्री
ने
सोमवार
को
विधानसभा
में
स्वीकार
कर
लिया
कि
कर्नाटक
महर्षि
वाल्मीकि
एसटी
विकास
निगम
में
89.6
करोड़
रुपये
का
घोटाला
हुआ
है.
हालांकि,
बीजेपी
ने
इसे
187
करोड़
रुपये
का
घोटाला
बताया
है.

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